ब्लड कैंसर क्या है लक्षण और बचाव।

ब्लड कैंसर के लक्षण (Blood Cancer Symptoms)

भागदौड़ भरी जिंदगी, बदलते लाइफस्टाइल और गलत खान-पान के कारण लोगों को कई बीमारियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें से एक है ब्लड कैंसर(Blood Cancer) यानि ल्यूकीमिया। ब्लड कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्तियों को हो सकता है लेकिन 30 साल के बाद इसके होने का खतरा ज्यादा होता है।
आप जानते हैं कि हमारा खून 2 तरह के सेल्स से मिलकर बना होता है, जिन्हें रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कणिकाएं) और व्हाइट ब्लड सेल्स (सफेद रक्त कणिकाएं) कहा जाता है। हमारे शरीर में पर्याप्त खून होना बहुत जरूरी है क्योंकि शरीर के अंगों तक ऑक्सीजन और दूसरे पोषक तत्व खून के माध्यम से ही पहुंचते हैं। ब्लड कैंसर की शुरुआत बोन मैरो से होती है क्योंकि खून वहीं बनता है। 

 

ब्लड कैंसर मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • ल्यूकेमिया- यह ब्लड कैंसर का प्रमुख प्रकार है, जिसमें सफेद रक्त सेल की मात्रा लाल रक्त सेल की तुलना में काफी ज्यादा हो जाती है।अक्सर, ऐसा देखा गया है कि कुछ लोगों में ल्यूकेमिया कैंसर की शुरूआत धीरे-धीरे होती है और कुछ समय के बाद यह काफी घातक रूप ले लेता है।

  • ल्यूमफोमा- जब किसी व्यक्ति के शरीर में लिम्फोसाइट का विकास असामान्य तरीके से हो जाता है, तो उस स्थिति को ल्यूमफोमा कहा जाता है।हालांकि, इसका इलाज दवाईयों अथवा रेडिएशन थेरेपी के द्वारा संभव है, लेकिन यदि यह लंबे समय तक लाइलाज रह जाता है तो उस स्थिति में इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है।

  • माइलोमा- माइलोमा कैंसर से तात्पर्य ऐसे कैंसर से है, जिसमें प्लासमा सेल प्रभावित होता है और इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।इस कैंसर की वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती है और उस स्थिति में डॉक्टर कैल्शियम की गोलियां देते हैं ताकि उसके शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ सके।

 

ब्लड कैंसर मुख्य रूप से इन 5 कारणों से हो सकता है-

 

  • ब्लड कैंसर की बीमारी ऐसे लोगों  में होनी की संभावना अधिक रहती है, जिनकी रोग-प्रतिरोधक (Immunity power) कम होती है।हालांकि, इस समस्या को कुछ सामान्य दवाईयों का सेवन करके ठीक किया जा सकता है,  लेकिन फिर भी किसी भी कदम को उठाने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

  • कई बार, ब्लड कैंसर किसी तरह के संक्रमण का परिणाम भी हो सकता है।यदि कोई शख्स ऐसे किसी संक्रमण से पीड़ित है तो उसे इसका इलाज तुरंत  कराना चाहिए ताकि उसे कोई गंभीर बीमारी न हो।

  • अक्सर, कैंसर का इलाज करने के लिए रेडिएशन थेरेपी को किया जाता है, लेकिन कई बार यह थेरेपी असफल साबित हो जाती है।इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती है, जिनमें ब्लड कैंसर भी शामिल हैं।

  • बहुत सारी बीमारियां आनुंविशिकी की वजह से होती है। इनमें ब्लड कैंसर भी शामिल है। इसी कारण जब कोई व्यक्ति तबियत खराब होने पर डॉक्टर के पास जाते हैं तो उस समय डॉक्टर इस बात की जांच करते हैं  कि उस व्यक्ति के परिवार किसी और सदस्यों को तो ब्लड कैंसर नहीं है।

  • ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नशीले पदार्थों का सेवन या धूम्रपान करते हैं, उसमे कई गंभीर बिमारियां होने की संभावना काफी अधिक रहती है।यह बात ब्लड कैंसर पर भी लागू होती है और इसी कारण सभी लोगों को ऐसी चीजों से दूर रहना चाहिए।

 

ब्लड कैंसर के लक्षण (Blood Cancer Symptoms)

  • एनीमिया या बुखार- ब्लड कैंसर के शुरुआती स्टेज में आपको एनीमिया जैसे संकेत दिखाई दे सकते हैं। हर समय थकावट, कमजोरी या हल्का-सा बुखार भी ब्लड कैंसर का संकेत होते हैं।

  • गले में सूजन -ब्लड कैंसर होने पर गले या अंडरआर्म्स में हल्का दर्द और सूजन आ जाती है। इसके अलावा अगर आपके पैरों में लगातार सूजन और सीने में जलन रहती है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाए क्योंकि ये ब्लड कैंसर के शुरूआती लक्षण है।

  • बार-बार इंफेक्शन होना- ब्लड कैंसर होने पर व्यक्ति बार-बार इंफेक्शन का शिकार होता है। दरअसल ब्लड कैंसर में रोगी के खून में कुछ ऐसे सेल्स विकसित हो जाते हैं, जो स्वस्थ सेल्स को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। चूंकि हमारे शरीर के हर अंग तक खून पहुंचता है, इसलिए इसके लक्षण भी शरीर के किसी भी अंग में दिख सकते हैं। आमतौर पर ब्लड कैंसर होने पर रोगी को त्वचा का इंफेक्शन (जैसे- त्वचा का लाल, काला या भूरा रंग हो जाना, चकत्ते या दाने हो जाना), फेफड़ों का इंफेक्शन, गले और मुंह का इंफेक्शन आदि होने लगता है। एक साथ कई इंफेक्शन भी हो सकते हैं।

  • चोट लगने पर खून बंद न होना- हमारे शरीर में जब भी चोट लगती है या खरोंच आती है, तो थोड़े समय में ही खून बहना अपने आप बंद हो जाता है। इसका कारण यह है कि बाहरी हवा के संपर्क में आने पर खून के जमने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। मगर ब्लड कैंसर के रोगी में ऐसा नहीं होता है। अगर किसी व्यक्ति को चोट लगने पर उसका खून बहना थोड़ी देर में बंद नहीं होता है या घाव भरने में सामान्य से ज्यादा समय लगता है, तो ये ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है। चोट के अलावा बिना कारण नाक या मसूड़ों से खून निकलने लगना और पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में खून निकलना भी इसके संकेतों में शामिल हैं। इसलिए एक बार चिकित्सक से मिलकर जांच जरूर करवाएं।

  • हर समय थकान और सुस्ती- थकान और सुस्ती बहुत सामान्य लक्षण हैं, जो आपको अक्सर ही अपने अंदर दिखाई दे सकते हैं। मगर यदि थकान के कारण आपको रोजमर्रा के कामों में परेशानी आने लगे और आप दिनभर सुस्त रहते हैं, तो एक बार जांच करवाएं। ये ब्लड कैंसर का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है।

  • तेजी से वजन कम होना - अगर आपको अचानक अपने वजन में कमी लग रही है, तो सबसे पहले अपना वजन चेक करें। अगर महीने भर के भीतर ही बिना किसी प्रयास के आपका वजन 2.5 किलो से ज्यादा कम हो गया है, तो ये शरीर में किसी समस्या का संकेत हो सकता है। ब्लड कैंसर होने पर भी व्यक्ति का वजन बिना कारण कम होने लगता है।

  • जोड़ों में दर्द होना- जोड़ों में दर्द की समस्या को भी हम बहुत सामान्य मान लेते हैं। आमतौर पर जोड़ों में दर्द के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अर्थराइटिस, गठिया, थकान, चोट, हड्डियों की कमजोरी आदि शामिल हैं। मगर ब्लड कैंसर के कारण भी आपको अपने जोड़ों और हड्डियों में दर्द का अनुभव हो सकता है।

  • भूख कम लगना और पेट के रोग- ब्लड कैंसर आपके पाचनतंत्र को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। यही कारण है कि ब्लड कैंसर होने पर लोगों को भूख कम लगने लगती है और पेट के कई रोग जैसे- कब्ज, अपच, मल के साथ खून आना, पेशाब के साथ खून आने जैसे लक्षण दिखते हैं। अगर आपको ये लक्षण दिखाई दें, तो अपने चिकित्सक से इसका कारण जानने की कोशिश करें।

  • लिम्फ नोड्स का बढ़ना- लिम्फ नोड्स में या गले में सूजन या एक गांठ पड़ जाती है। लिम्फ नोड्स में परिवर्तन होना भी ब्लड कैंसर का संकेत हो सकता है। इसलिए बिना देर किए डॉक्टर से जांच करवाएं। 

  • सोते समय पसीना- अगर सही मौसम में भी आपको रात को सोते समय खूब पसीना आए तो इसे अनदेखा न करें। यह ब्लड कैंसर का लक्षण है। बेहतर होगा कि समय रहते अपनी जांच करवा लें।

  • पेट की समस्यायें - असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं लिवर में जमा होने से एकत्र हो जाती हैं जिससे पेट में सूजन और अन्य समस्याएं हो जाती है। इस तरह की सूजन से आपकी भूख भी कम हो सकती है। थोड़ा सा खाने पर ही आपका पेट भरा लगने लगता है। ऐसे में आपको डॉक्‍टर से जरूर संपर्क करना चाहिये।

  • अन्य लक्षण 
  • पेशाब में आने वाले खून
  • शौच के रास्ते खून आना
  • खांसी के दौरान खून का आना
  • स्तन में गांठ
  • कुछ निगलने मेंपरेशानी 
  • मीनोपॉस के बाद खून आना
  • प्रोस्टेट के परीक्षण के असामान्य परिणाम

 

ब्लड कैंसर के स्टेज। 

ल्यूकेमिया का निदान होने के बाद उसकी स्टेजिंग की जाती है। एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया (AML) और एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (ALL) की स्टेजिंग कोशिकाओं के प्रकार और कैंसर कोशिकाएं माइक्रोस्कोप के नीचे कैसी दिखती हैं इस आधार पर की जाती है। निदान के समय WBC गणना के आधार पर एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया (ALL) और क्रोनिक लिम्फोसाइटैटिक ल्यूकेमिया (CLL) की स्टेजिंग की जाती है। रक्त और अस्थि मज्जा में अपरिपक्व सफेद रक्त कोशिकाओं, या मायलोब्लास्ट (Myeloblast) की उपस्थिति के आधार पर एक्यूट माइलोजीनस ल्यूकेमिया (AML) और क्रोनिक माइलोजीनस ल्यूकेमिया (CML) की स्टेजिंग की जाती है।


ल्यूकेमिया स्टेजिंग और रोग का निदान करने वाले कारक:

  • सफेद रक्त कोशिका या प्लेटलेट गिनती।
  • आयु। 
  • पूर्व रक्त विकारों का इतिहास।
  • क्रोमोसोम म्यूटेशन या असामान्यताएं।
  • हड्डियों को किसी प्रकार का नुकसान।
  • बढ़ा हुआ यकृत या प्लीहा।

 

ब्लड कैंसर की जांच  (Blood Cancer Diagnosis ) 

जांच और विभिन्न स्टेज बीमारी की गंभीरता और उपयुक्त इलाज को जानने की एक सामान्य प्रक्रिया होती है। जिसके मुताबिक डॉक्टर और स्पेशलिस्ट उपयुक्त इलाज बताता है। ब्लड कैंसर के लिए निम्न टेस्ट किए जाते हैं...

1. ब्लड टेस्ट

इस टेस्ट में पीड़ित का ब्लड सैंपल लिया जाता है और उसके बाद ब्लड कैंसर के लक्षण जानने को कोशिश की जाती है, जिससे ब्लड कैंसर होने या न होने की पुष्टि की जा सके।

2. बोन मैरो की जांच

ब्लड टेस्ट के बाद बोन मैरो की बेहद गंभीरता के साथ जांच की जाती है। क्योंकि बोन मैरो हमारी हड्डियों के अंदर भरा हुआ एक मुलायम टिशू होता है। जो शरीर में रक्त का उत्पादन करने में अहम भूमिका निभाता है। एक व्यस्क के शरीर में बोन मैरो का भार लगभग 4% होता है।

3. इमेजिंग परीक्षण जांच

इन जांचों के माध्यम से शरीर में कैंसर होने की पुष्टि, कैंसर फैलने की गति और प्रभावित अंग की स्थिति को जानने में मदद मिलती है। जिससे उपयुक्त इलाज में आसानी होती है।

4. शारीरिक जांच

ब्लड टेस्ट, बोन मैरो टेस्ट और इमेजिंग परीक्षण जांच के बाद पीड़ित व्यक्ति की शारीरिक जांच की जाती है। जिसमें उसके शरीर में आने वाले बदलाओं के बारे में जाना जाता है।

5. सर्जिकल लिम्फ नोड हटाना

अगर इन सभी टेस्ट से ब्लड कैंसर या अन्य बीमारी की पुष्टि होती है, तो आखिर में कैंसर की मूल जड़ को सर्जरी करके निकाल दिया जाता है। जिसे शरीर के बाकी अंगों को कैंसर के दुष्प्रभावों से बचाया जा सके।

 

ब्लड कैंसर का इलाज। 

  • कीमोथेरेपी - ल्यूकेमिया के लिए कीमोथेरेपी उपचार का प्रमुख रूप है। इस उपचार में ल्यूकेमिया कोशिकाओं को मारने के लिए रसायनों का उपयोग किया जाता है।आप ल्यूकेमिया के किस प्रकार से ग्रस्त हैं इस बात पर ध्यान देते हुए, आपका एक या अधिक दवाओं के संयोजन से इलाज किया जा सकता है ये दवाएं गोली या इंजेक्शन के रूप में दी जाती हैं।
  • जैविक चिकित्सा - बायोलॉजिकल थेरेपी - जैविक चिकित्सा में उन उपचारों का उपयोग किया जाता है जो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को ल्यूकेमिया कोशिकाओं को पहचान कर ख़तम करने में सहायता करते हैं।
  • विकिरण उपचार (रेडिएशन थेरेपी ) - विकिरण चिकित्सा में ल्यूकेमिया कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने और उनके विकास को रोकने के लिए एक्स-रे या अन्य उच्च-ऊर्जा बीम का उपयोग किया जाता है।
    शरीर के किसी विशिष्ट क्षेत्र पर विकिरण का उपयोग किया जा सकता है या पूरे शरीर पर विकिरण का इस्तेमाल किया जा सकता है। स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए तैयार करने के लिए भी विकिरण चिकित्सा का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • स्टेम सेल प्रत्यारोपण - स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में आपके रोगग्रस्त अस्थि मज्जा को स्वस्थ अस्थि मज्जा (बॉन मैरो) के साथ बदला जाता है।स्टेम सेल प्रत्यारोपण से पहले, आपके रोगग्रस्त अस्थि मज्जा को नष्ट करने के लिए कीमोथेरेपी या विकिरण चिकित्सा की उच्च खुराक दी जाती है। फिर आपको रक्त बनाने वाले स्टेम कोशिकाओं का एक इंफ्यूज़न दिया जाता है जो अस्थि मज्जा को पुनः बनने में मदद करता है।