किडनी का कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । गुर्दों (किडनी) के कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

किडनी कैंसर के लक्षण kidney cancer k lakshan

हमारे शरीर में किडनी बहुत ही महत्वपूर्ण ऑर्गन है। शरीर में किडनी दो बीन के आकार के अंग होते हैं। ये साइज में इतने होते हैं कि इन्हें मुट्ठी में लिया जा सके। किडनी पेट के पीछे की ओर स्थित होती है। स्पाइन यानी रीढ़ के दोनो तरफ किडनी स्थित होती है। किडनी कैंसर वयस्कों के साथ ही बच्चों को भी हो सकता है। 

गुर्दों (kidney) के कैंसर (cancer) में गुर्दे की कोशिकाएं घातक रूप धारण कर लेती हैं और नियंत्रण से बाहर होकर एक ट्यूमर बना देती हैं। गुर्दे के लगभग सभी कैंसर पहले किडनी में छोटी ट्यूबों की भीतरी तह में पैदा होते हैं। 

किडनी का कैंसर होने से पहले शरीर कुछ संकेत देता है, जिन्हें पहचानकर इसकी सही समय पर जांच करवाना बहुत जरूरी है। किडनी का कैंसर किसी को भी हो सकता है मगर आमतौर पर इसका खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जो मोटापे का शिकार होते हैं या सिगरेट और बीड़ी ज्यादा पीते हैं।

 

गुर्दों के कैंसर के लक्षण। 

  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
    वैसे तो पीठ के दर्द का सामान्य माना जाता है लेकिन यह किडनी कैंसर का लक्षण हो सकता है। अधिकांश लोग बीमारी के बढ़ने के बाद पीठ के निचले हिस्से पर दर्द का अनुभव करते हैं। यह दर्द आमतौर पर बहुत तेज होता है जिससे बहुत असुविधा हो सकती है। 

 

  • पेशाब में खून आना
    किडनी से संबंधित बीमारियों का पहला लक्षण है पेशाब में खून आना। पेशाब में खून होना अच्छी तरह से गुर्दे के कैंसर का संकेत कर सकते हैं। कभी-कभी पेशाब में खून की मात्रा इतनी कम होती है कि इसका परीक्षण कर के ही पता लगाया जा सकता है। इसलिए अगर आपको पेशाब में खून दिखे तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

 

  • शरीर में खून की कमी
    गुर्दे रेड ब्लड कोशिकाओं के उत्पादन को भी नियंत्रित करता है। गुर्दे के कैंसर से रेड ब्लड सेल्स का उत्पादन कम हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को एनीमिया की शिकायत हो सकती है। एनीमिया के कारण आप अधिक समय थकावट महसूस कर सकते हैं। 

 

  • तेजी से वजन घटना
    अगर आपके कोशिश किए बिना तेजी से वजन घट रहा है तो यह चिंताजनक विषय है। यह किडनी कैंसर का संकेत हो सकता है। जैसे ही ट्यूमर फैलता है आपको कम भूख लग सकती है। जिससे आपको कम खाना पड़ेगा इससे आपका वजन कम हो सकता है। 

 

अन्य लक्षण 

  • पेट में गांठ
  • पेट के एक तरफ दर्द होना, जो ठीक नहीं होती
  • बिना कारण वजन कम होना बुखार जो हफ्तों तक रहता है जोकि जुकाम या अन्य संक्रमणों के कारण नहीं होता
  • बहुत अधिक थकावट
  • खून की कमी
  • टखनों या टांगों में सूजन गुर्दों के कैंसर से शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से कुछ और लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे कि -सांस लेने में तकलीफ  -खांसी के साथ खून आना  -हड्डियों में दर्द
  • रात में सोते समय पसीना आना
  • थकान और आलस
  • अंदर से बीमार महसूस करना

शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता हुआ किडनी कैंसर निम्नलिखित लक्षण पैदा कर सकता है -

  • सांस फूलना।
  • खांसी में खून आना।
  • हड्डी में दर्द होना।

 

 

किडनी कैंसर के कारण। 

कैंसर आमतौर पर तब शुरू होता है। जब डीएनए संरचना में परिवर्तन होता है। परिवर्तन के कारण कोशिकाएं अनियंत्रित हो जाती है। जिसकी वजह से ट्यूमर बनती है।

  • लम्बे समय से धूम्रपान करना
  • हाई बीपी होना
  • अधिक उम्र वाले लोगो में किडनी कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है
  • लम्बे समय से डायलिसिस होना
  • गुर्दे का कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषो में अधिक होता है
  • मोटापा
  • पॉलीसिस्टिक गुर्दे के रोग से ग्रस्त होना।
  • कार्यस्थल में विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना।

 

गुर्दे के कैंसर (किडनी कैंसर) से बचाव ।

गुर्दे के कैंसर से बचने का कोई उपाय नहीं हैं लेकिन निम्नलिखित तरीकों से इसका जोखिम कम किया जा सकता है ।

  • धूम्रपान करना गुर्दे के कैंसर का कारण बन सकता है, इसीलिए धूम्रपान न करना गुर्दे के कैंसर के जोखिम को कम कर सकता है। 
  • मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर भी गुर्दे के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। फलों और सब्जियों से समृद्ध भोजन करना, व्यायाम करना, हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करवाना और एक स्वस्थ वजन बनाए रखने से किडनी कैंसर का जोखिम कम हो सकता है।
  • अपने कार्यस्थल पर हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से बचें।

 

किडनी कैंसर के प्रकार।

किडनी कैंसर के चार प्रकार होते है।

  • रीनल सेल का र्सिनोमा - यह लगभग 90% किडनी कैंसर के मामलों का कारण बनता है। यह किडनी के भीतर छोटी नलिकाओं की लाइनिंग से उत्पन्न होता है।
  • ट्रान्सिशनल सेल कार्सिनोमा - यह 5 से 10 प्रतिशत किडनी कैंसर के मामलों का कारण बनता है। इसको यूरोथेलियल कार्सिनोमा के नाम से भी जाना जाता है।
  • विल्म्स ट्यूमर - इस ट्यूमर को नेफ्रोब्लास्टोमास के नाम भी जाना जाता है। यह आमतौर पर बच्चों में पाया जाता है।
  • रीनल सारकोमा - यह किडनी कैंसर के मामलों का सिर्फ एक प्रतिशत का ही कारण होता है। इसका इलाज अन्य सारकोमा के समान किया जाता है।

 

गुर्दे के कैंसर (किडनी कैंसर) के चरण। 

  • पहला स्टेज 
    पहले स्टेज  का मतलब है कि ट्यूमर 7 से.मी. (2¾ इंच) से कम माप का है और गुर्दे तक ही सीमित है।
  • दूसरा स्टेज 
    दूसरे स्टेज  का अर्थ है कि ट्यूमर का माप 7 से.मी. (एक टेनिस बॉल के माप के बराबर) से अधिक है और यह गुर्दे तक ही सीमित है।
  • तीसरा स्टेज 
    तीसरे स्टेज का मतलब है कि ट्यूमर किसी भी आकार का हो सकता है, यह किडनी से लेकर आसपास के ऊतकों तक फैल गया है और यह क्षेत्रीय लिम्फ नोड्स में भी फैला हुआ हो सकता है। ट्यूमर प्रमुख नसों या अधिवृक्क ग्रंथि में मौजूद है और गुर्दे व अधिवृक्क ग्रंथि के आस-पास वाले रेशेदार ऊतक के भीतर है।
  • चौथा स्टेज 
    चौथे स्टेज  का मतलब है कि ट्यूमर गुर्दे और गुर्दे व अधिवृक्क ग्रंथि के आस-पास वाले रेशेदार ऊतक के बाहर फैल गया है या यह कई लसीका नोड्स या शरीर के दूर के हिस्सों जैसे हड्डियों, मस्तिष्क, लीवर या फेफड़ों में फैल गया है।

 

गुर्दे के कैंसर की जांच।

  • पेशाब की जांच: पेशाब में खून या अन्य समस्याओं की जांच की जाती है।
  • खून की जांच: इससे पता चलता है कि आपके गुर्दे कितनी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं।
  • इंट्रावेनस पाइलोग्राम: इसमें गुर्दों के एक्स-रे किए जाते हैं। डॉक्टर एक डाई का टीका लगाते हैं जो किसी भी ट्यूमर को दर्शाते हुए पेशाब के रास्ते की ओर सफर करती है।
  • अल्ट्रासाउंड: आपके गुर्दों की तस्वीर बनाने के लिए किरणों का इस्तेमाल करता है। यह बताने में सहायता कर सकता है कि ट्यूबमेट ठोस है या तरल।
  • सीटी स्कैन: सीटी स्कैन पाइलोग्राम तथा अल्ट्रासाउंड का मिश्रण है।
  • रीनल आर्टीरिओग्राम : इस परीक्षण का उपयोग आपके ट्यूमर को रक्त की आपूर्ति का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग अक्सर नहीं किया जाता है लेकिन छोटे ट्यूमर का निदान करने में इस परीक्षण से मदद मिल सकती है।

 

किडनी कैंसर का इलाज ।

  • किडनी कैंसर का इलाज  ट्यूमर को शरीर से हटाने के लिए किया जाता है। इसे आमतौर पर सर्जरी के माध्यम से हटाया जाता है।
  • रेडिकल नेफ्रेक्टोमी - इसमें आपके शरीर से किडनी को निकाल दिया जाता है। किडनी के साथ साथ कुछ आस पास के लिम्फ नॉड्स भी हटाए जाते है। रेडिकल नेफ्रेक्टोमी में अधिरवक्क ग्रंथि को भी हटा सकते है।
  • कंज़र्वेटिव नेफ्रेक्टोमी - कंज़र्वेटिव नेफ्रेक्टोमी में किडनी को नहीं निकाला जाता। इसमें केवल लिम्फ नॉड्स, ट्यूमर और आस पास के उत्तको को निकाला जाता है। इसको नेफ्रोन स्पेरिंग नाम से भी जाना जाता है।
  • दवाएं- दवाएं भी किडनी कैंसर की कोशिकाओं में मौजूद असामान्य संकेतो को रोकने में मदद करती है।