कैंसर के बारे में भ्रम व् सच

कैंसर के बारे में कई सारी गलतफहमियां हैं, जिनकी वजह से हम कैंसर को सही तरह से समझ नहीं पाते। ऐसे मिथकों की सच्चाई के बारे में यहां जानकारी दी जा रही है, ताकि आप कैंसर से संबंधित अनेक महत्वपूर्ण बातों को समझ पाएं और अपनी सोच बदल पाएं। 

कैंसर के भय को और बढ़ाने का काम इससेे जुड़ी भ्रांतियां करती हैं। लोगों में कैंसर के संबंध में कई भ्रांतियां हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसी ही भ्रांतियों की सच्चाई।

भ्रम : कैंसर के मरीज की चीजों को छूना नहीं चाहिए?

सच : यह मरीज को छूने, उसके सामान के प्रयोग से नहीं होता है। खून या शरीर की कोई चोट या जख्म छूने से भी नहीं फैलता है।

भ्रम : सूई जांच कराने से कैंसर पूरे शरीर में फैलता है?

सच : इस जांच से कैंसर कोशिकाओं के बारे में अच्छी तरह से पता चल जाता है। इलाज करने में आसानी होती है।

भ्रम : कीमो व रेडिएशन थैरेपी से त्वचा जलती है।

सच : कीमो व रेडिएशन से स्किन न जलती न कैंसर फैलता है। त्वचा कुछ समय के लिए काली पड़ जाती है पर ठीक हो जाती है।

भ्रम : डियो और हेयर डाई से कैंसर का खतरा होता है?

सच : कार्सिनोजन कैमिकल युक्त उत्पाद के प्रयोग से स्किन कैंसर का खतरा होता है। डियो आदि खरीदते वक्त लेबल को जरूर पढ़ें।

भ्रम : सर्जरी से यह फैलता है?

सच : सर्जरी से फैलता नहीं है। कुछ कैंसर जैसे गॉलब्लेडर, ओवरी, बच्चों में होने वाले विंस कैंसर में बायोप्सी न करके सर्जरी की जाती है।

भ्रम : इलाज के बाद कैंसर के दोबारा नहीं होता है?

सच : ऐसा नहीं है। कुछ मामलों में कैंसर दोबारा हो सकता है। यह शरीर के किसी दूसरे अंग में भी हो सकता है।

भ्रम : रोगी महिला बच्चे को स्तनपान नहीं करा सकती?

सच : ब्रेस्ट कैंसर का पहली स्टेज में इलाज हो जाए तो महिला अपने बच्चे को फीड करा सकती है।

भ्रम : कैंसर मतलब मौत ?

सच: अगर कैंसर को उसके शुरुआती दिनों में पहचान लिया जाए तो इसका इलाज संभव है।  कैंसर कई प्रकार का होता है और इसलिए इसके इलाज की प्रक्रिया भी अलग होती है।  लेकिन कैंसर लाइलाज बीमारी नहीं है। 

भ्रम : इस बीमारी में शरीर पूरी तरह खराब हो जाता है ?

सच : कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के दूसरे अंगों पर भी प्रभाव डालती है।  लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं हैं कि यह शरीर को खराब कर देता है।  कैंसर के इलाज में मेडिकल साइंस काफी आगे आ चुका है जहां पर अब कीमोथेरपी और रेडियोथेरपी के जरिए मरीज की जिंदगी को और बेहतर बनाने का किया जा रहा हैं। 

भ्रम : दर्द से होती है इस बीमारी की शुरुआत ?

सच : कैंसर एक दर्द भरी बीमारी है लेकिन हर कैंसर की प्रकृति अलग होती है।  कई बार तो कैंसर के लक्षण अपने शुरुआती दिनों में ही दिखने लगते हैं लेकिन हम उन्‍हें पहचान नहीं पाते, जैसे- बिना दर्द की गाठें या फिर किसी भी प्रकार का अल्‍सर होना।  इसलिए शरीर से जुड़ी किसी भी तरह की दिक्‍कत को नजरंदाज न करें और समय-समय पर अपना चेकअप कराते रहें। 

भ्रम :कैंसर छुआछूत की बीमारी है ?

सच : कैंसर की बीमारी से जुड़ा यह सबसे बढ़ा मिथ है।  कैंसर इंफेक्‍शन वाली बीमारी नहीं है।  यह बीमारी हमारे शरीर में मौजूद सेल्‍स से होती है. यह कभी भी एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति के छूने या संपर्क करने से नहीं फैलती। इसलिए कैंसर से पीडित इंसान को नॉर्मल जीवन जीने के लिए प्रेरित करें और उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए उन्‍हें हर तरह से सपोर्ट करें।

भ्रम : कैंसर का इलाज संभव है ?

सच: कैंसर का इलाज पूरी सावधानी और तरीके से करवाना चाहिए। किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले सारे टेस्‍ट और सभी मेडिकल जांच करवा लेना बहुत जरूरी होता है. कैंसर के इलाज की कोई भी वैकल्पिक दवा अभी तक नहीं आई है इसलिए बिना डॉक्‍टर की सलाह के कोई भी उपचार शुरू न करें।

भ्रम :ट्यूमर से कैंसर होता है ?

सच : ऐसा संभव है लेकिन जरूरी नहीं की हर ट्यूमर कैंसर का कारण हो।  आजकल डॉक्‍टर बहुत ही सावधानी से इनका इलाज करते हैं ताकि ट्यूमर से कैंसर न बनने पाए। 

भ्रम - परिवार में कैंसर है तो अन्य को भी हो सकता है ?

सच - केवल पांच से दस फीसदी कैंसर ही आनुवांशिक होते हैं जैसे ब्रेस्ट, ओवेरियन और कोलोन कैंसर। जबकि 90 फीसदी कैंसर व्यक्ति की लाइफस्टाइल के कारण होते हैं। इनमें तंबाकू, शराब और मांसाहार शामिल हैं। जिनमें आनुवांशिक कैंसर की आशंका है उन्हें समय-समय पर जांच करवानी चाहिए। महिलाओं को 21 साल की उम्र के बाद पेप्समीयर और 40 साल के बाद मेमोग्राफी करवानी चाहिए। 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सिरम पीएसए (प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन) जांच करवानी चाहिए।

भ्रम- एक उम्र के बाद नहीं हो सकता कैंसर का इलाज ?

सच - ऐसा नहीं है। कैंसर का इलाज किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति में किया जा सकता है। पहले डॉक्टर अधिक उम्र के लोगों का इलाज करने से बचते थे। इसकी वजह अधिक उम्र और कमजोर लोगों में कीमोथैरपी का साइड इफेक्ट होना था। अब नई टारगेटेड थैरेपी से हर उम्र के मरीज के इलाज में मदद मिलती है।

भ्रम- कैंसर के मरीजों में इलाज के दौरान बालों का झडऩा जरूरी है ?

सच - पहले ये दिक्कत आती थी। कैंसर के मरीजों में इलाज के दौरान बाल गिरना आम था। लेकिन नई टारगेटेड थैरेपी से इस दिक्कत से बचा जा सकता है। यह थैरेपी सीधे कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है जिससे बाल गिरने की समस्या नहीं होती।

भ्रम- मोबाइल रेडिएशन भी कैंसर के लिए जिम्मेदार है ?

सच -मोबाइल रेडिएशन से कैंसर की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। हालांकि इसकी आशंका जताई जा रही है जिसके लिए कई शोध जारी हैं।

भ्रम -कैंसर की वजह से शरीर में असहनीय दर्द होता है ?

सच - कुछ प्रकार के कैंसर जैसे ब्रेस्ट, फेफड़ें, कोलोन और जीभ आदि में पहली व दूसरी स्टेज में दर्द नहीं होता है। इसी तरह अन्य कैंसर में भी होता है, लेकिन इलाज के अभाव में यदि कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच जाए तो असहनीय दर्द होता है।

भ्रम- कैंसर से जुड़ी जांचें कराने से फैलती है यह बीमारी ?

सच - लोगों में डर है कि कैंसर की जांच (बायोप्सी) करवाने से बीमारी शरीर में फैल जाती है। यह धारणा गलत है। बायोप्सी में कैंसर की आशंका वाले हिस्से से एक छोटा मांस का टुकड़ा लिया जाता है। इससे बीमारी फैलती नहीं है बल्कि सूक्ष्म स्तर पर इसकी जांच करने में आसानी होती है।

भ्रम- कम या अधिक उम्र में कैंसर ज्यादा खतरनाक होता है ?

सच - कैंसर के फैलाव का उम्र से कोई सम्बंध नहीं है। रोग की गंभीरता उसके प्रकार, स्टेज और किस जगह पर कैंसर है उसपर निर्भर करती है। शुरुआती स्टेज में बीमारी की पहचान होने पर कम समय और खर्च में सफल इलाज हो जाता है। इसके लिए जरूरी है कि समय पर जांच कराएं। कम उम्र में अधिकतर मामले ब्लड और बोन कैंसर के होते हैं जिनके लक्षण जल्द ही दिखने लगते हैं और ऐसे में इलाज के बाद रिकवरी कम समय लेती है।

भ्रम -काफी महंगा है कैंसर का इलाज ?

सच - कैंसर की शुरूआती अवस्था में इलाज कराएं तो कम खर्च आता है। कैंसर का इलाज उसके प्रकार, स्थान और स्टेज पर निर्भर करता है। एक ही अंग से जुड़े कैंसर का इलाज 40 हजार रुपए में हो जाता है जबकि उसी अंग से जुड़े दूसरे कैंसर में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं।