कैंसर की बीमारी बड़ी तेज़ी से फैल रही है. आख़िर इसकी वजह क्या है?
कैंसर की बीमारी बड़ी तेज़ी से फैल रही है. आख़िर इसकी वजह क्या है?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए पहले हमें समझना होगा कि कैंसर है क्या? असल में कैंसर, इंसान के विकास की क़ुदरती प्रक्रिया का नतीजा है.
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इंसान जैसे बड़े जीव कैंसर जैसी बीमारी को इसीलिए झेलते हैं क्योंकि वो बड़े और पेचीदा हैं.
जैसे विकास की प्रक्रिया के नतीजे में हमें कैंसर की बीमारी मिली है. इसी तरह की नई सोच से इस बीमारी से लड़ने की तैयारी भी हो रही है.
कैंसर कैसे होता है, ये समझने के लिए हमें अपने अंदर होने वाली क़ुदरती प्रक्रिया को समझना होगा.
हर जीव, हर इंसान का विकास, हमारे शरीर में मौजूद कोशिकाओं के बंटने से होता है. इंसान का शरीर एक कोशिका से ही बनना शुरू होता है.
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नर के शुक्राणु और मादा के अंडाणु के मेल से एक गेंदनुमा कोशिका बनती है. इसी कोशिका के बार-बार के बंटवारे से हमारा विकास होता है.
जब हम 18 वर्ष की उम्र तक पहुंचते हैं तब तक हमारे शरीर की कोशिकाएं अरबों बार बंट चुकी होती हैं.
कोशिकाओं के बंटने की ये प्रक्रिया बेहद नियंत्रित माहौल में होती है.
जैसे कि जब आपके हाथ की उंगलियां बनती हैं तो उस दौरान कई कोशिकाएं ख़ुदकुशी करती हैं. तब जाकर आपकी दो उंगलियों के बीच जगह बनती है.
कैंसर की बीमारी भी कोशिकाओं के बंटवारे से ही होती है. फ़र्क़ बस इतना होता है कि जहां शरीर के अंगों के विकास के वक़्त कोशिकाओं का विभाजन बेहद नियंत्रित माहौल में होता है.
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक टिमोथी वील कहते हैं कि कैंसर असल में कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया का बेक़ाबू हो जाना है.
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हमारे शरीर में कोशिकाओं के इस बंटवारे पर हमारे जीन का कंट्रोल होता है.
जब कोई जीन किसी वजह से ये ज़िम्मेदारी नहीं निभा पाता तो कोशिकाओं के विभाजन की प्रक्रिया आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है.
आम तौर पर ऐसा नहीं होता. कोशिकाओं के बंटवारे पर हमारे जीन्स की कड़ी निगाह होती है.
जब भी कोई कोशिका, सिस्टम से बाहर होने लगती है तो जीन्स के आदेश पर उसे क़त्ल कर दिया जाता है ताकि कोशिकाओं के बंटवारे का काम आउट ऑफ कंट्रोल न हो.
ब्रिटेन के वैज्ञानिक चार्ल्स स्वांटन कहते हैं कि कोशिकाओं के बंटवारे की इस प्रक्रिया का विकास लाखों साल में हुआ है.
इस पर जीन का नियंत्रण काफ़ी हद तक रहता है. मगर कई बार बात बेक़ाबू हो जाती है. तभी इंसान को कैंसर की बीमारी होती है.
ये बीमारी कुछ गिनी चुनी कोशिकाओं के बेक़ाबू होने से होती है. मगर ये इतनी तेज़ी से फैलती हैं कि इन्हें रोक पाना नामुमकिन सा हो जाता है.
ये कोशिकाएं बेकाबू तब होती हैं, जब इनमें कोई अंदरूनी बदलाव होता है, तब ये जीन्स का फरमान मानने से इंकार करके अपनी मनमर्ज़ी से बढ़ने लगती हैं.
ये हमारे अंदर, ट्यूमर या रसौली के तौर पर सामने आता है.
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