कैंसर को फैलने से रोकने वाली दवा की हुई खोज :BHU व् IIT का दावा

कैंसर के फैलाव को रोकने में कारगर साबित होगी

आईआईटी बीएचयू ने दावा किया है कि उसने ऐसी दवा की खोज कर ली है जो कैंसर के फैलाव को रोकने में कारगर साबित होगी। दवा को बायोकेमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट ने 'मैसेंजर राइबो न्यूक्लिक एसिड' यानी 'एमआरएनए' के साथ प्रोटीन के संयोजन से तैयार किया है। इंजेक्शन के ज़रिये दवा को खून में पहुंचाया जाता है, जिसके बाद ये कैंसर से प्रभावित कोशिकाओं को खुद खोजकर उसपर असर दिखाती है और फैलने नहीं देती। दावा किया गया है कि नैनो पॉलीमर युक्त इंजेक्शन से खून, फेफड़ा, ब्रेस्ट और लिवर कैंसर के फैलाव को रोका जा सकता है। यह दवा बायोकेमिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर प्रदीप सिंह पाई और उनकी टीम के शोध छात्रों कौशिक कुमार, चंदर ए, अनिल, सुकन्या पात्रा, मोनिका पाण्डेय, हिमाद्री तथा शोमदत्ता ने तैयार की है। इसके शोध अध्ययन के लिए मुंबई के टाटा कैंसर संस्थान और वाराणसी के महामना कैंसर सेंटर लाहरतारा के साथ शैक्षणिक करार भी किया गया है।

 

सस्ती होगी दवा, कम मात्रा में इलाज

दवा को तैयार करने वाली टीम के लीडर प्रो. पाई ने दावा किया है कि उनकी यह दवा बाज़ार में मौजूद कैंसर की अब तक की सभी दवाओं से काफी सस्ती होगी। इतना ही नहीं कैंसर के इलाज के लिए इस दवा की कम मात्रा ज्यादा कारगर है। कैंसर के फैलाव को रोकने वाली यह दवा बेहद अहम साबित हो सकती है।

बढ़ाती है इम्युनिटी

कैंसर के इलाज के दौरान कीमो थेरेपी से कैंसर प्रभावित के साथ साथ अच्छी कोशिकाएं भी नष्ट हो जाती हैं। इससे मरीज़ की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है। जबकि इसके उलट बीएचयू की यह दवा सिर्फ़ उन्हीं सेल को टारगेट करती है जो प्रभावित होती हैं। इसके चलते यह रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इंम्यूनिटी बढ़ाने में मददगार होगी।

 

क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी

कैंसर की दवाओं पर पूरी दुनिया में शोध चल रहा है। इस बीच बीएचयू में तैयार इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी है। प्रो. प्रदीप पाई के मुताबिक कैंसर के इलाज में करगर के नैनोपॉलीमर युक्त इंजेक्शन का जानवरों पर अध्ययन हो चुका है। अब इसके क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी चल रही है। उनके मुताबिक़ यूके के रॉयल सोसाइटी ऑफ केमेस्ट्री के नैनोस्केल जर्नल में भी इसपर उनका लेख प्रकाशित हुआ है।

कैसे काम करती है ये दवा

प्रो प्रदीप सिंह पाई के मुताबिक से टार्गेटेड थेरेपी की जाती है। दवा इंजेक्शन के ज़रिये खून में पहुंचकर कैंसर प्रभावित कोशिकाओं को खोजती है और उसकी भित्ति से चिपक जाती है। नैनो पॉलीमर में मिली एमआरएनए दवा और प्रोटीन कैंसर सेल के भीतर पहुंचकर न सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को मारती हैं और डैमेज सेल की मरम्मत भी करना शुरू कर देते हैं। जिससे कैंसर का फैलाव रुकता है और मरीज़ स्वास्थ्य होने लगता है।