प्यार क्या है शायद यह कहानी पढ़ के समझ आए।

कैंसर जैसी बीमारी न केवल एक मरीज को मारती है बल्कि यह धीरे-धीरे उसे उसके प्रियजनों को भी उससे दूर कर देती है। गले में दर्द, जोड़ों में दर्द, भूख, कमजोरी और नाजुक शरीर के चलते मरीज को हर समय मौत का डर रहता है।

जनवरी 2018 में नितेश प्रजापत, जो कि खुद कोलोरेक्टल कैंसर के लास्ट स्टेज से जूझ रहे थे, उन्होंने और उनकी पत्नी डिंपल परमार ने फैसला किया कि वे अपना शेष जीवन लोगों की सेवा करने और कैंसर व कैंसर से संघर्ष कर रहे लोगों और उनके परिवार की मदद करने के लिए समर्पित करेंगे।

28 वर्षीय डिंपल कहती हैं, "नितेश की अंतिम इच्छा थी कि वह अपने आस-पास के सभी लोगों, खासकर उन अनगिनत लोगों को, जो हर दिन कैंसर से पीड़ित होते है, उनके लिए उम्मीद जगाएं। दरअसल वे लोग इस घातक बीमारी से लड़ते हैं, और कई बार उनके पास साहस और संसाधनों की कमी होती है। हम अपने संगठन के माध्यम से उन्हें बताना चाहते हैं कि- आप अकेले नहीं हैं, हम आपके साथ हैं।"

2016 से, जब से नितेश को स्टेज 3 कोलोरेक्टल कैंसर का पता चला, तब से दोनों ने इस भयानक बीमारी को हराने के विभिन्न तरीकों का अध्ययन करने के लिए रातों की नींद हराम कर दी। कैंसर की प्रकृति को समझने से और उसकी रोकथाम के लिए डिंपल और नितेश ने “do’s and don’ts” की लिस्ट बनाई। यह दोनों अपनी जानकारी साझा करना चाहते थे और उस समाज को कुछ वापस देना चाहते थे, जिसने इस कठिन यात्रा में वित्तीय और लॉजिस्टिक समर्थन के साथ, क्राउडफंडिंग द्वारा और अपने आईआईटी-आईआईएम-कलकत्ता पूर्व छात्रों के नेटवर्क के माध्यम से मदद की थी।

उन्होंने जल्द ही मुंबई में एक गैर-लाभकारी संगठन लव हील्स कैंसर (Love Heals Cancer) की शुरुआत की। 28 साल के नितेश ने जनवरी 2018 में शुरुआती दिनों में खुद से वेबसाइट के कामकाज की देखरेख की। संगठन की स्थापना कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और रोगियों को अपनी ओर से हमेशा ये सुनिश्चित कराने के लिए की गई थी कि उनके साथ उनकी इस यात्रा में वे साथ हैं। डिंपल, जो परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों के दुख और तकलीफ को समझती हैं, उन्हें भी सहारा देती हैं।

मार्च, 2018 में नितेश के निधन के बाद, डिंपल ने उनके सपनो को आगे बढ़ाने के लिए काम करना जारी रखा। आज, वह भारत के मेट्रो शहरों में स्वयंसेवी समूहों के साथ संगठन चलाती है। आईआईएम-कलकत्ता की पूर्व छात्र डिंपल कहती हैं, "हम कुछ भी चार्ज नहीं करते हैं और हमारा इसका कोई भी इरादा नहीं हैं। हम सिर्फ उन लोगों की मदद करना चाहते हैं, जो दुनिया भर में अपनी कहानियों को फैलाना चाहते हैं और बताना चाहते हैं कि वे हमारे बीच असली फाइटर हैं।" पिछले एक साल में, डिंपल दुनिया भर में 1,000 से अधिक कैंसर रोगियों और परिवारों तक पहुंची हैं, और उन्हें परामर्श सेवाएं प्रदान की हैं। प्रेम और सेवा सब से ऊपर अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े, नितेश परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य थे, और अपने परिवार की स्थिति को सुधारने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे।

आईआईटी-कानपुर के पूर्व छात्र और आईआईएम-कलकत्ता में अध्ययन करते हुए, उन्होंने एपेटी (Appeti) की स्थापना की, जो एक क्यूरेटेड ऑनलाइन मार्केटप्लेस था। 2016 में एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के दौरान उनकी मुलाकात डिंपल से हुई, जो कैंपस में अपने स्टार्टअप, जैपल (Zaple) में काम कर रही थीं। कपल ने अपनी पढ़ाई के दौरान एक दूसरे से बातचीत की, स्टार्टअप और उद्यमशीलता के सपने रखने वाले इन दोनों में कब प्यार हो गया पता ही नहीं चला। 

जून 2016 में, एक रुटीन हेल्थ चेकअप से पता चला कि नितेश को स्टेज 3 कोलोरेक्टल कैंसर था। वह टूट गए, लेकिन शुरुआती झटके से उबरने में कामयाब रहे, और, अपने परिवार के समर्थन के साथ, इलाज शुरू किया। उन्होंने अपनी स्वास्थ्य स्थिति को तार्किक तरीके से स्वीकार किया, यह मानते हुए कि हर समस्या का समाधान था। डिंपल याद करती हैं, "किसी भी एमबीए छात्र की तरह, उन्होंने अपने शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म गोल सेट किए, फंडिंग विवरण, जारी शैक्षणिक आवश्यकताएं, उपचार के विकल्प और एक्सेल शीट का उपयोग करके डाइट प्लान तैयार किया।"

इस यात्रा के दौरान डिंपल पूरी तरह से नितेश के साथ खड़ी थीं। जब नितेश को एमबीए के दौरान लेक्चर हॉल के करीब एक जगह आना-जाना होता था, तब डिंपल ने उनके मुश्किल समय में नितेश की मदद करने के लिए उनके पास रहने का विकल्प चुना। डिम्पल कहती हैं, "जब कोई व्यक्ति अपने जीवन को करीब से देखता है, तो बाकी सब कुछ मायने नहीं रखता। तब केवल यह पता चलता है कि प्यार कितना सरल है, यही मायने रखता है।"

गिरते स्वास्थ्य के बावजूद, कपल ने अप्रैल, 2017 में अपने स्नातक दिवस पर सगाई करने का फैसला किया। अगला साल सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसे ट्रीटमेंट से भरा था। हालाँकि, जब नीतेश और डिंपल को लगा कि उन्होंने खतरनाक बीमारी को हरा दिया है, तभी जून में एक पोस्ट-ट्रीटमेंट स्कैन से पता चला कि यह बीमारी उनके फेफड़ों, श्रोणि (pelvis) और पेट के अन्य हिस्से में फैल गई है। कुल 12 ट्यूमर थे। हार मानने को तैयार नहीं, नितेश और डिंपल ने शादी करने का फैसला किया और एक-दूसरे का साथ कभी नहीं छोड़ने की कसम खाई।

नव-विवाहित डिंपल ने अपने पति को अपने विश्वास और प्यार से ठीक करने का वादा किया। उन्होंने विभिन्न क्लीनिकल ट्रायल्स में भाग लेने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया, और संसाधनों के लिए क्राउडफंडिंग शुरू किया। वह याद करती हैं, "जब नितेश और मैं पहली बार अमेरिका में इलाज के लिए उतरे, तो हमने महसूस किया कि जैसे हम खोए हुए बच्चे, असहाय, और अपने दम पर ये सब नहीं कर सकते। हालांकि, हमें फाइनेंशियल और लॉजिस्टिक हेल्प मिली, और पूरी तरह से अजनबियों से बहुत प्यार और देखभाल मिली।" एक गुजराती परिवार, जिन्हें आईआईटी-आईआईएम के पूर्व छात्रों के नेटवर्क के माध्यम से उनके बारे में पता चला, ने उन्हें अमेरिका में सहारा दिया और उन्हें आवास दिलाने में मदद की; एक स्थानीय भारतीय प्रार्थना समूह ने उन्हें किराने का सामान और खाद्य सेवाओं के साथ मदद की। वह कहती हैं, “जनवरी 2018 तक, नितेश दर्द में थे, लेकिन उसे कोई दुख नहीं था। उसमें बहुत प्यार और खुशी थी; वह समाज को यह सब समर्थन वापस देना चाहता था जिसने बिना शर्त उसकी मदद की। और हमने लव हील्स कैंसर शुरू करने का फैसला किया।"14 मार्च 2018 को कैंसर ने नितेश को डिंपल से दूर कर दिया।

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