7.6 करोड़ साल पुराने डायनासोर को कैंसर हुआ था।

किसी जीवाश्म में कैंसर पाए जाने का यह अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है।

7.6 करोड़ साल पुराने डायनासोर की जिस हड्डी को फ्रैक्चर समझा जा रहा था, उसमें मेलिगनेंट कैंसर की पुष्टि हुई। यह हड्डी 1989 में कनाडा के अल्बर्टा प्रांत में डायनासोर के जीवाश्म के तौर पर मिली थी।

6 मीटर लम्बी हड्डी में मिला ट्यूर
टोरंटो स्थित रॉयल ओंटेरियो म्यूजियम के जीवाश्म विज्ञानी डेविड इवांस के मुताबिक, हड्डी 6 मीटर लम्बी है। यह हड्डी क्रेटेशियस काल की है, जब चार पैरों वाले डायनासोर शाकाहारी हुआ करते थे। यह हड्डी उसके लोअर लेग बोन की है। इसमें जो ट्यूमर मिला है, वह काफी एडवांस स्टेज का है। यह सेब से भी बड़े आकार का है।

इंसानों की तरह डायनासोर में भी बीमारियां हुईं
लेंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, हो सकता है कि 7.6 करोड़ साल पुराना सेंटेरोसॉरस डायनासोर मौत से पहले कैंसर के कारण काफी कमजोर हो गया हो। रिसर्च में जो बातें सामने आई हैं उसके मुताबिक, डायनासोर में ऐसी कई बीमारियां हुई होंगी जो आमतौर पर इंसान और दूसरे जानवरों में होती हैं, जैसे कैंसर। ये इस धरती पर दूसरे जानवरों की तरह रहते थे और इन्होंने भी हादसों और बीमारियों को झेला।

डायनासोर में कैंसर की कैसे हुई खोज
किसी जीवाश्म में कैंसर पाए जाने का यह अपने आप में बहुत ही दुर्लभ मामला है। अध्ययन के सहलेखक डॉ मार्क क्रोथेल का कहना है कि इस तरह से किसी जानवर में कैंसर का पाया जाना कोई नई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि ओस्टियोसारकोमा आमतौर पर तेजी से बढ़ती हड्डियों में होती है और यह बच्चों और युवाओं में पाया जाने वाला रोग होता है। शोधकर्ताओं ने इस ट्यूमर की पुष्टि हाई रेजोल्यूशन वाले सीटी स्कैन और ट्यूमर के महीन हिस्सों को माइक्रोस्कोप से जांच के जरिए पाया। डायनासोर में इस तरह कैंसर के प्रमाण मिलने से इंसानों में इसकी शुरुआत को लेकर भी कई सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में कई वैज्ञानिक दोनों के तार को जोड़ने और इनके बीच के संबंध को सुलझाने में लगे हुए हैं।