पेट का कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । पेट के कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

Symptoms of stomach cancer.

आधुनिक जीवनशैली में कैंसर के रोगियों की संख्‍या तेजी से बढ़ रही है। फेफड़े के बाद पेट का कैंसर, कैंसर से होने वाली मौत के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है। यह कैंसर कोशिकाओं के फैलने से होता है। इसे 'गैस्ट्रिक कैंसर' के नाम से भी जाना जाता है।


भारत में हर साल पेट के कैंसर के करीब 62,000 मामले सामने आते हैं और यहां मृत्यु दर करीब 80 फीसदी है। इसके अलावा पेट के कैंसर के मामले उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में अधिक देखने को मिलते हैं, जिनमें से सबसे अधिक मामले मिजोरम से सामने आए हैं।

अगर इसके शुरुआती लक्षणों को समय से पहचान लिया जाएं तो इस खतरनाक बीमारी से आप आसानी से बच सकते है।  पेट की अंदरूनी सतह की कोशिकाएं बिना रोकटोक बढ़कर कैंसर वाले ट्यूमर में बदलने लगें तो इसे पेट का कैंसर कहते हैं। यों तो पेट का कैंसर दूसरे कैंसरों की तुलना में कम होता है लेकिन इसका सबसे खतरनाक पहलू यह है कि इसके शुरुआती लक्षण आसानी से पकड़ में नहीं आते।

 

पेट के कैंसर का लक्षण

1. लगातार उल्‍टी और जी मिचलाने की शिकायत हो
2. लगातार सीने में जलन बनी रहती हो
3. भूख में कमी, कभी-कभी अचानक वजन में कमी
4. लगातार पेट फूला रहे
5. जरा सा खाते ही पेट भर जाए
6. मल में खून आए
7. पीलिया की शिकायत हो
8. बहुत ज्‍यादा थकान हो
9. पेट में दर्द हो जो खाना खाने के बाद बढ़ जाए

 

पेट के कैंसर से बचाव

  • व्यायाम – रोजाना व्यायाम करना पेट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करता है। हफ्ते के ज्यादातर दिनों में अपनी रोज की शारीरिक गतिविधियों से खुद को फिट रखने की कोशिश करें।
  • फल और सब्जियों का अधिक सेवन करनें – अपने रोजाना के आहार में ज्यादा से ज्यादा फल और सब्जियां शामिल करने की कोशिश करें। अपने आहार के लिए रोज विभिन्न रंगयुक्त फल और सब्जियों का चयन करें।
    अपने खाने में अधिक नमकीन और भुने हुए पदार्थों की मात्रा को कम करें – इस तरह के खाद्य पदार्थ की की मात्रा को कम करें और अपने पेट को स्वस्थ बनाएं रखें।
  • धूम्रपान बंद करें – अगर आप धूम्रपान करतें हैं तो इसे छोड़ दें अगर नहीं करते तो इसे शुरू तो बिलकुल भी मत करें क्योंकि धूम्रपान अन्य कैंसरों सहित पेट में कैंसर के जोखिम को भी बढ़ाता है। धूम्रपान छोड़ना कठिन हो सकता है इसलिए इसको छोड़ने के लिए डॉक्टर की मदद लें। (और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के उपाय)
  • एस्पिरिन (aspirin) या अन्य एनएसएआईडी (NSAID) दवा का उपयोग ध्यान से करें – अगर आप ह्दय से जुड़ी समस्याओं के कारण एस्पिरिन लेते हैं या गठिया (arthritis) के रोग के लिए एनएसएआईडी लेते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें और इस बात की जानकारी रखें कि ये दवाएं आपके पेट को कितना प्रभावित कर सकती हैं।
  • पेट के कैंसर के जोखिम के बारे अपने डॉक्टर से बात करें – अगर आपको अपने पेट में कैंसर होने का खतरा बढ़ता दिखाई पड़ रहा है, तो डॉक्टर इस बारे में डॉक्टर से बात करें। साथ ही आप पेट के कैंसर के संकेत देखने के लिए सामयिक एंडोस्कोपी के लिए भी डॉक्टर के साथ विचार कर सकते हैं।

 


पेट के कैंसर के चार प्रकार होते हैं

एडिनोकार्सिनोमास (Adenocarcinomas) - यह कैंसर उन कोशिकाओं में विकसित होने लगता है, जो कोशिकाएं म्यूकोसा (mucosa) बनाती हैं - यह बलगम बनाने वाली पेट की सबसे सतही परत होती है। एडिनोकार्सिनोमास बहुत ही सामान्य प्रकार का पेट का कैंसर होता है। सभी प्रकार के पेट के कैंसरों में  90%-95% एडिनोकार्सिनोमास ही पाया जाता है।


लिम्फोमा (Lymphoma) - यह कैंसर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) के ऊतकों का कैंसर होता है। जो पेट और लसीका के ऊतकों सहित इनमें कहीं भी विकसित हो सकता है। लिम्फोमा पेट के कैंसरों में बहुत ही कम देखने को मिलता है। अन्य सभी पेट के कैंसरों की तुलना में यह सिर्फ 4% ही देखने को मिलता है। 


गेस्ट्रोइंटेस्टिनल स्ट्रोमल ट्यूमर (Gastrointestinal stromal tumors) - यह भी काफी दुर्लभ प्रकार का पेट का कैंसर होता है। यह एक विशेष प्रकार की कोशिका में विकसित होता है, जो पेट की परत पर पाई जाती है जिसको मध्यवर्ती कोशिकाएं (इंटरस्टीशल सेल्; interstitial cells) भी कहा जाता है। माइक्रोस्कोप की मदद से जीआईएसटी (Gastrointestinal stromal tumors) की कोशिकाएं मासपेशियों और तंत्रिका कोशिकाओं के समान दिखने लग जाती हैं। इसका ट्यूमर पूरे पाचन तंत्र में कहीं भी विकसित हो सकता है, पर इसके 60-70% केस पेट में ही पाए जाते हैं।


कार्सिनोइड ट्यूमर (Carcinoid tumors) - मुख्य रूप से यह पेट में हार्मोन पैदा करने वाली कोशिकाओं में विकसित होने लगता है। इसके ट्यूमर पेट में अन्य आंतरिक अंगों में नहीं फैलते हैं। पेट के कैंसर का यह प्रकार केवल 3% मरीजों में ही पाया जाता है।

 

पेट के कैंसर के स्टेज

  1. कैंसर स्टेज सिस्टम
  • स्टेज 1 - इस चरण में कैंसर का ट्यूमर ग्रासनली (इसोफेगस; esophagus) या पेट के अंदर की ऊपरी परत के ऊतकों तक ही सिमित रह जाता है। लेकिन ऐसा हो सकता है कि कैंसर कोशिकाएं आसपास की कुछ सीमित लसीका ग्रथिंयों (lymph nodes) में फैल चुकी हैं।
  • स्टेज 2 - इस चरण में कैंसर इसोफेगस या पेट की मांसपेशियों में ज़्यादा गहराई से फ़ैल चूका होता है। इसके अलावा कैंसर लसीका ग्रंथियों तक भी ज़्यादा फैल जाता है।
  • स्टेज 3 - इस चरण में कैंसर इसोफेगस या पेट की सभी परतों में फ़ैल चुका होता है और शरीर में आसपास के अंगों में भी फैल चुका होता है। यह एक छोटे कैंसर के रूप में उभर कर भी लसीका ग्रंथियों में व्यापक रूप से फैल सकता है।
  • स्टेज 4 - इस चरण में कैंसर शरीर के दूर के भागों तक भी फैल चुका होता है।
  1. टीएनएम सिस्टम
  • T (Tumor/ट्यूमर) - कैंसर का मुख्य ट्यूमर पेट की परत में कितनी गहराई या गंभीरता से फैल चुका है?
  • N (Node/नोड) - क्या ट्यूमर लिम्फ नोड (लसीका ग्रंथि) तक फैल गया है? अगर फैल गया है तो कितना और कहां तक?
  • M (Metastasis/मेटासटैसिस) - क्या शरीर के अन्य भागों में भी कैंसर विकसित हो रहा है?
    टेस्ट के दौरान इन तीनों श्रेणियों को अंक दिए जाते  हैं। और इनको एक साथ मिलाकर पता चलता है कि कैंसर कितना फैल गया है।

 

 

पेट के कैंसर के कारण

  • धूम्रपान- पेट का कैंसर होने का एक प्रमुख कारण धूम्रपान करना भी होता है। तंबाकू से सेल्स जल्दी क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें धूम्रपान न करने वालो की अपेक्षा पेट के कैंसर का अधिक खतरा रहता है।
  • खराब डायट- आपका क्या खाते हैं यह आपके सेहत के लिए बहुत मायने रखता है। यदि आप सही ढंग से डायट नहीं ले रहे हैं तो पेट के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जैसे खाने में ज्यादा मात्रा में अचार, रोस्टेड मीट आदि खाने से पेट का कैंसर खतरा बढ़ जाता है।
  • जेनेटिक- अगर आपके परिवार में पहले से किसी को पेट के कैंसर की समस्या है तो आप इसकी चपेट में आ सकते हैं। ऐसा देखा गया है कि परिवार में किसी को कैंसर होने से अन्य लोगों के पेट का कैंसर होने का खतरा डेढ़ गुना तक बढ़ जाता है।
  • अधिक बार सर्जरी- ऐसा भी हुआ है कि लोगों को पेट की कई बार सर्जरी होने के कारण पेट के कैंसर की समस्या हो सकती है। इसके अलावा भी होता है कि लापरवाही के चलते भी पेट कैंसर की समस्या हो जाती है।
  • अधिक उम्र होना- पेट का कैंसर के अधिकतर मामलों में देखा गया है कि उसके रोगियों कि उम्र 50 साल से ज्यादा होती है। इस तरह कहा जा सकता है कि पेट का कैंसर अधिक उम्र को लोगों को अपना शिकार बनाता है।
  • लिंग- ऐसा देखा जाता कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में पेट कैंसर अधिक होता है। हालांकि अभी इस बात स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में पेट कैंसर की समस्या अधिक क्यों होती है।

 

पेट के कैंसर में होने वाले जाँच

अपर एंडोस्कोपी (Upper endoscopy) –एक पतली ट्यूब जिसके एक सिरे पर टॉर्च लगी होती है जिसे एंडोस्कोप कहा जाता है। एंडोस्कोप को मुंह से जरीए शरीर के अंदर इसोफेगस में भेजा जाता हैं और उसकी मदद से अंदर की तस्वीरें मॉनिटर पर देखी जाती हैं।


बेरियम स्वालो (Barium swallow) - इस प्रक्रिया में पेट और इसोफेगस के कई एक्स –रे किए जाते हैं मगर इनसे पहले मरीज को तरल पदार्थ में बेरियम (सफेद चांदी जैसी एक धातु) मिलाकर पिलाया जाता है। बेरियम द्वारा पेट और इसोफेगस पर परत बना ली जाती है, जिसके बाद एक्स-रे किए जाते हैं। इस प्रक्रिया को अपर जीएल सीरीज (upper GI series) भी कहा जाता है।


सी.टी. स्कैन (CT scan) – इस प्रक्रिया में शरीर के भीतरी अंगों की अलग-अलग दिशाओं से तस्वीरें ली जाती हैं। 


बायोप्सी (biopsy) – इस प्रक्रिया में कोशिकाओं और ऊतकों को हटाया जाता है ताकि माइक्रोस्कोप की मदद से अंदर देखा जा सके। माइक्रोस्कोप की मदद से कैंसर के संकेतों की जांच की जाती है। आम तौर पर बायोप्सी की प्रक्रिया को एंडोस्कोपी के दौरान किया जाता है।

 

पेट के कैंसर का इलाज