पेट स्कैन क्या है ? कैंसर मरीजों को क्यों कहा जाता है PET scan करवाने के लिए ?

एक पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन (positron emission tomography (PET) scan),
कैंसर मरीजों की जांच अब तक एमआरआइ एवं सीटी स्कैन की इमेज के आधार पर जांच की जाती है, किंतु कोशिकाओं की वास्तविक स्थिति का सटीक पता नहीं लग पाता है। जबकि पेट स्कैन सूक्ष्म बीमार कोशिकाओं तक का पता लगा लेती है।
इस टेस्ट के दौरान मरीज को रेडियोएक्टिव पदार्थ की एक छोटी मात्रा इंजेक्शन द्वारा दी जाती है। शरीर के अंदरूनी अंग और ऊतक इस पदार्थ को उठा लेते हैं, जो क्षेत्र अधिक उर्जा का उपयोग करते हैं, वे इसे ज्यादा अवशोषित कर लेते हैं। कैंसर कोशिकाएं बहुत अधिक मात्रा में रेडिएक्टिव पदार्थ अवशोषित करती हैं, क्योंकि वे सामान्य कोशिकाओं के मुकाबले अधिक उर्जा का इस्तेमाल करती हैं। उसके बाद स्कैन की मदद से देखा जाता है कि शरीर में कहां पर कितना रेडिएक्टिव पदार्थ मौजूद है।
पीईटी स्कैन टेस्ट के दौरान मरीज को एक टेबल पर लेटाया जाता है, जो एक बड़े स्कैनर, कैमरा और कंप्यूटर से जुड़ी होती है।
रेडियोएक्टिव केमिकल के इंजेक्शन को आमतौर पर बाजू की नस में लगाया जाता है। इस केमिकल को पूरे शरीर में घूमने के लिए 30 से 60 मिनट तक लग जाते हैं। इस समय के दौरान डॉक्टर मरीज को हिलने व बोलने से मना कर सकते हैं।साथ ही पानी भी पीने को कह सकते है डॉक्टर।
पेट स्कैनर मशीन मरीज के चारों तरफ घूमता है और तस्वीरें स्कैन करता है। स्कैनर इन तस्वीरों को कंप्यूटर स्क्रीन पर भेजता है, जिससे डॉक्टर उनको देख पाते हैं। स्कैन तस्वीरों की एक सीरीज बनाने के लिए कई स्कैन किए जाते हैं। जब स्कैन हो रहा हो, तो उस समय आराम से लेटे रहना बहुत जरूरी होता है।
पेट स्कैन क्यों होता है ?
पेट स्कैन डॉक्टर को कैंसर के लिए सबसे बेहतर इलाज का चयन करने में मदद करता है और यह भी बताता है कि उपचार कितने अच्छे से काम कर रहा है। पीईटी स्कैन यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि क्या ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है या नहीं।
कैंसर का मूल्यांकन करना, खासकर जैसे लिम्फोमा और ब्रेन कैंसर, गले का कैंसर, सिर और गर्दन का कैंसर, लंग कैंसर, पौरुष ग्रंथि के कैंसर आदि।
पेट स्कैन का इस्तेमाल यह देखने के लिए भी किया जाता है कि कैंसर कितना गंभीर है और क्या यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल गया है (Metastasized)। कैंसर का मूल्यांकन करने के लिए अक्सर सीटी और पीईटी दोनों स्कैन करना आवश्यक होता है।अपने शुरुआती चरणों में अन्य टेस्टों, जैसे सीटी स्कैन और एमआरआई के मुकाबले पीईट स्कैन में अधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
दिमाग की बीमारी के लिए।
दिल की बीमारी के लिए।
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकार के लिए।
पेट स्कैन से पहले इन बातों का खासा ध्यान रखें।
पीईट स्कैन होने से पहले अपने डॉक्टर को निम्न चीजों के बारे में बताएं:
- अगर आपको डायबिटीज है तो आपको टेस्ट करवाने से पहले डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवा की खुराक कम करनी पड़ सकती है। इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताए।
- अगर आप किसी प्रकार की दवा लेते है उसकी पूरी जानकारी डॉक्टर को देनी होगी।
- गर्भवती महिलाओं को डॉक्टर को जानकारी दे देनी चाहिए की वो प्रेग्नेंट है।
- अगर आपको किसी प्रकार की एलर्जिक प्रतिक्रिया है।
- अगर आप बच्चे को स्तनपान करवाती हैं, तो इस टेस्ट में मरीज को इंजेक्शन में दिए जाने वाले रेडिएक्टिव केमिकल दूध में मिल सकता है। अगर मां का पीईटी स्कैन हुआ है, तो स्कैन के 2 दिन तक उसे बच्चे को स्तनपान नहीं करवाना चाहिए।
- पेट स्कैन से 24 घण्टे यानी एक दिन पहले से किसी प्रकार का नशा जैसे शराब ,गुटखा ,बीड़ी सिगरेट इत्यादि ना लें।
- टेस्ट होने से 6 घंटे पहले तक कुछ भी खाना-पीना नहीं चहिए।
पेट स्कैन के रिजल्ट
एक डॉक्टर जो स्कैन तस्वीरों की जांच करने के लिए प्रशिक्षित होता है (Radiologist), वह आपके डॉक्टर को जांच के परिणाम की रिपोर्ट करता है।
सामान्य रिजल्ट –यदि रिजल्ट सामान्य होता है तो अंदरूनी अंगों और ऊतकों में आकार, आकृति और स्थिति से संबंधित कोई समस्या नहीं है और शरीर के किसी भी भाग में रेडियोएक्टिव ट्रेसर असाधारण तरीके से इकट्ठा नहीं हुआ है।
असामान्य रिजल्ट –असामान्य रिजल्ट इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर के किस भाग पर अध्ययन किया गया है। असामान्य रिजल्ट के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- अंदरूनी अंगों के आकार, आकृति और स्थिति में बदलाव होना।
- कैंसर
- संक्रमण
- अंदरूनी अंगों के कार्यों से संबंधित समस्या।
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