थाइरॉएड कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज ।थाइरॉएड कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

Symptoms of thyroid cancer.

थाइरॉएड कोई बीमारी नही बल्कि हमारे गर्दन के निचे वाले हिस्से में तितली के आकार जैसी बनी एक छोटी से ग्रंथि (Gland) होती है। यह शरीर की हर एक कोशिका (Cells) को प्रभावित और शरीर के मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करती है। हम पुरे दिन में जिन भी चीजों को खाते हैं – ये ग्रंथि उन सभी को एनर्जी में बदलने का काम करती है। साथ ही साथ यह दिल, मांसपेशियों, हड्डियों और कोलेस्ट्रॉल को भी प्रभावित करती है।  

थाइरॉएड ग्रंथि (Thyroid gland) ट्राईआयोडोथायरोनिन (टी3) और थायरोक्सिन (टी4) नामक दो हार्मोन बनाने का काम करती है। थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (Thyroid stimulating hormone – TSH) इन दोनों हार्मोन को बनाने (production) और श्राव (Discharge) को कंट्रोल करती है। टीएसएच पिट्यूटरी में बनता है और इसके स्राव को थाइरॉएड रिलीज करने वाले हार्मोन या टीआरएच के जरिए कंट्रोल किया जाता है जो हमारे शरीर की नॉर्मल मेटाबॉलिज्म के लिए जिम्मेदार होते हैं। 

जब थाइरॉएड ग्रंथि शरीर की जरुरत से ज्यादा या कम मात्रा में हार्मोन बनाती है तब थाइरॉएड की समस्या सामने आती है क्योंकि इससे पुरे शरीर के काम करने का सिंक्रोनाइजेशन (संतुलन) बिगड़ जाता है। साथ ही थाइरॉएड ग्रंथि (Thyroid gland) या ऑटोइम्यून (Autoimmune) में कैंसर युक्त कोशिकाओं (Cancerous cells) के बनने या सूजन होने के कारण हार्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं। रिसर्च के मुताबिक पूरी दुनिया में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इस बीमारी की शिकार हैं। 0.5% पुरुषों की तुलना में 5% महिलाएं थाइराइड की मरीज होती हैं।  

हालांकि, थाइरॉएड कैंसर की स्थिति बहुत कम ही आती है, लेकिन फिर भी इस खतरनाक समस्या के बारे में जागरूकता बहुत जरूरी है। थाइरॉएड कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसमें थाइरॉएड ग्रंथि में असामान्य कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं। इस प्रकार के कैंसर का उपचार अगर समय रहते हो जाये तो इससे ग्रस्त रोगियों के ठीक होने की संभावना बहुत अधिक होती है।

 

थाइरॉएड कैंसर के लक्षण।


इसका सबसे सामान्य लक्षण है गर्दन में गांठ या सूजन होना, जो निदान के बाद पूरी तरह ठीक हो जाती है ।
निगलने में समस्या और सांस लेने में परेशानी, जो नियमित रूप से घरघराहट के साथ भी हो सकती है।
निरंतर और लगातार खांसी आना, जिसका संबंध कोल्ड से बिल्कुल नहीं होता।
कुछ लोगों को कान में दर्द हो सकता है।
कुछ लोगों में कर्कशता या गले का बैठना भी एक लक्षण हो सकता है।
साँस लेने में परेशानी। 

 

 

जोखिम का कारण।


थाइरॉएड कैंसर होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। इसमें से कुछ हैं- परिवारिक इतिहास, जीन, धूम्रपान, आयोडीन की कमी और बचपन में विकिरण के संपर्क में आना। हालांकि कुछ कारणों को नियंत्रित या समाप्त किया जा सकता है और कुछ कारणों में सुधार किया जा सकता है। लेकिन यह बहुत चिंता की बात इसलिए नहीं है, क्योंकि थाइरॉएड से पीड़ित बहुत कम लोगों में थाइरॉएड कैंसर की आशंका होती है। जोखिम कारकों को जानकर आप इस रोग और इसके लक्षणों के बारे में सतर्क रह सकते हैं। 

 

बचाव के लिए सावधानी।
 

  • पुरुष और महिलाएं
    अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थाइरॉएड कैंसर होने की आशंका तीन गुना अधिक होती है। इसके अलावा सामान्यतया महिलाओं में थाइरॉएड  40 से 50 की उम्र के बीच में होता है, जबकि पुरुषों में 60 से 70 की उम्र के बीच होता है। हालांकि अभी तक महिलाओं में इसके जोखिम के कारक स्पष्ट नहीं हो पाए हैं।
  • वंशानुगत स्थितियां
    कुछ स्थितियां और बीमारियां ऐसी भी हैं, जो इंसान को विरासत में मिलती हैं। थाइरॉएड कैंसर भी उनमें से एक है। कम्यूटर थाइरॉएड कार्सिनोमा एक ऐसा थाइरॉएड कैंसर है, जो वंशानुगत दोषपूर्ण जीन के कारण होता है। आनुवंशिक परीक्षण आपको यह जांचने की अनुमति दे सकता है कि आपको ये दोषपूर्ण जीन विरासत में मिला है या नहीं।
  • आयोडीन की कमी
    आयोडीन की कमी इस बीमारी के होने के पीछे जिम्मेदार कारकों में से प्रमुख है। जो लोग अपने आहार में कम नमक का प्रयोग करते हैं, उनमें थाइरॉएड कैंसर होने की आशंका बहुत अधिक हो जाती है। इसका मतलब यह नहीं कि आप अधिक नमक लेने लगें। आपके लिए कितना नमक ठीक है, यह अपने डॉक्टर से पूछ लें।NIH ऑफिस ऑफ डाइट्री सप्लीमेंट्स के अनुसार, आयोडीन की रेकमेंडेड डेली अलावेंस (RDA) 150 mcg प्रतिदिन होती है। इसके अलावा, शरीर में TSH की मात्रा को भी नियमित रूप से चेक करवाते रहना चाहिए। वहीं, अपने डाइट में फाइबरयुक्त भोजन और ओमेगा 3 फैटी एसिड के स्रोतों को भी शामिल करने से थायरॉयड कैंसर का खतरा कम होता है।
  • रेडिएशन के कारण
    अगर आप बचपन में रेडिएशन के संपर्क में आए हैं तो आपको थाइरॉएड कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। परमाणु ऊर्जा साइटों पर कुछ मेडिकल उपचार या दुर्घटनाओं के दौरान ऐसा विकिरण होता है।

 

 

थाइरॉएड कैंसर के प्रकार।


थाइरॉएड कैंसर का प्रकार आपने उपचार और रोग का निदान निर्धारित किया है।थाइरॉएड कैंसर के प्रकारों में शामिल हैं:

  • पैपिलरी थाइरॉएड कैंसर। थाइरॉएड कैंसर का सबसे आम रूप, पैपिलरी थाइरॉएड कैंसर कूपिक कोशिकाओं से उत्पन्न होता है, जो थाइरॉएड हार्मोन का उत्पादन और भंडारण करते हैं। पैपिलरी थाइरॉएड कैंसर किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर यह 30 से 50 वर्ष की उम्र के लोगों को प्रभावित करता है।
  • कूपिक थाइरॉएड कैंसर। कूपिक थाइरॉएड कैंसर भी थायरॉयड की कूपिक कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। यह आमतौर पर 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। हर्थेल सेल कैंसर एक दुर्लभ और संभावित रूप से अधिक आक्रामक प्रकार का कूपिक थाइरॉएड कैंसर है।
  • मेडुलरी थायरॉयड कैंसर। मेडुलरी थाइरॉएड कैंसर सी कोशिकाओं नामक थायरॉयड कोशिकाओं में शुरू होता है, जो हार्मोन कैल्सीटोनिन का उत्पादन करते हैं। रक्त में कैल्सीटोनिन का ऊंचा स्तर एक बहुत प्रारंभिक चरण में मज्जा थायरॉयड कैंसर का संकेत कर सकता है। कुछ आनुवांशिक सिंड्रोम से मेडुलरी थायरॉयड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, हालांकि यह आनुवंशिक लिंक असामान्य है।
  • एनाप्लास्टिक थायरॉयड कैंसर। एनाप्लास्टिक थाइरॉएड कैंसर एक दुर्लभ और तेजी से बढ़ता कैंसर है जिसका इलाज करना बहुत मुश्किल है। एनाप्लास्टिक थायरॉयड कैंसर आमतौर पर 60 वर्ष और अधिक उम्र के वयस्कों में होता है।
  • थाइरॉएड लिम्फोमा। थाइरॉएड लिम्फोमा थाइरॉएड कैंसर का एक दुर्लभ रूप है जो थायरॉयड में प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होता है और बहुत जल्दी बढ़ता है। थाइरॉएड लिंफोमा आमतौर पर पुराने वयस्कों में होता है।

 

थाइरॉएड कैंसर का परिक्षण।

शारीरिक परीक्षण या अन्य प्रयोगशाला परीक्षण थाइरॉएड कैंसर की उपस्थिति का निदान कर सकते हैं। गर्दन की जांच से थाइरॉएड के छोटे या बड़े द्रव्यमान का पता चल सकता है।

थाइरॉएड कैंसर का निदान करने के लिए अन्य परीक्षण हैं -

  • थाइरॉएड फ़ंक्शन परीक्षण।
  • थायरोग्लोबुलिन परीक्षण (Thyroglobulin test) (जिसका उपयोग पेपिलरी या कूपिक कैंसर के लिए किया जाता है)।
  • थाइरॉएड का अल्ट्रासाउंड।
  • थाइरॉएड का स्कैन।
  • थाइरॉएड बायोप्सी (Thyroid biopsy)।
  • रक्त में कैल्शियम के स्तर की जाँच।
  • रक्त में फास्फोरस स्तर की जाँच।
  • रक्त में कैल्सीटोनिन के स्तर की जाँच।
  • लैरिंगोस्कोपी (Laryngoscopy)।

 

थाइरॉएड कैंसर का इलाज ।


इंसान के शरीर से पूरी थाइरॉएड ग्रंथि या इसका कुछ हिस्सा निकाल दिया जाता है। इसके परिणामस्वरूप रोगी को इस इलाज के बाद अपने पूरे जीवन के लिए कृत्रिम थाइरॉएड हार्मोन लेना होता है। थाइरॉएड कैंसर का उपचार रेडियोधर्मी आयोडीन के जरिये किया जाता है और अधिकांश मामलों में कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी का उपयोग नहीं किया जाता। रोगी के अंदर यह दोबारा न हो, इसके लिए उसे पूरी तरह से सावधान होना बहुत जरूरी है। इसके उपचार के बाद रोगी को नियमित जांच कराना अनिवार्य है।