ब्रेस्ट कैंसर ट्यूमर के लिए जिम्मेदार है ये DNA संरचना

22 ब्रेस्ट कैंसर ट्यूमर टिशूज पर रिसर्च के बाद टीम ने यह खोज की है।

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के फैंसिस क्रिक और जेम्स वॉटसन ने बताया था कि DNA दो स्ट्रैंड्स (धागों) में हमारे शरीर की कोशिकाओं (Cells) में पाया जाता है जो एक-दूसरे में मुड़े होते हैं (Double Helix)। बाद में इसी यूनिवर्सिटी के प्रफेसर सर शंकर बालासुब्रमण्यम और प्रफेसर स्टीव जैक्सन ने पाया कि DNA चार स्ट्रैंड्स में भी हो सकता है। अच्छी बात यह है कि इसी खोज के आधार पर यह भी पता लगाया गया है कि इस खास DNA संरचना का ब्रेस्ट कैंसर से सीधा संबंध है और इसे टार्गेट करके इलाज भी ईजाद किया जा सकता है।

DNA जिन न्यूक्लीइक ऐसिड से बना होता है उनमें से एक होता है गुआनीन (Guanine)। DNA के जिस भाग में ज्यादा गुआनीन होता है वहां एक सिंगल स्ट्रैंड बाहर की ओर निकलकर अपने आप में लूप की तरह उलझ जाता है जिससे आखिर में दो स्ट्रैंड की जगह चार स्ट्रैंड का 'हैंडल' तैयार होता है। इन्हें G-quadruplexes कहते हैं। खास बात यह है कि इस टीम के रिसर्च में पता चला है कि ये G-quadruplexes ऐसे जीन्स में होने की संभावना ज्यादा है जहां कोशिकाएं तेजी से डिवाइड हो रही हों, जैसे कैंसर सेल्स में होता है।

अब पहली बार टीम ने यह खोज की है कि ही G-quadruplexes ब्रेस्ट कैंसर के ट्यूमर टिशू में भी होते हैं। 22 ब्रेस्ट कैंसर ट्यूमर टिशूज पर रिसर्च के बाद टीम ने यह खोज की है। पहले से प्रिजर्व किए गए ट्यूमर को चूहों में ट्रांसप्लांट कर बढ़ाया गया। DNA रेप्लिकेशन और सेल डिविजन के दौरान जीनोम के बड़ा हिस्सा गलत तरीके से कॉपी होता है जिससे copy number aberrations (CNA) पैदा होते हैं। टीम ने अपनी रिसर्च में पाया कि इन CNA में G-quadruplexes बड़ी संख्या में थे, खासकर उन जीन्स और जेनेटिक हिस्सों में जो ट्रांसक्रिप्शन में भूमिका निभाते हैं। इससे ट्यूमर के विकास पर असर पड़ता है।

खास बात यह है कि ब्रेस्ट कैंसर की करीब 11 अलग-अलग श्रेणियां होती हैं और ट्रांसकिप्शन में अंतर के आधार पर हर किसी में G-quadruplexes भी अलग तरह के होते हैं। इसे ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी एक अहम कड़ी के तौर पर देखते हुए बेहतर इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। हर प्रकार के ब्रेस्ट कैंसर के लिए अलग इलाज हो सकता है। किसी सिंथेटिक मॉलिक्यूल की मदद से G-quadruplexes को टार्गेट करके कोशिकाओं को DNA रेप्लिकेट करने से रोका जा सकता, इससे कोशिकाएं डिवाइड भी नहीं होंगी। टीम का मानना है कि pyridostatin और CX-5461 मॉलिक्यूल की मदद से ऐसा किया जा सकता है।