ब्रेस्ट (स्तन कैंसर) कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । ब्रेस्ट कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?
शरीर के किसी अंग में होने वाली कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि कैंसर का प्रमुख कारण होती है। शरीर की आवश्यकता अनुसार यह कोशिकाएं बंट जाती है, लेकिन जब यह लगातार वृद्धि करती हैं तो कैंसर का रूप ले लेती हैं। इसी प्रकार स्तन कोशिकाओं में होने वाली अनियंत्रित वृद्धि, स्तन कैंसर का मुख्य कारण है। कोशिकाओं में होने वाली लगातार वृद्धि एकत्र होकर गांठ का रूप ले लेती है, जिसे कैंसर ट्यूमर कहते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बच्चे नहीं पैदा करना, अधिक उम्र में पहला बच्चा होना, स्तनपान नहीं कराना, वजन में अत्यधिक वृद्धि और अक्सर शराब का सेवन करना तथा खराब व अनियंत्रित जीवनशैली स्तन कैंसर के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा अनुवांशिक रूप से भी स्तन कैंसर की बीमारी होना संभव है।
इसके अलावा महिलाओं को जागरूक रहने के साथ ही नियमित तौर पर स्तन कैंसर की जांच करवाना चाहिए। महिलाएं अपने ब्रेस्ट का परीक्षण, मैमोग्राफी से करवा सकती हैं। इसका उपयोग रोग की पहचान करने और उसका पता लगाने के उपकरण के रूप में किया जाता है। मैमोग्राफी का लक्ष्य स्तन कैंसर का शुरूआती दौर में ही पता लगाना है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण ।
स्तन कैंसर को समझना आसान है, स्त्रियां खुद भी स्तन की जांच कर सकती हैं.
- स्तन के आकार में बदलाव महसूस होना
- स्तन या बांह के नीचे की ओर टटोलने पर गांठ महसूस होना
- स्तन को दबाने पर दर्द होना
- कोई तरल या चिपचिपा पदार्थ स्त्रावित होता
- निप्पल के अग्रभाग का मुड़ना एवं रंग लाल होना
- स्तनों में सूजन आ जाना
- इनवर्टेड निप्पल्स (Inverted Nipples- निप्पल्स का बाहर की तरफ न होकर अंदर की तरफ होना)
- निप्पल्स से खून निकलना
- निप्पल्स या स्तन की त्वचा का छीलना
- स्तन के आकार में अचानक और अस्पष्टीकृत परिवर्तन होना
- स्तन की त्वचा में परिवर्तन
- पूरे स्तन पर त्वच पर गुठलियाँ बनना या त्वचा का लाल होना
- पूरे स्तन या स्तन के कुछ हिस्से में सूजन
जिनके महसूस होने पर सतर्क होकर इससे बचने के उपाय करना बेहद आवश्यक है।
ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के प्रकार -
ब्रेस्ट कैंसर के कई प्रकार होते हैं। आपको किस प्रकार का कैंसर है इससे यह निर्धारित किया जाता है कि उपचार किस तरह से किया जायेगा। सबसे आम प्रकार के स्तन कैंसर निम्न हैं:
डक्टल कार्सिनोमा इन सीटू (Ductal Carcinoma In Situ, DCIS):
यह कैंसर का एक नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive - जब कैंसर कोशिकाएं आसपास की कोशिकाओं या ऊतकों तक नहीं फैलती) अग्रगामी (Precursor; एक स्टेज या पदार्थ जिसमें से दूसरे का गठन होता है) है। अगर आपको DCIS है तो स्तन को लाइन करने वाले डक्ट्स बदल जाते हैं और कैंसरग्रस्त लगने लगते हैं। हालांकि लेकिन कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की तरह ये स्तन ऊतक तक नहीं पहुंचे हैं।
लोब्यूलर कार्सिनोमा इन सीटू (Lobular Carcinoma In Situ, LCIS):
यह वो कैंसर है जो दूध बनाने बाली ग्रंथियों में विकसित होता है हालांकि यह अभी आसपास के ऊतकों तक नहीं फैला है।
इनवेसिव डक्टल कार्सिनोमा (Invasive Ductal Carcinoma, IDC):
यह सबसे आम प्रकार का स्तन कैंसर है। यह स्तन की दूध नलिकाओं (Milk Ducts) में उत्पन्न होकर आसपास के स्तन ऊतकों पर आक्रमण करता है। एक बार जब कैंसर दूध नलिकाओं से बाहर फ़ैल जाता है, फिर ये आसपास के ऊतकों और अंगों तक भी फ़ैल सकता है।
इनवेसिव लोब्यूलर कार्सिनोमा (Invasive Lobular Carcinoma, ILC):
यह पहले स्तन के लोब्यूल्स या दूध बनाने वाली ग्रंथियों में बनता है। अगर कैंसर का निदान ILC के रूप में हुआ है, तो इसका अर्थ ये है कि कैंसर अबतक आसपास के ऊतकों और अंगों तक फ़ैल चुका है।
अन्य प्रकार के स्तन कैंसर इतने आम नहीं हैं:
इंफ्लेमेटरी ब्रेस्ट कैंसर (Inflammatory Breast Cancer):
इसमें कोशिकाएं लिम्फ नोड्स को अवरुद्ध कर देती हैं जिससे स्तन पूरी तरह स्त्रावित नहीं हो पाते। हालांकि, ट्यूमर बनाने के बजाय, IBC के कारण स्तन में सूजन हो जाती है, वे लाल लगने हैं और गरम महसूस हो सकते हैं। कैंसरग्रस्त स्तन छिला हुआ और मोटा लग सकता है, संतरे के छिलके के समान। यह प्रकार स्तन कैंसरों का सिर्फ एक प्रतिशत ही है।
ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर (Triple-Negative Breast Cancer):
इस प्रकार के कैंसर का निदान होने के लिए ज़रूरी है कि ट्यूमर में निम्नलिखित तीनों लक्षण हों:
उसमें एस्ट्रोजन रिसेप्टर (Estrogen Receptors) न हों।
उसमें प्रोजेस्टेरोन रिसेप्टर (Progesterone Receptors) न हों।
उसकी सतह पर अतिरिक्त HER2 प्रोटीन (HER2 प्रोटीन स्तन कैंसर के विकास को बढ़ाता है) नहीं होने चाहिए।
अगर ट्यूमर तीनों लक्षण दिखता है, तो उसे ट्रिपल-नेगेटिव ब्रेस्ट कैंसर कहते हैं। इस प्रकार का कैंसर ज़्यादा जल्दी फैलता और बढ़ता है। इस प्रकार के कैंसर का उपचार करना भी बहुत कठिन होता है।
निप्पल का पेजेट रोग (Paget Disease Of The Nipple):
इस प्रकार का स्तन कैंसर ब्रेस्ट डक्ट्स में उत्पन्न होता है, लेकिन जैसे जैसे ये बढ़ता है, यह निप्पल की त्वचा और एरिओला को प्रभावित करता है। पेजेट रोग स्तन कैंसर के अन्य प्रकारों, जैसे DCIS या IDC के साथ भी हो सकता है।
फिलोड्स ट्यूमर (Phyllodes Tumor):
यह एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का कैंसर है जो स्तन के कनेक्टिव ऊतकों में होता है।
वाहिकासार्कोमा (Angiosarcoma):
जो कैंसर स्तन की रक्त वाहिकाओं या लिम्फ वाहिकाओं में होता है उसे वाहिकासार्कोमा कहते हैं।
स्तन कैंसर को रोकने के उपाय ।
- एक्सरसाईज और योगा को नियमित तौर करें
- नमक का अत्यधिक सेवन न करें
- रेड मीट के अधिक सेवन से बचें
- सूर्य के तेज किरणों के प्रभाव से बचें
- अधिक मात्रा में धूम्रपान और नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
- गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन करने से पहले चिकित्सकीय परामर्श लें।
इन बातोंका ध्यान रखकर स्तर कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य घरेलू उपाय हैं जिन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल कर अप स्तर कैंसर के खतरे से बच सकते हैं।
1 नियमित रूप से काली चाय का सेवन करना स्तन कैंसर से आपकी रक्षा करता है। इसक प्रमुख कारण इसमें पाया जाने वाला एपिगैलो कैटेचिन गैलेट नामक तत्व है, जो ट्यूर की कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने में मदद करता है।
2 ग्रीन टी सेवन भी स्तन कैंसर से रक्षा करने में सहायक है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इन्फ्लैमेटरी गुण स्तन कैंसर को बढ़ने से रोकने में मदद करते हैं।
3 चाय को अत्यधिक गर्म करके पीना भी स्तन कैंसर का कारण हो सकता है, क्योंकि गर्म तापमान कैंसर कोशिकाओं में वृद्धि करते हैं। ऐसे में हल्की गर्म चाय का ही सेवन करें।
4 विटामिन डी का सेवन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने में सहायक है। इसके लिए दूध व दही का सेवन करना फायदेमंद होता है।
5 विटामिन सी भी आपको स्तन कैंसर से बचाता है। यह आपके प्रतिरक्षी तंत्र को मजबूत करके कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
6 कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि रोकने के लिए गेहूं के जवारे भी बेहद कारगर उपाय है। यह न केवल हानिकारक पदार्थों का बाहर निकालने में सहायक है बल्कि आपके प्रतिरक्षी तंत्र को भी मजबूत करते हैं। इसका जूस पीना फायदेमंद है।
स्तन कैंसर में कितने स्टेज होते हैं ।
स्टेज 0 से शुरू होकर अलग-अलग स्टेज बीमारी की गंभीरता को दशार्ते हैं।
स्टेज 0 (Breast Cancer Stage 0) : दूध बनाने वाले टिश्यू या डक्ट में बना कैंसर वहीं तक सीमित हो और शरीर के किसी अन्य हिस्से, यहां तक कि स्तन के बाकी हिस्सों तक भी नहीं पहुंचा हो।
स्टेज 1 (Breast Cancer Stage 1) : टिश्यू का धीरे-धीरे विस्तार होने लगता है और यह आसपास के स्वस्थ टिश्यू को प्रभावित करने लगता है. यह स्तन के फैटी टिश्यू तक फैला हो सकता है और स्तन के कुछ टिश्यू नजदीकी लिंफ नोड में भी पहुंच सकते हैं।
स्टेज 2 (Breast Cancer Stage 2) : इस स्टेज का कैंसर उल्लेखनीय रूप से बढ़ता है या अन्य हिस्सों तक फैलता है. हो सकता है यह बढ़कर अन्य हिस्सों तक फैल चुका हो।
स्टेज 3 (Breast Cancer Stage 3) : कैंसर हड्डियों या अन्य अंगों तक फैल चुका हो सकता है, साथ ही बाहों के नीचे 9 से 10 लिंफ नोड में और कॉलर बोन में इसका छोटा हिस्सा फैल चुका होता है, जो इसके इलाज को मुश्किल बनाता है।
स्टेज 4 (Breast Cancer Stage 4) : कैंसर लिवर, फेफड़ा, हड्डी और यहां तक कि दिमाग में भी फैल चुका होता है।
ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) के कारण -
विशेषज्ञ निश्चित रूप से स्तन कैंसर के कारण का पता नहीं लगा पाए हैं। निम्नलिखित कारण स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं:
उम्र बढ़ना या वृद्ध होना (Getting Older)
महिला की उम्र बढ़ने से स्तन कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ता है। महिलाओं में पाए जाने वाला स्तन कैंसर 80% से ज़्यादा स्थितियों में 50 से ज़्यादा उम्र की महिलाओं में होता है (मेनोपॉज़ के बाद)।
जेनेटिक्स (Genetics; आनुवंशिक विज्ञान)
अगर महिला के किसी करीबी रिश्तेदार को स्तन कैंसर या अण्डाशयी कैंसर है या हो चुका है, तो ऐसी महिलाओं में स्तन कैंसर होने का खतरा ज़्यादा होता है। अगर परिवार के दो सदस्यों को स्तन कैंसर हो जाता है, तो इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके जीन्स सामान थे जिस वजह से उनको यह कैंसर हुआ हो क्योंकि स्तन कैंसर एक आम कैंसर है।
ज़्यादातर स्तन कैंसर आनुवंशिक नहीं होते।
जिन महिलाओं में BRCA1 और BRCA2 जीन्स होते हैं उनमें स्तन कैंसर या/ और अण्डाशयी कैंसर होने का खतरा अधिक होता है। ये जीन्स वंशागत हो सकते हैं। TP53 अन्य जीन है जिससे स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
वक़्त से पहले मासिक धर्म (Early Menstrual Period)
जिन महिलाओं में 12 की उम्र से पहले मासिक धर्म शुरू हो जाते हैं उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा थोड़ा बढ़ जाता है।
पहले कभी स्तन कैंसर हो चुका हो (History Of Breast Cancer)
जिन महिलाओं को पहले स्तन कैंसर हो चुका हो, भले ही वह नॉन-इनवेसिव (Non-Invasive- अन्य कोशिकाओं या ऊतकों तक न फैलने वाला), उनमें स्तन कैंसर होने का जोखिम अन्य महिलाओं की तुलना में ज़्यादा होता है।
स्तन पर गाँठ होना (Having Had Certain Types Of Breast Lumps)
जिन महिलाओं के स्तन पर कैंसररहित गांठें रह चुकी हों, उनमें कैंसर होने का खतरा अधिक होता है।
स्तन में मौजूद सघन ऊतक (Dense Breast Tissue)
जिन महिलओं के स्तन ऊतक ज़्यादा सघन होते हैं उनमें स्तन कैंसर होने का जोखिम ज़्यादा होता है।
देरी से गर्भवती होना या गर्भवती न होना (Late or No Pregnancy)
30 साल की उम्र के बाद पहला गर्भधारण करने या गर्भधारण न करने से भी स्तन कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है।
देरी से मेनोपॉज़ (Late Menopause)
55 की उम्र के बाद मेनोपॉज़ होने से स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
शारीरिक रूप से सक्रिय न होना (Not Being Physically Active)
जो महिलाएं ज़्यादा शारीरिक गतिविधियां नहीं करतीं उनमें स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
मोटापा (Being Overweight)
मोटापा कई बीमारियों के जोखिम को बढ़ा देता है। जिन महिलाओं का वज़न ज़्यादा है उनमें स्तन कैंसर होने की सम्भावना ज़्यादा होती है।
कॉम्बिनेशन हॉरमोन थेरेपी का प्रयोग (Using Combination Hormone Therapy)
पांच साल से ज़्यादा समय तक मेनोपॉज़ में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) का स्थान लेने के लिए होर्मोनेस की दवाएं लेने से भी स्तन कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
गर्भ-निरोधक दवाएं लेने से (Taking Birth Control Pills)
कुछ गर्भ-निरोधक दवाएं स्तन कैंसर होने का खतरा बढाती हैं।
मदिरा और धूम्रपान का सेवन (Alcohol Consumption And Smoking)
ऐसा पाया गया है कि मदिरा और धूम्रपान का अत्यधिक सेवन स्तन कैंसर होने की संभावनाएं बढ़ता है।
ब्रेस्ट कैंसर से जुड़े जाँच
स्तन की जांच करना- यह स्तन कैंसर का उपचार करने का बुनियादी तरीका है, जिसमें स्तन की जांच करते हुए स्तन कैंसर की स्थिति का पता लगाया जाता है।
- मैमोग्राम करना- कई बार स्तन कैंसर का उपचार मैमोग्राम के द्वारा भी किया जाता है। मैमोग्राम में स्तनों का एक्स रे किया जाता है ताकि स्तनों में मौजूद बदलावों का अध्ययन किया जा सके।
- स्तन का अल्ट्रासाउंट करना- डॉक्टर स्तन का अल्ट्रासाउंट करके भी स्तन कैंसर का उपचार करते हैं।इस अल्ट्रासाउंड के माध्यम से इस बात का पता लगाया जाता है, कि स्तन कैंसर कितना बढ़ गया है। डॉक्टर स्तन के अल्ट्रासाउंट के परिणाम के आधार पर ही स्तन कैंसर के उपचार को करते हैं।
- बायोप्सी करना- आज के दौर में बायोप्सी एक लाभदायक तकनीक बनकर उभरी है, इसका उपयोग स्तन कैंसर के उपचार में भी किया जाता है।बायोप्सी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शरीर से ऊतकों (tissue) या कोशिकाओं (cells) का सैंपल लेकर प्रयोगशाला में परीक्षण किया जाता है। शरीर में कुछ विशेष तरह की बीमारियों के निदान के लिए बायोप्सी करायी जाती है।
ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) का इलाज
सर्जरी (Surgery)
स्तन कैंसर को हटाने के लिए कई प्रकार की सर्जरी की जाती हैं:
- मास्टेक्टॉमी (Mastectomy): इस प्रक्रिया द्वारा सर्जन पूरा स्तन निकाल देते हैं। डबल मास्टेक्टॉमी (Double Mastectomy) में दोनों स्तन निकाले जाते हैं।
- लम्पेक्टॉमी (Lumpectomy): इस प्रक्रिया द्वारा संदिग्ध या कैंसरग्रस्त भाग को निकाल दिया जाता है और आसपास के ऊतकों को उनकी जगह पर ही रहने दिया जाता है।
- सेंटिनल नोड बायोप्सी (Sentinel Node Biopsy): इस सर्जरी द्वारा कुछ लिम्फ नोड्स (जिनमें ट्यूमर से स्त्राव हो रहा हो) को निकाला जाता है। लिम्फ नोड्स की जांच की जाएगी और अगर वे कैंसरग्रस्त नहीं हैं तो ऐसा हो सकता है कि आपको लिम्फ हटाने के लिए अतिरिक्त सर्जरी की ज़रुरत न पड़े।
- कॉन्ट्रालेटरल रोगनिरोधी मास्टेक्टॉमी (Contralateral Prophylactic Mastectomy): भले ही स्तन कैंसर सिर्फ एक स्तन में हो, लेकिन कुछ महिलाएं कॉन्ट्रालेटरल रोगनिरोधी मास्टेक्टॉमी करवाने का निर्णय भी लेती हैं। इस सर्जरी में स्वस्थ स्तन को निकाल दिया जाता है जिससे फिर से स्तन कैंसर होने का खतरा टाला जा सकता है।
विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)
कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए एक्स-रे (X-Rays) की उच्च स्तरीय किरणों का प्रयोग किया जा सकता है। ज़्यादातर विकिरण उपचार में शरीर के बाहर एक बड़ी मशीन का प्रयोग किया जाता है (External Beam Radiation)।
कैंसर के उपचार के तरीकों में प्रगति की वजह से शरीर के अंदर कैंसर को विकीर्ण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy) कहा जाता है। इस प्रक्रिया को करने के लिए सर्जन रेडियो-एक्टिव सीड्स या पेलेट्स को शरीर के अंदर ट्यूमर के पास रखते हैं।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
कीमोथेरेपी एक दवा है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकती है। कुछ मरीज़ सिर्फ कीमोथेरेपी ही करवाते हैं लेकिन इस प्रक्रिया का प्रयोग अक्सर उपचार के अन्य विकल्पों, खासकर सर्जरी, के साथ किया जाता है।
कुछ स्थितियों में, सेक्टर सर्जरी से पहले कीमोथेरेपी करना उचित समझते हैं। इसका उद्देश्य यह होता है कि ट्यूमर को सिकोड़ा जा सके और सर्जरी ज़्यादा चीरकर या काटकर न करनी पड़े। कीमोथेरेपी के कई दुष्प्रभाव भी होते हैं जिनके बारे में मरीज़ को उपचार शुरू होने से पहले से पता होना चाहिए।