कैंसर बीमारी के यह है दोस्त जो गहरी दोस्ती निभाते है।

Friends, cancer is a deadly disease and the entire house leaves no stone unturned to ruin the family.

जीवन भी इस फोटो की तरह बैलेंस होना चाहिए। 

हमारा काम है जागरूक करना लेकिन यह बात आपको अपने दिमाग में घुसाने के लिए आपको अपने जीवन में शिष्टाचार लाना होगा। दोस्तों कैंसर एक जानलेवा बीमारी है साथ ही पुरे घर परिवार को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ती। 

 

  • मोटापा अगर किसी के शरीर में फैट बढ़ जाता है तो उसका वजन बढ़ जाता है। इस फैट में मौजूद एंजाइम मेल हॉर्मोन को फीमेल हॉर्मोन एस्ट्रोजिन में बदल देते हैं। फीमेल हॉर्मोन ज्यादा बढ़ने पर ब्लड कैंसर, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट कैंसर और स‌र्विक्स (यूटरस) कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। हाई कैलरी, जंक फूड, नॉन-वेज ज्यादा लेने से समस्या बढ़ जाती है।

 

  • तंबाकू पुरुषों में कैंसर के करीब 60 फीसदी मामले मुंह और गले के कैंसर के होते हैं और इसके बाद आता है फेफड़ों का कैंसर। इन तीनों ही कैंसर की सबसे बड़ी वजह तंबाकू है। कैंसर के कुल 40 फीसदी मामले तंबाकू की वजह से होते हैं, फिर चाहे पीनेवाला तंबाकू (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का आदि) हो या फिर खाने वाला (गुटखा, पान मसाला आदि)।

 

  • फिजिकली ऐक्टिव न रहना फिजिकल एक्टिविटी या एक्सरसाइज न करने से कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। रोजाना कम-से-कम 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। हालांकि 45-60 मिनट एक्सरसाइज करना बेहतर है। इसमें कार्डियो एक्सरसाइज (ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, साइक्लिंग, स्वीमिंग आदि ) को जरूर शामिल करें।

 

  • शराब ज्यादा शराब पीना भी खतरनाक है। ज्यादा शराब पीने से मुंह, खाने की नली, गले, लिवर और ब्रेस्ट कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। अल्कॉहल और साथ में तंबाकू का सेवन कैंसर का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।

 

  • इन्फेक्शन हेपटाइटिस बी, हेपटाइटिस सी, एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) जैसे इन्फेक्शन कैंसर की वजह बन सकते हैं। हेपटाइटिस सी के इन्फेक्शन से लिवर कैंसर और एचपीवी से महिलाओं में सर्वाइकल और पुरुषों में मुंह का कैंसर हो सकता है। ये वायरस असुरक्षित सेक्स संबंधों से फैलते हैं।

 

  • फैमिली हिस्ट्री पैरंट्स या दादा-दादी, नाना-नानी आदि को कैंसर हुआ है तो अगली पीढ़ी को कैंसर होने के चांस करीब 10 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि अगर मां या पिता को कैंसर हुआ है तो बच्चे को होगा ही।

 

  • बार-बार एक्स-रे एक्स-रे, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड आदि की रेडियोऐक्टिव किरणें हमारे शरीर में पहुंचकर सेल्स की केमिकल गतिविधियां बढ़ा देती हैं जिससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जब जरूरी हो, तभी एक्स-रे या सीटी स्कैन आदि कराएं। इसलिए साल में 2 से 3 एक्स-रे काफी है।

 

  • प्रदूषण शहरों में बढ़ता प्रदूषण भी शरीर को वही नुकसान पहुंचा रहा है, जैसा बीड़ी-सिगरेट का धुआं पहुंचाता है। हवा में तय से ज्यादा मात्रा में मौजूद नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, ओजोन, लेड आदि हमारे शरीर में कैंसर करनेवाले केमिकल पैदा कर रहे हैं।

 

  • प्लास्टिक इस बात पर काफी रिसर्च हो चुकी है कि सभी तरह का प्लास्टिक एक वक्त के बाद गर्म करने पर केमिकल छोड़ने लगती हैं। बार-बार गर्म करने से प्लास्टिक कंटेनर्स के केमिकल्स टूटने शुरू हो जाते हैं और फिर ये खाने-पीने की चीजों में मिल जाते हैं। इससे कैंसर की आशंका हो सकती हैं। हालांकि पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस पर अभी रिसर्च चल रही हैं।