बायोप्सी क्या है? कैसे की जाती है बायोप्सी? क्यों करते हैं बायोप्सी ?
बायोप्सी: यह कैंसर के शक को पुख्ता करने का एक तरीका है। इसमें मरीज के शरीर से एक सैंपल निकाला जाता है। अमूमन वह ट्यूमर हो सकता है। नमूने से पता चलता है कि ट्यूमर में कैंसर सेल्स हैं या नहीं। इसके कई तरीके हैं: मसलन: खुरचना, छेद करना, सुई बायोप्सी आदि।
बायोप्सी के लिए सेंपल में ली गई कोई कोशिका बीमारी का पता लगाने के लिए जांच के लिए लाई जाती है। बायोप्सी की मदद से कई बीमारियों और उनके कारणों का पता लगा सकते हैं। बायोप्सी हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही कराई जाती है।
इस प्रक्रिया में मरीज के शरीर में ऊतकों या कोशिकाओं में से एक सैंपल निकाला जाता है, जिसकी आमतौर पर माइक्रोस्कोप के द्वारा जांच की जाती है। नमूने की जांच अक्सर रोग पहचानने वाले डॉक्टर (Pathologist) द्वारा की जाती है। पैथोलॉजिस्ट एक विशेषज्ञ होता है, जिसको माइक्रोस्कोप आदि द्वारा नमूनों की जांच करके रोग के संकेत, उसके फैलाव आदि का पता लगाने के अनुसार प्रशिक्षित किया जाता है।
इसके उद्देश्य के आधार पर, बायोप्सी द्वारा त्वचा में चीरा देकर सैंपल निकाला जाता है। इन प्रक्रियाओं को एक्सीजनल (Excisional) और इनसीजनल (Incisional) कहा जाता है।
एक्सीजनल बायोप्सी – इसकी मदद से त्वचा के ऊपर उभरी हुई गांठ को सर्जरी से पूरी तरह निकाल दिया जाता है।
इनसीजनल बायोप्सी – इसको कोर बायोप्सी भी कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान ऊतक में से नमूना लिया जाता है।
आमतौर पर, बायोप्सी सर्जरी के 5 प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- बोन मैरो बायोप्सी- यह बायोप्सी सर्जरी का प्रमुख प्रकार है, जिसे मानव-शरीर की किसी हड्डी में किया जाता है।
जब किसी डॉक्टर को ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति के खून में कोई समस्या है, जो उसकी हड्डियों में फैल सकती है, तो उस स्थिति में वे बोन मैरो बायोप्सी को कराने की सलाह देते हैं।
- एंडोस्कोपी सर्जरी- बायोप्सी का अन्य प्रकार एंडोस्कोपी सर्जरी है, जिसे तब किया जाता है कि जब मानव-शरीर में किसी टिशू की स्थिति का पता लगाना होता है।
चूंकि, इस प्रक्रिया में एंडोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे एंडोस्कोपी सर्जरी के नाम जाना जाता है।
- नीडल बायोप्सिस- इस प्रक्रिया को मुख्य रूप से त्वचा के टिशू को इकट्ठा करने के लिए किया जाता है।
नीडल बायोप्सिस स्तन की गांठ का पता लगाने का सबसे कारगर तरीका है और इसके आधार पर महिला को इस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास किया जाता है।
- स्किन बायोप्सी- जब किसी व्यक्ति की त्वचा पर लाल दब्बे या खुजली की समस्या होती है, जिसे त्वचा कैंसर का कारण बन सकती है, तो उस स्थिति में डॉक्टर उसे स्किन बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं।
स्किन बायोप्सी को एनेस्थीसिया के द्वारा या फिर त्वचा के उस हिस्से को शेव करके भी किया जा सकता है, इस प्रकार स्किन बायोप्सी इसे कराने वाले व्यक्ति के लिए सरल प्रक्रिया साबित होती है।
- सर्जिकल बायोप्सी- जब किसी शख्स को बायोप्सी के किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तब डॉक्टर सर्जिकल बायोप्सी को अपनाते हैं।
सर्जिकल बायोप्सी इस रूप में विशेष है, जिसका इस्तेमाल टिशू को असामान्य हिस्से को निकालने के लिए भी किया जा सकता है।
बायोप्सी कब और क्यों करानी चाहिए (When To Get Tested Biopsy)
अक्सर हमारे मन में यह सवाल उठाता है कि आखिर बायोप्सी कराई कब जाती है। सबसे जरूरी बात तो यह कि बायोप्सी हमेशा डॉक्टर के कहने पर ही करानी चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए हम बताते हैं कि आम तौर पर डॉक्टर कब-कब बायोप्सी की सलाह देते हैं।
- सीटी स्कैन या एक्सरे में अगर सिस्ट दिखे तब।
- ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ होने पर।
- जब स्कैन आदि के बाद भी बीमारी का अन्य जांचों या विधियों से पता नहीं लग पा रहा हो।
- लीवर संबंधी कोई समस्या होने पर।
- लंबे समय से चल रहे अल्सर के लिए।
- परेशानियां महसूस होने और किसी तरह के लक्षण न दिखने पर।
- बल्ड कैंसर के परीक्षण के लिए।
- त्वचा संबंधी बीमारी का इलाज करना
बायोप्सी के रिजल्ट का क्या मतलब होता है?
बायोप्सी के सैंपल के रिजल्ट यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि कोशिकाएं कैंसरग्रस्त हैं या नहीं। अगर कोशिकाएं कैंसरग्रस्त मिलती है, तो बायोप्सी के रिजल्ट से यह भी पता चल जाता है कि कैंसर कोशिकाएं कहां से पैदा हुई हैं और किस प्रकार का कैंसर है।
बायोप्सी डॉक्टर को यह निर्धारित करने में मदद करते है कि कैंसर कितना आक्रामक है और वह किस स्टेज (ग्रेड) में है। यह ग्रेड अक्सर 1 से 4 के पैमाने के अंकों के बीच दर्शाई जाती है, जिसको माइक्रोस्कोप द्वारा देखकर निर्धारित किया जाता है।