भारतीयों में होने वाले जीभ के कैंसर के दुर्लभ पी53 रूप की पहचान की है

Rare p53 form of tongue cancer is identified

एक नये अध्‍ययन में सीडीएफडी के वैज्ञानिकों ने भारतीयों में होने वाले जीभ के कैंसर के दुर्लभ पी53 रूप की पहचान की है, जिससे ये म्‍यूटेंट पी53 कैंसर का कारण बनता है.

हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगर प्रिंटिंग एंड डायग्‍नोस्टिक्‍स केन्‍द्र के बायोटेक्‍नोलॉजी वैज्ञानिकों ने एक नये तंत्र की खोज की है जो एक कैंसर रोधी प्रोटीन परिवर्तित होने पर कैंसर को और बढ़ने से रोकता है. इससे जीभ के कैंसर के लिए निकट भविष्‍य में एक नई थैरेपी मिल सकती है.

एक नये अध्‍ययन में सीडीएफडी के वैज्ञानिकों ने भारतीयों में होने वाले जीभ के कैंसर के दुर्लभ पी53 रूप की पहचान की है, जिससे ये म्‍यूटेंट पी53 कैंसर का कारण बनता है. इसके लिए उन्‍होंने सर्जरी के बाद मरीजों की जीभ के कैंसर के नमूने एकत्र किए और उसे टीपी53 नाम के एक जीन में बदलने के लिए स्‍क्रीनिंग की. यह जीन डीएनए में न्‍यूक्‍लीयोटाइड का अनुक्रम है, जो पी53 प्रोटीन तैयार करने के लिए सांकेतिक अंक है.

महत्व

यह पहला अवसर है जब’ एसएमएआरसीडी-1 को किसी प्रकार के कैंसर का संभावित चालक बताया गया है. इस अध्ययन में दी गई टिप्पणियों का महत्व है क्योंकि वे एक नए और संभावित तंत्र को प्रकट करते हैं जिसके द्वारा उत्परिवर्ती पी53 प्रोटीन कैंसर के विकास को रोकते हैं. अध्ययन के परिणामों को जीभ के कैंसर के इलाज के लिए विकसित करने के लिए नियोजित किया जा सकता है.

पी53 प्रोटीन

मनुष्‍य की कोशिकाओं में पी53 नाम का एक प्रोटीन होता है. यह काफी मददगार है, क्‍योंकि यह कोशिकाओं के विभाजन और क्षतिग्रस्‍त डीएनए की मरम्‍मत सहित अनेक मूलभूत कार्यों को नियंत्रित करता है. यह डीएनए के साथ प्रत्‍यक्ष रूप से जुड़कर कार्य करता है, जिससे प्रोटीन बनने में मदद मिलती है, जिसकी नियमित कोशिकीय कार्यों में आवश्‍यकता होती है साथ ही यह कैंसर विकसित होने से रोकने में प्रभावी भूमिका निभाता है.

यदि बीमारी बढ़ने लगती है, तो कैंसर को रोकने में इसकी क्षमता में काफी कमी आ जाती है. हाल के अध्‍ययनों से जानकारी मिली है कि कुछ विशेष और साधारण परिवर्तित पी53 रूप कैंसर की वृद्धि में सक्रिय रहते हैं.

खोज

एक नये अध्‍ययन में सीडीएफडी के वैज्ञानिकों ने भारतीयों में होने वाले जीभ के कैंसर के दुर्लभ पी53 रूप की पहचान की है, जिससे ये म्‍यूटेंट पी53 कैंसर का कारण बनता है. इसके लिए उन्‍होंने सर्जरी के बाद मरीजों की जीभ के कैंसर के नमूने एकत्र किए और उसे टीपी53 नाम के एक जीन में बदलने के लिए स्‍क्रीनिंग की. यह जीन डीएनए में न्‍यूक्‍लीयोटाइड का अनुक्रम है, जो पी53 प्रोटीन तैयार करने के लिए सांकेतिक अंक है.