फेफड़ों का कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । फेफड़ों के कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

फेफड़ों का कैंसर फेफड़ों से शुरू होता है और अन्य शरीर के अंगों में फैलता है।

फेफड़ों का कैंसर दुनिया भर में सामने आने वाला सबसे आम कैंसर है। फेफड़ों में पानी, फेफड़ो में टीवी तो आपने सुना होगा लेकिन फेफड़ों में कैंसर एक बहुत बड़ी बिमारी होती है। कई लोग ऐसे होते हैं जिन्हें शुरुआत में इस बीमारी के बारे में बिलकुल पता नहीं चलता और वह इसके शुरुआती लक्षण को भी नजरअंदाज कर देते हैं। रिसर्च के मुताबिक फेफड़ो में कैंसर होने की संभावना महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होती है।

डॉक्टर्स के मुताबिक लंग कैंसर ज्यादातर उन लोगों को होता है जो बीड़ी, सिगरेट, गुटखा आदि किसी न किसी धूएं और तंबाकू जैसी चीजों का सेवन करते हैं। इस कैंसर के अन्य कारणों में किसी रसायनिक फैक्ट्री में काम करना या उसके आसपास रहना, या ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके में रहने से भी आपको यह बीमारी हो सकती है। 

अधिकतर मामलों में फेफड़े के कैंसर का प्रमुख कारण सिगरेट पीना पाया गया है। कार्सिनोजेन्स (carcinogens) सिगरेट के धुएं में पाए जाने वाले रसायन होते हैं, जो लंग कैंसर के लिए उत्तरदायी होते हैं। हालांकि, आजकल लंग कैंसर ज़्यादातर उन लोगों में भी देखा जा रहा है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है।

फेफड़ों की कोशिकाओं का अनियंत्रित प्रकार से बढ़ना फेफड़ों के कैंसर का कारण होता है। जैसे-जैसे कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है, वे एक ट्यूमर बना देती हैं।

 

 

फेफड़ों के कैंसर के लक्षण।

  • खांसी: लगातार खांसी का रहना, लंबे समय चलने वाली खांसी में समय के साथ कुछ परिवर्तन का आना।
  • खांसी में खून आना: खांसी के साथ खुन या भूरे रंग का थूक आने पर चिकित्सक से परामर्श लें ।
  • सांस लेने पर कठिनाई: सांस लेने में तकलिफ होना, घबराहट महसूस हो या श्वास लेते समय एक अलग आवाज का आना।
  • भूख ना लगना: कई कैंसर भूख में बदलाव लाता है, जिससे वजह घटने लगता है ।
  • थकान: कमजोर या अत्यधिक थका हुआ महसूस करना आम स्थिति है ।
  • बार-बार संक्रमण का होना: बार-बार संक्रमण का होना जैसे श्वास नली में सूजन या निमोनिया, फेफड़े के कैंसर के लक्षणों में से एक हो सकता है ।
  • हड्डी में दर्द
  • चेहरा, हाथ या गर्दन में सूजन।
  • सिरदर्द, चक्कर आना या अंग का कमजोर या सुन्न हो जाना।
  • पीलिया
  • गर्दन या हंसली क्षेत्र गांठ होना।
  • सांस लेते अथवा खांसते समय पीड़ा या दर्द ।

फेफड़ों के कैंसर के कम प्रचलित लक्षणों में निम्न सम्मिलित हैं :

  • आपकी उंगलियों की दिखावट में बदलाव, उदाहरण के तौर पर अधिक मुड़ी हुई होना अथवा उनके शीर्ष भागों का बड़ा होना (इसे फिंगर क्लब्बिंग कहते है)
  • 38oसे. (100.4oफे.) अथवा अधिक का उच्च तापमान (ज्वर)
  • निगलने में कठिनाई अथवा दर्द
  • साँस की घरघराहट
  • भारी आवाज़
  • चेहरे अथवा गर्दन में सूजन
  • निरंतर छाती अथवा कंधे का दर्द

 

फेफड़ों का कैंसर किन कारणों से होता है?

  • ध्रूमपान करना- जो व्यक्ति ध्रूमपान करते हैं, उनमें फेफड़ों के कैंसर के होने की संभावना अधिक रहती है।
  • तंबाकू खाना- यदि आप तंबाकू का सेवन करते हैं, तो आपको फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
    सेकेंड हैंड स्मोक का एक्सपोजर : यहां तक ​​कि अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं, तो फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है यदि आप सेकेंड हैंड धुएं के संपर्क में आते हैं।
  • कमज़ोर रोग प्रतिरोधक क्षमता  – एचआईवी एड्स और अंग प्रत्यारोपण के बाद ली जाने वाली दवाएं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमज़ोर कर देती हैं। एचआईवी या एड्स (AIDS) से ग्रस्त लोगों में फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
  • एस्बेस्टस फाइबर (Asbestos Fibre) के संपर्क में आना- यदि कोई व्यक्ति एस्बेस्टस फाइबर के संपर्क में आ जाता है, तो उसे फेफड़ों का कैंसर हो सकता है क्योंकि इसमें इस कैंसर को उत्पन्न करने के टिशू होते हैं।
  • फेफड़े की बीमारी का होना- यदि आपको फेफड़ों संबंधी कोई बीमारी जैसे अस्थमा है, तो आपको फैंफड़े का कैंसर हो सकता है।
  • वायु प्रदूषण का होना- वायु प्रदूषण इस कैंसर का प्रमुख कारण है क्योंकि यह शरीर में प्रदूषित हवा को भेजता है, जो फेफड़ों का खराब करती है।
  • रेडॉन के संपर्क में आना-  रेडॉन एक स्वाभाविक रूप से होने वाली रेडियोधर्मी गैस (Radioactive Gas) है जो सभी चट्टानों और मिट्टी में मौजूद यूरेनियम की छोटी मात्रा से आती है। यह कभी-कभी इमारतों में भी पाया जा सकता है।
  • फेफड़े के कैंसर का पारिवारिक इतिहास : माता-पिता, भाई-बहन या फेफड़े के कैंसर वाले बच्चे में बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।

 

फेफड़ों के कैंसर के दो सामान्य प्रकारों में शामिल हैं ।

  • स्मॉल सैल लंग कैंसर (Small cell lung cancer) : छोटे सेल फेफड़ों का कैंसर लगभग विशेष रूप से भारी धूम्रपान करने वालों में होता है और यह गैर-छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर से कम आम है। 
  • नॉन-स्मॉल सैल लंग कैंसर (Non-small cell lung cancer) : गैर-छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर कई प्रकार के फेफड़ों के कैंसर के लिए एक छाता शब्द है जो समान तरीके से व्यवहार करते हैं। गैर-छोटे सेल फेफड़ों के कैंसर में स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, एडेनोकार्सिनोमा और बड़े सेल कार्सिनोमा शामिल हैं।

 

 

फेफड़ों के कैंसर की स्टेजिंग

  • स्टेज 0 : डॉक्टर असामान्य कोशिकाओं को केवल वायुमार्ग की कोशिकाओं की ऊपरी परतों में पाता है।
  • स्टेज 1 : एक ट्यूमर फेफड़े में विकसित हुआ है, लेकिन 5 सेंटीमीटर (सेमी) के नीचे है और शरीर के अन्य भागों में नहीं फैला है।
  • स्टेज 2 : ट्यूमर 5 सेमी से छोटा है और फेफड़े के क्षेत्र में लिम्फ नोड्स तक फैल सकता है, या 7 सेमी से छोटा हो सकता है और पास के ऊतकों में फैल सकता है लेकिन लिम्फ नोड्स में नहीं।
  • स्टेज 3 : कैंसर लिम्फ नोड्स में फैल गया है और फेफड़ों और आसपास के अन्य हिस्सों में पहुंच गया है।
  • स्टेज 4 : कैंसर शरीर के कुछ हिस्सों, जैसे कि हड्डियों या मस्तिष्क तक फैल गया है।

 

फेफड़ों के कैंसर का निदान करने के लिए टेस्ट ।

फेफड़ों के कैंसर का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण सामान्यतः उपयोग किए जाते हैं –

  • ब्लड केमिस्ट्री परीक्षण – ब्लड  केमिस्ट्री परीक्षणों का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि फेफड़ों का कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैल गया है या नहीं।
  • एक्स-रे (X-Ray) – छाती का एक्स-रे फेफड़ों की समस्याओं, जैसे – ट्यूमर या फेफड़ों में होने वाले बदलावों को देखने के लिए किया गया पहला इमेजिंग परीक्षण होता है।
  • सीटी स्कैन (CT Scan) – सीटी स्कैन का उपयोग फेफड़े के ट्यूमर के स्थान, आकार और बनावट को दिखाने के लिए किया जाता है। चेस्ट में मौजूद कोई लिम्फ नोड्स जो सामान्य आकार से बड़े हों, ट्यूमर शरीर के अन्य अंगों में तो नहीं फैल गया और बायोप्सी को निर्देशित करने के लिए भी सीटी स्कैन का उपयोग किया जाता है। 
  • पीईटी स्कैन (PET Scan) – पीईटी स्कैन का उपयोग यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि फेफड़ों का  कैंसर शरीर में कितना फैल गया है। इस प्रक्रिया में पूरे शरीर की स्कैनिंग होती है।
  • एमआरआई (MRI) –  एमआरआई का उपयोग यह जानने के लिए किया जाता है कि कैंसर मस्तिष्क में फैल गया है या नहीं।
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) – इसका उपयोग फेफड़ों के आसपास एकत्र होने वाले तरल पदार्थ के बारे में जानने के लिए किया जाता है। एंडोस्कोपिक प्रक्रियाओं के दौरान अल्ट्रासाउंड का उपयोग बायोप्सी को निर्देशित करने के लिए भी किया जाता है।
  • ब्रोंकोस्कोपी और बायोप्सी (Biopsy) – यदि सीटी स्कैन से पता चलता है कि आपकी छाती के मध्य भाग में कैंसर हो सकता है, तो आपको ब्रोंकोस्कोपी करवानी होगी।  ब्रोंकोस्कोपी एक प्रक्रिया है, जिसमे डॉक्टर आपके फेफड़ों के अंदर से कोशिकाओं के एक छोटे नमूने को निकाल लेता है (जिसे बायोप्सी कहा जाता है)।
  • थोरैकोस्कोपी (Thoracoscopy) – थोरैकोस्कोपी एक प्रक्रिया है, जिसमें चिकित्सक आपकी छाती के किसी विशेष क्षेत्र की जांच करता है और उसमे मौजूद ऊतक और तरल के नमूने लेता है।
  • मेडिएस्टिनस्कोपी (Mediastinoscopy) –  मेडियैस्टिनस्कोपी प्रक्रिया में दौरान डॉक्टर आपकी छाती के मध्य फेफड़ों के बीच के क्षेत्र की जाँच करता है (mediastinum)।

 

 

फेफड़ों के कैंसर का इलाज ।

  • सर्जरी : एक डॉक्टर कैंसरग्रस्त फेफड़े के ऊतकों और आसपास के उन हिस्सों के ऊतकों को हटाने के लिए काम कर सकता है, जहाँ कैंसर फैल चुका होगा। इसमें कभी-कभी एक लोबेक्टोमी नामक प्रक्रिया में फेफड़े के एक लोब या बड़े हिस्से को निकालना शामिल होता है। गंभीर मामलों में, सर्जन पूरी तरह से एक फेफड़े को हटा सकता है। एक व्यक्ति फेफड़े के बिना रह सकता है, लेकिन सर्जरी से पहले अच्छे स्वास्थ्य में रहने से फेफड़ों को हटाने के बाद परिणामों में सुधार करने में मदद मिलती है। 
  • कीमोथेरेपी : यह उपचार कैंसर कोशिकाओं को सिकोड़ने या मिटाने के लिए दवाओं का उपयोग करता है। ये दवाएं तेजी से विभाजित कोशिकाओं को लक्षित करती हैं, जो उन्हें कैंसर के इलाज के लिए आदर्श बनाती हैं। कीमोथेरेपी उपचार का कैंसर पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है जो शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैल गया है और शरीर पर व्यापक हमले की आवश्यकता है। हालांकि, कीमोथेरेपी एक शक्तिशाली हस्तक्षेप है और अत्यधिक मतली और वजन घटाने सहित दुष्प्रभाव हो सकते हैं। 
  • विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy): यह दृष्टिकोण कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग करता है। एक डॉक्टर विकिरण को हटाने से पहले एक ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए विकिरण का उपयोग कर सकता है। विकिरण चिकित्सा मुख्य रूप से कैंसर पर उपयोगी होती है जो एक स्थान पर होती है और फैलती नहीं है।