प्रोस्टेट कैंसर क्या ,कब , क्यों ,कैसे ,क्या खाए ?
प्रॉस्टेट कैंसर सिर्फ पुरुषों को होता है। इसका कारण होता प्रॉस्टेट ग्रंथि, जो कि सिर्फ पुरुषों में होती है। प्रॉस्टेट कैंसर का खतरा उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है। प्रॉस्टेट ग्रंथि अखरोट के आकार की एक ऐसी ग्रंथि है जो पेशाब की नली के चारों ओर फैला होती है। इसका काम स्पर्म को न्युट्रिशन देना होता है। आमतौर पर प्रॉस्टेट ग्रंथि का वजन 18 ग्राम होता है, लेकिन इसका वजन 30 से 50 ग्राम होने पर प्रॉस्टेट कैंसर हो जाता है। अभी तक इसके बढ़ने का कोई निश्चित कारण का पता नहीं चला है। देखा गया है कि 40 साल की उम्र के बाद ग्लैंड का साइज बढ़ने लगता है। अगर शुरुआत में ही इन लक्षणों के बारे में पता चल जाए तो इससे बचा जा सकता है।
भारत में वर्ष 2019 में 25,696 प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले सामने आए हैं जो पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है और अभी भी बढ़ रहे हैं। इसे 2020 तक दोगुना हो जाने का अनुमान है। इसके जरिए होने वाली मौतों की संख्या 17,184 है। जितनी घटना है, उस में 5 साल में 47,558 और बढ़ जाता है। यह दुनिया भर में 4 वां सबसे अधिक पाया जाने वाला ट्यूमर है। इसका अर्थ है मृत्यु और रुग्णता।
संतोष की बात यह है कि भारतीयों में अभी इस संबंध में कोई भी क्षेत्रीय या जातीय अंतर नहीं दिखा है। इसलिए यदि आप भारतीय 40 वर्ष के पुरुष हैं तो आपको प्रोस्टेट कैंसर के बारे में जानना चाहिए।
प्रोस्टेट कैंसर के कितने प्रकार हैं? (Types of Prostate Cancer in Hindi)
प्रोस्टेट कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
- एग्रेसिव या तीव्र विकसित होने वाला कैंसर- यह इस कैंसर का सामान्य प्रकार होता है, जो काफी तेज़ी से विकसित होता है और इसके साथ में यह शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
- नॉन एग्रेसिव या धीमी गति से विकसित होने वाला कैंसर- यह प्रोस्टेट कैंसर का अन्य प्रकार है, जो केवल पौरूष ग्रंथि में ही उत्पन्न होता है और सामान्य उपचार के तरीकों से ठीक हो जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण।
- पेशाब करने में तकलीफ होना प्रॉस्टेट कैंसर की तरफ इशारा है। रात में कई बार पेशाब आना, अचानक पेशाब का फ्लो कम हो जाना, पेशाब होने के बाद पेशाब जैसा लगना प्रॉस्टेट कैंसर के लक्षण हैं। इसके अलावा पेशाब और मल के साथ खून भी निकल सकता है। प्रॉस्टेट ग्रंथि बढ़ने के कारण ये समस्याएं होती हैं।
- यदि शरीर के किसी भाग की त्वचा में कुछ परिवर्तन नजर आए तो डॉक्टर से मिलना चाहिए। त्वचा में इस तरीके का बदलाव प्रॉस्टेट कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है। वहीं शरीर का कोई हिस्सा काला या सांवला पड़ने लगे तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
- बिना काम किए यदि लगातार शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो रहा है तो प्रॉस्टेट कैंसर का लक्षण हो सकता है। वहीं, पीठ में यदि लगातार दर्द है तो इसे नजरअंदाज न करते हुए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
- लगातार वजन कम होना भी प्रॉस्टेट कैंसर का लक्षण है। यदि बिना कोई उपाय किए शरीर का वजन तेजी से कम होना भी कैंसर की ओर इशारा है। एक बात और ध्यान देना चाहिए कि जब पाचन क्रिया सही तरह से काम नहीं करे तो समझ लेना चाहिए कि आप प्रॉस्टेट कैंसर की चपेट में हैं। वहीं प्रॉस्टेट कैंसर से व्यक्ति के शरीर की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके बाद शरीर में बामारियों के बढ़ने की आशंका रहती है।
- रात में बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना बार-बार पेशाब करना- रात में 1-2 बार पेशाब करने के लिए उठना सामान्य चीज होती है, लेकिन जब किसी पुरूष को पेशाब करने के लिए 3-5 बार करने के लिए उठना पड़ता है, तो यह चिंताजनक बात होती है।
- ज्यादा देर तक पेशाब को रोकना: ऐसा माना जाता है कि एक पुरूष को सामान्य तौर पर 6-7 बार पेशाब करना चाहिए, क्योंकि इससे आपका ब्लैडर की सफाई हो जाती है। लेकिन आज कल काम के दबाव के कारण अक्सर लोग पेशाब नहीं करते हैं, जिससे उनमें यूरिन संबंधी समस्या होती है।
- जलन और पेशाब में दर्द
- मूत्राशय के नियंत्रण में कमी
- मूत्र प्रवाह में कमी
- मूत्र में रक्त (हेमट्यूरिया)
- वीर्य में रक्त
इन चेतावनी संकेतों के साथ समस्या यह है कि ये प्रारंभिक अवस्था में दिख सकते हैं या नहीं भी दिख सकते। अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआत में पहचान करना मुश्किल है।इस संबंध में अमेरिकन कैंसर सोसायटी का एक विशिष्ट प्रोटोकॉल है जिसका पालन पूरी दुनिया में किया जाता है।
प्रोस्टेट कैंसर के कारण
- वृद्धावस्था (Old Age): उम्र के साथ प्रोस्टेट कैंसर होने का जोखिम भी बढ़ता है।
- अनुवांशिक परेशानी (Genetic Problems): अगर आपके परिवार में किसी प्रोस्टेट कैंसर या ब्रैस्ट कैंसर है या रह चुका है, तो आपको प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा ज़्यादा है।
- मोटापा का होना- यह समस्या उन पुरूषों को भी हो सकती है, जिनका वजन अधिक होता है।
इसी कारण हर व्यक्ति को अपने वजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि उसे यह कैंसर होने की संभावना न सके। - खराब भोजन करना- यदि कोई पुरूष पौष्टिक भोजन नहीं करता है तो उसे प्रोस्टेट कैंसर हो सकता है।
अत: हर व्यक्ति को अपने खराब भोजन नहीं करना चाहिए और हेल्थी डाइट को अपनाना चाहिए। - हार्मोन परिवर्तन का होना– यह कैंसर कई बार हॉर्मोन के असामान्य तरीके से परिवर्तन होने के कारण भी हो जाता है।
इस स्थिति में हॉर्मोन को नियंत्रित रखने वाली दवाईयां लाभदायक साबित हो सकती हैं।
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव - Prevention of Prostate Cancer in Hindi
अन्य कैंसर की तरह इसका कारण भी अज्ञात है, इसलिए आप इस संबंध में बहुत कुछ नहीं कर सकते। आप क्या कर सकते हैं आप एक स्वस्थ जीवन शैली अपना कर और जोखिम कारकों को ख़तम कर थोड़ा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे शुरू करें –
- आहार योजना:
1. छोटे छोटे अंतराल पर कम कम भोजन करें
2. अपनी प्लेट में अधिक सब्जी और प्रोटीन जोड़ें
3. कम वसा और कैलोरी विकल्प को अपनाएं
4. 1,500 मिलीग्राम कैल्शियम / दिन से अधिक के सेवन से बचें
5. मछली खाएं
6. पकाया टमाटर और ग्रीन टी लें
- आहार और शारीरिक गतिविधियों का प्रबंधन करके एक स्वस्थ वजन बनाए रखना:
1. जुम्बा
2. नृत्य
3. एरोबिक्स
4. तैराकी
5. सायक्लिंग
6. हल्के वजन व्यायाम
7. पयोग और प्राणायाम
- तनाव कम करना – ध्यान, योग, प्राणायाम और अन्य तनाव कम करने वाली गतिविधियों को आजमाएँ
- पर्याप्त नींद लें
- धूम्रपान ना करें
- अपने सभी मौजूदा दवा को समय पर लें
- रेड और प्रोसेस्ड मीट को ना करें
प्रोस्टेट कैंसर का परीक्षण -
डॉक्टर प्रोस्टेट कैंसर का निदान शारीरिक परीक्षण, स्वास्थ्य स्थिति और अन्य परीक्षणों के माध्यम से करते हैं।
- डिजिटल रेक्टल टेस्ट्स (DRE): यह प्रोस्टेट की जांच करने के लिए एक सामान्य टेस्ट है। प्रोस्टेट एक अंदरूनी अंग है इसलिए इसे सीधा नहीं देखा जा सकता। ऐसा करने के लिए डॉक्टर मलाशय द्वारा ऊँगली डालकर जांच करते हैं कि कहीं कोई ठोस गांठें तो नहीं महसूस हो रही।
- प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA): PSA प्रोस्टेट में बनने वाला एक प्रोटीन है। रक्त परीक्षण द्वारा PSA की जांच की जाती है।
- प्रोस्टेट बायोप्सी (Prostate Biopsy): बायोप्सी के लिए पौरुष ग्रंथि का एक छोटा हिस्सा निकाला जाता है और उसकी जांच की जाती है। अगर आपकी प्रोस्टेट बायोप्सी की गयी है तो, आपको एक ग्लीसन स्कोर दिया जाता है। स्कोर से यह पता चलता है कि पैथोलॉजिस्ट (Pathologist; रोग-विज्ञान विशेषज्ञ) ने प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को किस श्रेणी में रखा है।
- अन्य परीक्षण: डॉक्टर आपको अन्य टेस्ट्स जैसे, एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan), करवाने के लिए भी कह सकते हैं।
प्रोस्टेट कैंसर के स्टेज:
- स्टेज 1 - कैंसर बहुत छोटा होता है और पौरुष ग्रंथि तक ही सीमित होता है।
- स्टेज 2 - कैंसर पौरुष ग्रंथि में ही होता है लेकिन आकार बड़ा होता है।
- स्टेज 3 - कैंसर प्रोस्टेट के बाहर फ़ैल चुका है और वीर्य को ले जाने वाली ट्यूब्स तक फैला हो सकता है।
- स्टेज 4 - कैंसर लिम्फ नोड्स तक या शरीर के किसी अन्य अंग तक फ़ैल जाता है; लगभग 20-30% स्थितियां इस स्टैग की होती हैं।
प्रोस्टेट कैंसर का इलाज
- सर्जरी (Surgery): जब किसी भी अन्य तरीकों से पौरूष ग्रंथि के कैंसर का उपचार नहीं हो पाता है, तब सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचती है।
इस सर्जरी को प्रोस्टेटेक्टमी (Prostatectomy) के नाम से जाना जाता है, जिसमें सर्जिकल तरीके से प्रोस्टेट ग्रंथि को निकाल दिया जाता है। - रेडिएशन थेरेपी/ विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy): इसमें कैंसर को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा की किरणों का प्रयोग किया जाता है।
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy): विशिष्ट दवाओं का प्रयोग करके कैंसर को सिकोड़ा या नष्ट किया जाता है। दवाएं गोलियों के रूप में भी दी जा सकती हैं और नसों में भी डाली जा सकती हैं या दोनों तरह से भी दी जा सकती है।