इस शोध से महिला और पुरुषों में कैंसर के अलग-अलग इलाज और रोकथाम में मदद मिल सकती है

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के शोधकर्ताओं ने एक महत्वपूर्ण बायोलॉजिकल मैकेनिज्म की खोज की है जिसमे  यह पता लगता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कैंसर का खतरा अधिक होता है। 

इस शोध से महिला और पुरुषों में कैंसर के अलग-अलग इलाज और रोकथाम में मदद मिल सकती है। अध्ययन के अनुसार, पुरुषों में कैंसर का खतरा अधिक होने की वजह लिंग-निर्धारण करने वाले वाई क्रोमोसोम के कुछ खास जीन की कार्यप्रणाली का खत्म होना हो सकता है। वाई क्रोमोसोम सिर्फ पुरुषों में ही होता है। यह अध्ययन नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। 

शोधकर्ताओं ने 9000 लोगों से मिले आंकड़े का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार के कैंसर से पीड़ित वाई क्रोमोसोम वाले मरीजों के जीन की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया। इस अध्ययन के नतीजों से पता चला कि विभिन्न कोशिकाओं में छह महत्वपूर्ण वाई क्रोमोसोम की कार्यप्रणाली नष्ट होने से विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। क्रोमोसोम कुंडलाकार धागे की तरह होते हैं, जिसमें डीएनए के रूप में जेनेटिक मैटेरियल और जीनोम को नियंत्रित करने वाले कुछ प्रोटीन होते हैं। चूंकि दो एक्स क्रोमोसोम वाला भ्रूण महिलाओं में विकसित होता है। वहीं, एक्स और एक वाई क्रोमोसोम पुरुषों में होता है। स्पेन के बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ के शोधकर्ता और अध्ययन के सह-लेखक रोमोन गोंजालेज ने बताया, हालिया अध्ययन से पता चला है कि बढ़ती उम्र के साथ कुछ पुरुषों की कोशिकाओं में वाई क्रोमोसोम (भ्रूण में लिंग निर्धारण के लिए जरूरी) पूरी तरह नष्ट हो जाता है। हालांकि, पहले ही पता चल चुका है कि वाई क्रोमोसोम नष्ट होने और कैंसर होने के बीच संबंध है। लेकिन, इसके पीछे की वजह पर अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया।’ 

शोधकर्ताओं के अनुसार, वाई क्रोमोसोम कोशिका की प्रतिकृति को नियंत्रित करता है और इसके विफल होने पर ट्यूमर हो सकता है। गोंजालेज ने बताया कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में कैंसर का खतरा अधिक होने के अलावा अन्य रोगों के लक्षण भी अधिक होते हैं। उन्होंने आगे बताया, ‘इन अंतरों की वजह से पुरुषों की आयु कम होती है।’ शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरुषों में कैंसर होने की वजह की पहचान करके भविष्य में इसके इलाज का कारगर तरीका खोजने में मदद मिलेगी।