ओवेरियन कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । ओवेरियन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

Ovarian cancer begins in the ovaries.

ओवेरियन कैंसर अंडाशय से शुरु होता है। अंडाशय महिलाओं में पाई जाने वाली प्रजनन ग्रंथियां हैं। अंडाशय प्रजनन के लिए अंडों का उत्पादन करता है। अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय में जाते हैं। जहां निषेचित अंडा प्रवेश करता है और भ्रूण विकसित होता है। अंडाशय महिलाओं में हारमोंस एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन का मुख्य स्त्रोत है।ओवेरियन कैंसर तब होता है जब अंडाशय में असामान्य कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर गुणन करना (बढ़ना) शुरू कर देती हैं और एक ट्यूमर (Tumor) बनाती हैं।

 

बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं में अंडाशय का कैंसर एक आम समस्या बनता जा रहा है। महिलाओं में होने वाले अन्य सभी कैंसर में ओवरी में कैंसर कोशिकाओं का विकास होने की संभावना लगभग 4 प्रतिशत है। हालांकि यह एक तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है और महिलाओं में मृत्यु का बड़ा कारण बनता जा रहा है लगभग तीन चौथाई महिलाओं में इसका निदान तीसरी या चौथी स्टेज में हो पाता है। ओवेरियन कैंसर के लक्षणों को पहचानना मुश्किल है क्योंकि ज्यादातर शिकायत पेट संबंधी होती है। जिन्हें रोजमर्रा की शिकायत समझ कर नजर अंदाज कर दिया जाता है।

 

आंकड़ों के मुताबिक, महिलाओं में जितने भी प्रकार के कैंसर होते हैं, उनमें डिंबग्रंथि या ओवेरियन कैंसर आठवां सबसे आम कैंसर है। मृत्यु दर के मामले में इसका स्थान पांचवां है।

ओवेरियन कैंसर में लक्षणों का पता लगने में भले ही देर लग जाती हो, लेकिन इसका इलाज नामुमकिन नहीं है। इसकी जल्द से जल्द पहचान के लिए हाल ही में एक कैंपेन की भी शुरुआत की गई है, जो महिलाओं के इसके प्रति जागरूक भी कर रहा है। BEAT नाम के कैंपेन के जरिए ओवेरियन कैंसर के लक्षणों को मात्र 4 तरीकों से जल्द से जल्द पहचाना जा सकता है जो नीचे दिया गया है।

 

ओवेरियन कैंसर के लक्षण।

BEAT नाम के कैंपेन के जरिए ओवेरियन कैंसर के लक्षणों को मात्र 4 तरीकों से जल्द से जल्द पहचाना जा सकता है:

  • ब्लोटिंग (Bloating)-पेट फूलने की स्थित को ब्लोटिंग कहा जाता है। कई बार सही खान-पान और लाइफस्टाइल के बाद भी पेट फूल जाता है। लेकिन अगर पेट हमेशा ही फूला रहे और नॉर्मल न हो तो फिर आपको सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि यह ओवेरियन कैंसर होने का एक संकेत हो सकता है।

 

  • कम खाने पर भी पेट जल्दी भरना (Eating less and feeling full more quickly)- कई बार ऐसा होता है कि थोड़ा-सा खाना खाते ही लगने लगता है कि बहुत खा लिया और पेट भरा-भरा महसूस होता है। ऐसी स्थिति में आपको लगता होगा कि शायद गैस बनने या फिर मौसम बदलने की वजह से ऐसा हो रहा है, लेकिन यह ओवेरियन कैंसर को दावत देने वाला लक्षण भी हो सकता है। इसलिए अगर थोड़ा-बहुत खाने पर ही आपको ऐसा लगे कि आप अब और नहीं खा सकते और पेट भर गया है तो टेस्ट कराएं।

 

  • लगातार पेट में दर्द (persistent Abdominal or Pelvic pain) -पेट में हमेशा दर्द रहे तो भी उसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जरूरी नहीं कि पेट में दर्द सिर्फ इंफेक्शन या ऐंठन की वजह से हो। इसलिए बेहतर होगा कि दर्द की स्थिति में टेस्ट करा लें।

 

  • टॉइलट (Toilet and urinaton changes)- टॉइलट जाते वक्त जलन होने के लक्षण को यूटीआई से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर टॉइलट जाते वक्त ब्लैडर में दर्द महसूस हो या प्रेशर का अहसास हो, बार-बार टॉइलट जाना पड़ रहा हो तो यह ओवेरियन कैंसर का संकेत हो सकता है।

 

अन्य लक्षण

  • पैल्विस या कमर में दर्द।
  • शरीर के निचले हिस्से में दर्द।
  • अपच
  • कम खाकर ही पेट भरा होने की फीलिंग।
  • बार-बार यूरिन आना।  
  • मासिक धर्म में परिवर्तन। 
  • थकान या कम ऊर्जा महसूस होना।
  • यौन क्रिया के दौरान दर्द।
  • सफेद पानी की शिकायत।

 

ओवेरियन कैंसर होने के बड़े कारण ।

ओवेरियन कैंसर अनुवांशिक भी हो सकता है। अगर आपके परिवार में किसी को हो चुका है तो हो सकता है आप भी इसके शिकार हो जाए।

उम्र- ओवेरियन कैंसर होने की कोई उम्र नहीं होती है लेकिन जिन महिलाओं को मोनोपॉज हो चुका है उन्हें इस चीज का खतरा सबसे अधिक होता है। पोस्टमेनोपॉज़ल हार्मोन थेरेपी का उपयोग करने से जोखिम और बढ़ सकता है।

मोटापा-ओवेरियन कैंसर होने का एक बड़ा कारण मोटापा भी हो सकता है। मोटी महिलाएं इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आकर सबसे ज्यादा मौत का शिकार होती है।

 

किन महिलाओं को इस कैंसर का जोखिम ज्यादा होता है?

  • यूटेरस के लगभग दो तिहाई कैंसर केस उन औरतों में होते हैं जिनको मेनोपॉज हो चुका हो। औसतन यह साठ से सत्तर साल के बीच की महिलाओं में ज्यादा होता है । वैसे इस कैंसर के एक तिहाई केस कम उम्र में भी हो सकते हैं।

 

  • यह उन महिलाओं में ज्यादा होता है जिनमें ओवरी ठीक से काम नहीं कर रही हो । उदाहरण के लिए, जो महिलाएं संतान पैदा करने में सक्षम न हों, या ऐसी महिलाएं में जिनको एकाध ही बच्चा पैदा हुआ हो, फिर वे गर्भवती नहीं हो सकीं, या ऐसी महिलाएं में जिनको बार-बार गर्भपात हो जाता रहा हो - इन सबमें बाद की उम्र में इस कैंसर की ज्यादा आशंका रहती है। इसके ठीक विपरीत, यह भी माना जाता है कि हर बार प्रेगनेंसी होने पर इसकी आशंका लगभग 10 परसेंट कम हो जाती है । इसी तरह, स्तनपान तथा ‘ओरल कंट्रासेप्टिव’ भी इस कैंसर की आशंका को कम करते हैं।

 

  • दस फीसदी ओवेरियन कैंसर खानदानी (आनुवांशिक) भी हो सकते हैं। जिन परिवारों में दो या दो से ज्यादा उसी पीढ़ी के रक्त संबंधियों में यह कैंसर हुआ हो (जैसे मां और मौसी में) तब तो इसका जोखिम तथा आशंका 50 फीसदी तक बढ़ जाती है।

 

ओवेरियन कैंसर से बचाव ।

इस समस्या को होने से रोकने के लिए महिलाओं को रक्त-कैल्शियम दर की नियमित जांच करवाते रहनी चाहिए। अगर दर उच्च यानि हाई हैं, तो डिंबग्रंथि कैंसर (Ovarian Cancer) होने का जोखिम ज़्यादा होता है। इस दर को सामान्य रखकर इस जोखिम से बचा जा सकता है।

गर्भनिरोधक गोलियां न केवल ओवेरियन कैंसर के जोखिम को कम करती हैं बल्कि ये दवा को बंद करने के 30 साल बाद तक भी इस बीमारी के जोखिम को कम करती हैं।

जिन महिलाओं के परिवार में कभी किसी सदस्य को कॉलन कैंसर (Colon Cancer), प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) या गर्भाशयी कैंसर (Uterine Cancer) रह चुका है तो ऐसे में महिलाओं को लक्षणों का ध्यान रखना चाहिए और नियमित जांच करवाते रहना चाहिए।

ट्यूबल लिगेशन (Tubal Ligation - फॉलोपियन ट्यूब्स का बंधाव) और हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy) से भी इस कैंसर के होने के जोखिम को कम किया जा सकता है।

स्वस्थ वज़न बनाये रखने से अंडाशय कैंसर होने का खतरा कुछ हद तक कम हो जाता है। व्यायाम करें।

धूम्रपान, तम्बाकू, मदिरा आदि का सेवन न करें।

 

ओवेरियन कैंसर के प्रकार ।

  • एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर (Epithelial Ovarian Cancer)- यह सबसे आम प्रकार का अंडाशयी कैंसर है। अंडाशय में होने वाले करीब 90 प्रतिशत ट्यूमर एपिथेलियल होते हैं।

 

  • अंडाशयी टेराटोमा (Ovarian Teratoma)-यह एक प्रकार का रोगाणु कोशिका ट्यूमर है। कैंसरग्रस्त टेराटोमा होना एक दुर्लभ स्थिति है और यह अक्सर 20 से 25 वर्ष की महिलाओं में होता है।

 

  • अंडाशयी ग्रैनुलोसा ट्यूमर (Granulosa Tumour Of The Ovary)-यह एक प्रकार के स्ट्रोमल ट्यूमर होते हैं और अंडाशयी कैंसर से ग्रस्त महिलाओं में सिर्फ 5 महिलाओं में ही इसका निदान होता है।

 

  • प्राइमरी पेरिटोनियल कैंसर (Primary Peritoneal Cancer)- यह पेरिटोनियम का एक दुर्लभ कैंसर है। यह अंडाशयी कैंसर के सबसे आम प्रकार एपिथेलियल कैंसर के समान होता है।

 

  • फैलोपियन ट्यूब कैंसर (Fallopian Tube Cancer)-यह कैंसर दुर्लभ है। महिला प्रजनन प्रणाली में होने वाले कैंसर में से इसके होने की संभावना सिर्फ 1% है।

 

  • बॉर्डरलाइन ओवेरियन ट्यूमर (Borderline Ovarian Tumours)-यह ट्यूमर असामान्य कोशिकाएं हैं जो अंडाशय को कवर करने वाले ऊतकों में बन जाते हैं। यह कैंसर नहीं होते और आमतौर पर सर्जरी से ठीक हो जाते हैं।

 

 

ओवेरियन कैंसर चार स्टेज में फैलता है ।

पहले स्टेज में

  • पहले स्टेज में यह दोनों ओवरी तक ही सीमित रहता है।
  • चरण 1 ए में एक अंडाशय को कैंसर सीमित या स्थानीय है।
  • कैंसर चरण 1 बी में दोनों अंडाशय में है।
  • चरण 1 सी में, कैंसर कोशिकाएं अंडाशय के बाहर भी हैं।

 

दूसरे स्टेज में

  • चरण 2 में, ट्यूमर अन्य श्रोणि संरचनाओं में फैल गया है।
  • चरण 2 ए में, कैंसर गर्भाशय या फैलोपियन ट्यूबों में फैल गया है।
  • चरण 2 बी में, यह मूत्राशय या मलाशय में फैल गया है।

 

स्टेज 3 

  • चरण 3 ए में, कैंसर पेल्विस से हटकर पेट की परत और पेट में लिम्फनोड्स तक फैल गया है।
  • कैंसर चरण 3 बी में, कैंसर कोशिकाएं तिल्ली या जिगर से बाहर हैं
  • चरण 3C में, कम से कम 3/4 इंच के कैंसर की जमावट पेट पर या प्लीहा या जिगर के बाहर दिखाई देती है। हालांकि, कैंसर प्लीहा या जिगर के अंदर नहीं है

 

अंडाशय के कैंसर की स्टेज 4

  • चरण 4 में, ट्यूमर लीवर या फेफड़ों में मेटास्टेसिस, या फेल गया है जो की पेल्विस, पेट, और लिम्फनोड्स से परे है।
  • चरण 4 ए में, फेफड़ों के आसपास कैंसर की कोशिका द्रव में होती है।
  • स्टेज4 बी सबसे ज्यादा है उन्नत चरण होता है चरण 4 बी में, कोशिकाएं प्लीहा या जिगर के अंदर या त्वचा या मस्तिष्क जैसे अन्य दूर के अंगों के अंदर भी पहुंच गई होती हैं।

 

 

ओवेरियन कैंसर का परीक्षण।

  • ट्रांसवैजिनेटल अल्ट्रासाउंड (टीवीयूएस) – Transvaginal ultrasound (TVUS) : यह इमेजिंग टेस्ट का एक प्रकार है जो अंडाशय सहित प्रजनन अंगों में ट्यूमर का पता लगाने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग करता है। हालांकि, TVUS आपके डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद नहीं कर सकता है कि ट्यूमर कैंसर है या नहीं।

 

  • पेट और पैल्विक सीटी स्कैन– Abdominal and pelvic CT scan : यदि आपको डाई के लिए एलर्जी हो, तो ये एमआरआई करा सकते हैं

 

  • कैंसर एंटीगेंन125 (सीए -125) स्तरों को मापने के लिए रक्त परीक्षण – Blood test to measure cancer antigen 125 (CA-125) : यह एक बायोमार्कर है जिसका उपयोग अंडाशय के कैंसर और अन्य प्रजनन अंग के कैंसर के लिए इलाज की प्रतिक्रिया का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। हालांकि, मासिक धर्म, गर्भाशय फाइब्रॉएड, और गर्भाशय के कैंसर रक्त में सीए -125 के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

 

  • बायोप्सी – Biopsy : इसमें अंडाशय से ऊतक का एक छोटा नमूना निकालना और माइक्रोस्कोप के तहत नमूना का विश्लेषण करना शामिल है। बायोप्सी एकमात्र तरीका है जिससे आपका डॉक्टर पुष्टि कर सकता है कि आपको अंडाशय कैंसर है।

 

ओवेरियन कैंसर का इलाज ।

  • सर्जरी-कैंसर का पता करने के लिए सर्जरी और ट्यूमर को हटा दें (surgery to stage the cancer and remove the tumor)ओवेरियन कैंसर (ovarian cancer) के लिए सर्जरी मुख्य उपचार है सर्जरी का लक्ष्य ट्यूमर को दूर करना है, लेकिन गर्भाशय निकालना, या गर्भाशय को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है। आपका डॉक्टर भी दोनों अंडाशय और फैलोपियन ट्यूबों, पास के लिम्फनोड्स और अन्य पैल्विकटिशू को हटाने की सिफारिश कर सकता है। सभी ट्यूमर के स्थानों की पहचान करना मुश्किल है।

 

 

कीमोथेरेपी, विकिरण और सर्जरी सहित कैंसर के उपचार, आपके प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे गर्भवती बनना मुश्किल हो जाता है यदि आप भविष्य में गर्भवती बनना चाहती हैं, तो इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। संभवतः आपकी प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए वह आपके विकल्प पर चर्चा कर सकता है संभव प्रजनन क्षमता बचाने के विकल्प में शामिल हैं:

 

  • भ्रूण फ्रीजिंग – Embryo freezing: इसमें निषेचित अंडे को फ्रीजिंग करना शामिल है।
  • Oocyte फ्रीजिंग – Oocyte freezing: इस प्रक्रिया में एक unfertilized अंडे की फ्रीजिंग शामिल है
  • प्रजनन क्षमता को संरक्षित करने के लिए सर्जरी – Surgery to preserve fertility: कुछ मामलों में, सर्जरी जो केवल एक अंडाशय को निकालती है और स्वस्थ अंडाशय को वही छोड़ दिया जाता है।यह आमतौर पर केवल प्रारंभिक अवस्था में अंडाशय के कैंसर में संभव है
  • डिम्बग्रंथि ऊतक संरक्षण – Ovarian tissue preservation: इसमें भविष्य के उपयोग के लिए डिम्बग्रंथि के ऊतकों को हटाने और फ्रीजिंग शामिल है।
  • डिम्बग्रंथि दमन – Ovarian suppression: इसमें अस्थायी रूप से डिम्बग्रंथि समारोह को दबाने के लिए हार्मोन लेना शामिल है।