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हेपेटाइटिस की दो अवस्थाएं होती हैं।

हेपेटाइटिस की दो अवस्थाएं होती हैं। पहला प्रारंभिक (एक्यूट) और दूसरा पुरानी (क्रॉनिक)। हेपेटाइटिस की प्रारंभिक अवस्था रोग शुरू होने के तीन महीनों तक रहती है, किंतु छह माह तक जब इसका इलाज नहीं होता तो यह क्रॉनिक हेपेटाइटिस में बदल जाती है। प्रारंभिक अवस्था में यदि हेपेटाइटिस के साथ पीलिया भी हो जाए और इसका उपचार ठीक से न किया जाए तो यह क्रॉनिक बी या सी का रूप ले लेती है। यदि फिर भी उचित इलाज न हो सका तो यह लिवर सिरोसिस में परिवर्तित हो जाती है, जिसके फलस्वरूप पूरा लिवर क्षतिग्रस्त हो जाता है और लिवर का कैंसर भी हो सकता है। यदि रोग का निदान इस अवस्था में भी न हो पाए तो हेपेटाइटिस प्राणघातक रूप धारण कर सकता है। ऐसे में साफ सफाई का विशेष खयाल रखें और हेपेटाइटिस का टीका जरूर लगवाएं।

हेपेटाइटिस के लक्षण

 

  1. बुखार, झुरझुरी, भूख न लगना, खाने को देखकर जी मिचलाना।
    2. उल्टी, बदन दर्द, सिगरेट पीने वालों को तंबाकू से अरुचि होना।
    3. बदन में खुजली, पेट में गड़बड़ी, मूत्र का रंग गहरा होना, मल का रंग सफेद होना।
    4. आंखों में पीलापन, पेशाब का रंग पीला होना, पैरों में सूजन बढ़ना।
    5. हर समय जोड़ों में भी दर्द रहना, व्यवहार में चिड़चिड़ापन होना।

 

बचने के उपाय
- घाव को खुला न छोड़ें। यदि त्वचा कट फट जाए तो उस हिस्से को डिटॉल से साफ करें।
- शराब पीना बंद कर दें।
- अपने टूथब्रश, रेजर, सुईं, सिरिंज, कैंची या अन्य ऐसी वस्तुएं जो आपके खून के संपर्क में आती हों, शेयर न करें।