आँख का कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । आँख के कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

आँख के कैंसर से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

आंखों में दर्द, जलन, खुजली और पानी आने जैसी समस्याओं को हम सभी आम मानते हैं । हमारे इसी रवैये कि वजह से कई बार आंखों गंभीर दिक्कतें दे जाती हैं। आंखों के कैंसर के ज्यादातर मामलों के बारे में तब पता चलता है, जब बहुत देर हो चुकी होती है।


आँख में कैंसर के कारण सेल्स (कोशिका) में तेजी से ग्रोथ होने लगती है। सेल्स में अचानक से ग्रोथ के कारण सेल्स चारों ओर फैलने लगती हैं। आँख में कैंसर में मेलेनोमा (melanoma) कॉमन टाइप है। अन्य प्रकार के आई कैंसर भी पाए जाते हैं जो आंखों की विभिन्न प्रकार की सेल्स को प्रभावित करते हैं। आँख में कैंसर अनकॉमन होता है। आई कैंसर आंख के आउटर पार्ट जैसे कि आईलिड को प्रभावित करता है। अगर कैंसर आईबॉल के अंदर पाया जाता है तो इसे इंट्राऑकुलर कैंसर कहते हैं। बच्चों में कैंसर के लक्षण दिख सकते हैं। बच्चों में सबसे कॉमन आई कैंसर रेटीनोब्लास्टोमा है, जो कि रेटीना की सेल्स से शुरू होता है। आई कैंसर आंख के साथ ही पूरे शरीर में भी फैल सकता है। 

 

आँख में कैंसर के लक्षण ।
 

आँख का कैंसर का सबसे आम लक्षण आपकी देखने की क्षमता में बदलाव है। आंखों के कैंसर से जूझ रहे लोगों को देखने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा, वे फ्लैश या स्पॉट देख सकते हैं। साथ ही, आंख का आकार और आकृति बदल सकती है। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि आंख में कैंसर के लक्षण जल्दी नहीं दिखते हैं। 

  • आंखों के सामने अचानक से सेंसशन होना या फिर धूल की छींटों का एहसास होना।
  • आईरिस में डार्क स्पॉट नजर आना
  • आंख के सेंटर यानी काली पुतली के आकार में बदलाव नजर आना
  • धुंधली दृष्टि हो जाना
  • पेरीफेरल विजन का लॉस होना
  • आँखों पर काले धब्बे पड़ना (A growing dark spot on the iris)
  • तेज रोशनी से आँखों में दर्द
  • एक आँख की रौशनी चली जाना
  • परिधीय दृष्टि की हानि (Loss of peripheral vision)
  • आँखों से धुंधला दिखना
  • पुतली के आकार में बदलाव
  • आँख की पुतली का रंग बदलना
  • आँखे लाल या उनमें दर्द होना
     

 

आँख के कैंसर से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान ।
 

  • आँख का टेस्ट (eye test)
  • आँखों की जाँच कराएं
  • आँख का अल्ट्रासाउंड -आँख की छवियों का उत्पादन करने के लिए
  • एंजियोग्राफी (ट्यूमर और उसके आसपास रक्त वाहिकाओं का इमेजिंग) आँख मेलेनोमा का पता लगाने के लिए
  • आपको अपना चेहरा अच्छी तरह से धोना चाहिए
  • सूजन से बचने के लिए, आँखों को साफ और स्वच्छ रखें
  • आँख धोने के लिए साफ पानी का इस्तेमाल करें
  • सोने से पहले आँखों से मेकअप हटा दें

 

आंखों के कैंसर का कारण ?

आई कैंसर के लिए किसी एक स्पष्ट कारण को नहीं बताया जा सकता है। प्राइमरी मेलेनोमा के लिए कुछ रिस्क फैक्टर होते हैं।

  • ब्लू और ग्रीन रंग की आंख वाले व्यक्तियों में मेलोनो कैंसर होने का अधिक खतरा रहता है।
  • अधिक साफ रंग वाले लोगों में अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा आई कैंसर का खतरा अधिक होता है।
  • उम्र बढ़ने का साथ ही आई कैंसर होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
  • स्किन डिसऑर्डर के कारण भी आई कैंसर हो सकता है। डिस्प्लास्टिक नेवस सिंड्रोम के कारण आई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • यूवी लाइट एक्सपोजर के कारण आंखों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • कई बार बच्चों को पेरेंट्स से ऐसे कुछ जीन मिलते हैं, जिनके कारण आई कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आई कैंसर म्यूटेशन के कारण भी हो सकता है।

 

 

आँख के कैंसर के निदान के लिए प्रयोगशाला परीक्षण और प्रक्रियाएं

आँख के कैंसर का पता लगाने के लिए निम्न प्रयोगशाला परीक्षण और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है:

  • नेत्र परीक्षा: आंख के बाहर की जांच करने और बढ़े हुए रक्त वाहिकाओं की तलाश करना
  • नेत्र अल्ट्रासाउंड: आंख की छवियों का उत्पादन करने के लिए
  • एंजियोग्राफी: आंख मेलेनोमा का पता लगाने के लिए
  • बायोप्सी: आंख मेलेनोमा का पता लगाने के लिए

 

आँख के कैंसर का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है ?


आँख के कैंसर का ट्रीटमेंट बहुत से फैक्टर पर डिपेंड करता है। कुछ फैक्टर जैसे कि आंख में कैंसर ने किस भाग को प्रभावित किया है, ट्यूमर का साइज कितना और किस टाइप का ट्यूमर है। साथ ही व्यक्ति की ओवरऑल हेल्थ का चेकअप भी किया जाता है। अगर आंख में मेलेनोमा का असर दिख रहा है तो डॉक्टर तुरंत ट्रीटमेंट करने के बजाय कुछ समय तक मॉनिटरिंग करता है। ऐसे में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप से आंख की रोशनी भी जा सकती है। कैंसर के इलाज के लिए ऑप्शन भी उपलब्ध होते हैं।

  • सर्जरी

  • आंख के कैंसर के इलाज के लिए विभिन्न प्रकार की सर्जरी अपनाई जा सकती है।
  • इरिडेक्टॉमी (Iridectomy)
    सर्जन छोटे मेलेनोमा वाली परत के कुछ हिस्सों को हटा देगा जो आंख के अन्य भागों में नहीं फैलते हैं।
  • इरिडोट्रेबिकुलेक्टोमी( Iridotrabeculectomy)
    इस सर्जरी की हेल्प से उन टिशू को हटा दिया जाता है जिनसे कैंसर होने का खतरा रहता है।
  • इरिडोसाइक्लिटॉमी (Iridocyclectomy)
    इस सर्जरी में डॉक्टर आईरिस और सिलिअरी बॉडी के हिस्से को हटा देता है।सिलिअरी बॉडी में रक्त वाहिकाएं होती हैं। ये आंख के वाइट और रेटीना के बीच की पतली परत होती है।
  • कोरॉएडेक्टमी (Choroidectomy)
    इस सर्जरी में सर्जन कोरॉइड का हिस्सा निकाल सकता है या फिर आईवॉल सेक्शन को भी हटा सकता है। कोरॉइड आंख का पिंगमेंट पार्ट होता है जिसमे ब्लड वैसल्स होती हैं। रेडिएशन थेरेपी का यूज भी किया जा सकता है।
  • इन्युक्लिएशन (Enucleation)
    इस स्थिति में सर्जन पूरी आंख निकाल सकता है। इस सर्जरी की जरूरत तब पड़ती है जब ट्यूमर बहुत बड़ा हो जाता है। ऐसे में किसी और ट्रीटमेंट को अपनाया नहीं जा सकता है। ट्रीटमेंट के बाद आंख का अधिकतर हिस्से का लॉस हो जाता है। जिन लोगों को ट्यूमर की वजह से आंख में दर्द होता है, उनके लिए भी ये प्रोसीजर अपनाया जा सकता है।
  • रेडिएशन और अन्य टार्गेट थेरेपी
    रेडिएशन थेरेपी की हेल्प से कैंसर सेल्स के जेनेटिक मैटीरियल्स को खत्म किया जा सकता है। ऐसा करने से कैंसर सेल्स रिप्रोड्यूस नहीं हो पाता है। हेल्थ प्रोफेसनल्स रेडिएशन के दौरान इस बात का ध्यान रखते हैं कि केवल कैंसर सेल्स ही टार्गेट हो, हेल्दी सेल्स को किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचे।
  • टेलीथेरेपी (Teletherapy)
    इस प्रोसीजर में पेशेंट के शरीर के बाहर रेडिएशन उत्पन्न किया जाता है। आंख में घातक कोशिकाओं को इस प्रोसीजर की हेल्प से खत्म किया जाता है।
  • ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy)
    इस थेरेपी में टेम्पररी रूप से ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए आंखों में छोटा रेडियोएक्टिव सीड डाला जाता है। ये आंख में चार से पांच दिन के लिए रहता है और रेडिएशन उत्पन्न करता है। इससे ट्युमर धीरे-धीरे नष्ट हो जाता है। डॉक्टर इस बात की जांच करता रहता है कि ट्यूमर का आकार कितना बचा है।