न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से कैसे बचा जा सकता है ?

क्यों होता है यह ट्यूमर (Neuroendocrine Tumor Reasons)

क्या होता है एंडोक्राइन या न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर Neuroendocrine tumor
कोई ट्यूमर तब बनता है जब स्वस्थ कोशिकाओं में परिवर्तन होना शुरू होता है और वे बेहिसाब बढ़ना और एक पिंड का आकार लेना शुरू कर देती हैं। यह ट्यूमर कैंसरकारी या अकैंसरकारी (बेनाइन) हो सकता है। कैंसरकारी ट्यूमर असाध्य होता है अर्थात अगर जल्दी ही इसका निदान और उपचार न हो तो यह बढ़कर शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। जबकि अकैंसरकारी ट्यूमर को बिना किसी हानि के सर्जरी द्वारा निकाला जा सकता है।

एंडोक्राइन ट्यूमर एक ऐसा पिंड होता है जो शरीर के ऐसे भागों में बनता है जो हार्मोन का उत्पादन करते हैं। क्योंकि एंडोक्राइन ट्यूमर उन कोशिकाओं में बनता है जो हार्मोन बनाती हैं, इसलिए कोशिकाओं के साथ साथ ट्यूमर भी हार्मोन का उत्पादन कर सकता है। इससे गंभीर बीमारी हो सकती है।

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर Neuroendocrine tumor शरीर के न्यूरोएंडोक्राइन तंत्र की हार्मोन बनाने वाली कोशिकाओं में बनता है, जो हार्मोन उत्पादक एंडोक्राइन कोशिकाओं और तंत्रिका कोशिकाओं का संयोजन होती हैं। आमतौर से इसकी वृद्धि बहुत धीमी गति से होती है। आरम्भिक अवस्था में इसके कोई लक्षण भी दिखायी नहीं देते और जब इसका पता चलता है तो यह शरीर के कई अंगों में फैल चुका होता है।
यह ट्यूमर व्यक्ति एंडोक्राइन सिस्टम में सेल्स को होने वाले डैमेज से शुरु होता है। जहां, क्षतिग्रस्त सेल्स में बेतहाशा ढंग से बदलाव होता है और ये डेड या डैमेज़्ड सेल्स जमा होकर एक गांठ का आकार ले लेते हैं। इस ट्यूमर से हार्मोन्स का निर्माण प्रभावित करता है। जिसमें अंत: स्रावी ग्रंथियों के कार्य पर असर पड़ता है। गौरतलब है कि ये ग्लैंड्स या ग्रंथियां नर्वस सिस्टम द्वारा कंट्रोल की जाती हैं और शरीर में हार्मोन्स के प्रसार के संकेत देती हैं। एक्सर्ट्स के अनुसार न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर ट्यूमर के उन टाइप्स में से है जिन्हें रेयर या दुर्लभ माना जाता है। यह किसी भी बॉडी पार्ट में हो सकता है। लेकिन, आमतौर पर यह ट्यूमर लंग्स, अग्नाशय, छोटी आंत, अपेन्डिक्स और रेक्टम पर असर डालता है।

क्योंकि न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं पूरे शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि फेफड़ों, अमाशय एवं आंतों सहित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टैक्ट में पायी जाती हैं। न्यूरोएंडोक्राइन कोशिकाएं कुछ विशिष्‍ट काम करती हैं जैसे कि फेफड़ों से होकर गुजरने वाले वायु एवं रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करना और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल टैक्ट से आहार का तेजी से गुजरना आदि। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर Neuroendocrine tumor कई प्रकार के हो सकते हैं, यह इस पर निर्भर करता है कि वह शरीर के किस भाग में विकसित हुआ है। सामान्यतया न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर Neuroendocrine tumor आहार नली या अग्नाशय में विकसित होता है। इस ट्यूमर को सामूहिक रूप से गैस्ट्रोएंटीरोपैक्रिएटिक न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर Neuroendocrine tumor कहते हैं।

शरीर का एंडोक्राइन सिस्टम यानी अंत:स्त्रावी बॉडी सेल्स से बना होता है जो हार्मोन्स पैदा करता है। यह हार्मोन्स और कुछ नहीं कैमिकल सत्व (सबस्टांस) होते हैं जो रक्तवाहिनियों के जरिए प्रवाह करते हैं और शरीर के अन्य अंगों को कार्य करने में मदद करते हैं।

न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर शरीर के उन हिस्सों में बनता है, जहां हार्मोन्स बनते और रिलीज होते हैं। जिन सेल्स में यह ट्यूमर पैदा होता है वह हार्मोन्स बनाने वाले एंडोक्राइन सेल्स और नर्व सेल्स का कॉम्बीनेशन होते हैं।  न्यूरोक्राइन सेल्स पूरे शरीर में पाए जाते हैं, जैसे- फेफड़ों में, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट जिसमें पेट और आंत भी आते हैं। न्यूरोक्राइन सेल्स हमारे शरीर में कई तरह के काम करते हैं, जैसे शरीर में हवा और खून के बहाव को फेफड़ों के जरिए बनाए रखना आदि।

ट्यूमर क्या होता है?


ट्यूमर शरीर में मौजूद सेल्स का वह भाग है जो कंट्रोल से बाहर होकर अचानक बढ़ने लगता है। धीरे-धीरे यह मांस के एक लोथड़े के रूप में इकट्ठा होने लगता है। हालांकि हर बार ट्यूमर खतरनाक नहीं होता है। कई बार इसमें कैंसर पनप जाता है और कई बार यह बिना किसी परेशानी के शरीर में यूं ही पड़ा भी रहता है। 

ट्यूमर घातक हो सकता है।

कैंसर युक्त ट्यूमर घातक होता है और अगर इसका शुरुआती चरण में पता न चले तो यह तेजी से बढ़कर शरीर के अन्य अंगों में भी फैल जाता है। जबकि ऐसा ट्यूमर जिसमें कैंसर नहीं है वह बढ़ता तो है, लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में नहीं फैलता और इसे बिना किसी नुकसान के आसानी से हटाया भी जा सकता है।

 

 

ये समस्याएं हो सकती हैं न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर के लक्षण।

  • तेज़ी से वजन बढ़ना या कम हो जाना
  • बहुत अधिक थकान
  • डायरिया यानि दस्त
  • चेहरे और गर्दन की चमड़ी लाल हो जाना
  • सांस लेने में परेशानी
  • हार्ट बीट बढ़ना
  • हाई ब्लड प्रेशर
  • कमजोरी
  • पेट में दर्द और क्रैम्स यानि ऐंठन
  • पेट में भारीपन महसूस होना
  • बिना वजह तेजी से वजन बढ़ना या घटना
  • एंकल्स, पांवों और घुटनों में सूजन
  • स्किन रैशेज़
  • हाई ब्लड शुगर लेवल
  • बार-बार पेशाब आना
  • भूख और प्यास बहुत ज़्यादा लगना
  • स्ट्रेस, चक्कर आना, बेहोश हो जाना और उल्टी-बुखार

 

 

क्यों होता है यह ट्यूमर (Neuroendocrine Tumor Reasons)

 

  • जेनेटिक्स: हालांकि, कुछ मामलों में न्यूरोएंड्रोकाइन ट्यूमर अनुवांशिक कारणों यानि जेनेटिक्स की वजह से हो सकता है। लेकिन, इसके अलावा रोग-प्रतिरोधक शक्ति (इम्यून सिस्टम) के वीक होने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

 

  • यूवी किरणें : सूरज की अल्ट्रा-वायलेट किरणों के अधिक सम्पर्क में रहने से भी कई प्रकार की बीमारियों का ख़तरा बढ़ जाता है। न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर की एक वजह धूप भी हो सकती है।

 

  • उम्र  : फीयोक्रोमोसाइटोमा (Pheochromocytoma), जो कि इस ट्यूमर का एक प्राकर है, 40 से 60 साल के लोगों को सबसे अधिक होता है। इसके अलावा मेर्केल सेल कैंसर 70 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए सामान्य है।

 

  • डायबिटीजः जो लोग लंबे समय तक डायबिटीज से पीड़ित होते हैं, उनमें न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर बनने का खतरा बढ़ जाता है। यह खतरा विशेष रूप से स्त्रियों में होता है।

 

  • लिंग : महिलाओं की तुलना में पुरुषों में फीयोक्रोमोसाइटोमा विकसित होने की संभवना बहुत अधिक होती है। यदि अनुपात में देखें तो अगर दो महिलाओं में फीयोक्रोमोसाइटोमा विकसित होता है तो 3 पुरूष इस बीमारी के शिकार होते हैं। इसके अलावा मेर्केल सेल कैंसर का विकास भी महिलाओं की तुलना में पुरूषों में अधिक होता है।

 

 

तीन तरह के न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर।

  1. फियोक्रोमोसाइटोमा
  2. मेर्केल सेल कैंसर
  3. न्यूरोएंडोक्राइन कार्सिनोमा

 

न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज।


इस ट्यूमर का इलाज करने के लिए सबसे पहले जानना जरूरी होता है कि आखिर यह शरीर के किस हिस्से में है। आमतौर पर इसे सर्जरी, दवाओं , रेडिएशन थेरेपी और कीमोथिरैपी द्वारा किया जाता है। जिसमें डॉक्टर पहला चरण सर्जरी चुनते हैं। जिसमें डॉक्टर्स ट्यूमर सहित उसके आसपास के प्रभावित लिम्फ नोड्स को निकाल देते हैं। जिसके बाद मरीज की आवश्कताओं को देखते हुए दवाएं देते हैं। 

  • सर्जरी -फीओक्रोमोसाइटोमा और मर्केल कोशिका कैंसर के लिए सर्जरी ही प्रमुख उपचार है। सर्जरी के दौरान, डॉक्टर ट्यूमर के साथ, उसके आस पास की कुछ स्वस्थ कोशिकाओं को भी निकाल देते हैं। इसके लिए अधिकतर लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की जाती है। अगर सर्जरी से ट्यूमर को निकालना संभव न हो डॉक्टर दूसरे उपचारों की सलाह देते हैं।
  • रेडिएशन थिरैपी- में ट्यूमर कोशिकाओं को नष्‍ट करने के लिए उच्च ऊर्जा एक्स-किरणों या अन्य कणों का प्रयोग किया जाता है। आमतौर से रेडिएशन थिरैपी की सलाह तब दी जाती है जब ट्यूमर ऐसे स्थान पर हो जहां सर्जरी कर पाना कठिन या असंभव हो। जब न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर फैलने लगता है, तब भी रेडिएशन थिरैपी की जाती है।
  • कीमोथिरैपी- में कोशिकाओं के बढ़ने और विभाजित होने की क्षमता को रोक कर, ट्यूमर कोशिकाओं को नष्‍ट किया जाता है। इसमें शरीर के किसी भी भाग में ट्यूमर कोशिकाओं तक रसायनों को रक्त प्रवाह के जरिए पहुंचाया जाता है। 


आपको बता दें कि स्टीव जॉब्स को भी अग्नाशय न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर था। जिसके कारण 2011 में उनकी मौत हो गई थी। 
फिल्म स्टार इरफान खान को भी यह न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर था और 2020 में उनकी मौत हो गई।