स्किन कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । स्किन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

दुनिया में स्किन कैंसर बड़ी  तेजी से फैल रहा है।

कैंसर का नाम सुनते ही लोगों काफी डर जाते हैं। यूं तो कैंसर के कई प्रकार होते हैं, लेकिन अधिकतर लोग सिर्फ मुंह के कैंसर या ब्रेस्ट कैंसर के बारे में ही ज्यादा जानते हैं और इसके प्रति सजग रहते हैं। लेकिन इसके अलावा भी कैंसर के ऐसे कई प्रकार होते हैं, जो आपकी जान जोखिम में डाल सकते हैं। ऐसा ही एक कैंसर है स्किन कैंसर।

दुनिया भर में कई तरह के कैंसर फैले हुए हैं। उन्हीं में से एक स्किन कैंसर भी तेजी से फैल रहा है। जब स्किन की कोशिकाएं असामान्य तरीके से बढ़ने लगती है जब स्किन कैंसर होता है। ज्यादा देर तक धूप में रहने से यह समस्या किसी को भी हो सकती है। शरीर के जिन हिस्सों पर पर सूर्य की किरणे सीधी पड़ती है जैसे हथेली, उंगलियां, नाखून की त्वचा, पैर के अंगूठे की त्वचा पर कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है।

इसके अलावा भी स्किन कैंसर होने के कई और कारण हो सकते है। अब बात आती है कि आखिर इसकी पहचान समय पर कैसे करें। हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ शुरूआती लक्षण जिन्हें पहचान कर आप इस समस्या को शुरूआत में ही पकड़ कर इलाज करवा सकते हैं। अगर सही समय पर इलाज नहीं कराया तो जानलेवा साबित हो सकता है।

स्किन कैंसर के लक्षण। 

 

  • जलन का अहसास

कई बार जब हम बाहर से आते हैं, तो हमें गर्दन, माथे, गाल और आंखों के आसपास अचानक जलन होने लगती है। अमूमन लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर यह जलन लगातार बनी रहती हैं, तो यह स्किन कैंसर होने का लक्षण हो सकता है।

 

  • बर्थ मार्क में बदलाव

यह एक बहुत बड़ा लक्षण है, जो स्किन कैंसर के बारे में बताता है। दरअसल, स्किन कैंसर होने पर त्वचा की कोशिकाओं में बदलाव होने लगते हैं। ऐसे में आपके शरीर पर मौजूद बर्थ मार्क का आकार भी बढ़ता है। अगर आपके बर्थ मार्क में आपको बदलाव नजर आता है। साथ ही वहां खुजली भी होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

 

  • तिल का आकार बदलना

स्किन कैंसर के कारण त्वचा की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ती हैं। ऐसे में सिर्फ बर्थ मार्क ही नहीं, त्वचा पर मौजूद तिल का आकार भी बदलने लगता है। इतना ही नहीं, उसके आकार के साथ−साथ आपको उसके रंग में भी बदलाव नजर आएगा। ऐसा होने पर एक बार जांच जरूर करवानी चाहिए। इसे अनदेखा करना आपके लिए काफी घातक सिद्ध हो सकता है।

 

  • दागधब्बे पड़ना

अक्सर स्किन पर दाग−धब्बे पड़ जाते हैं और लोग उसे नजरअंदाज करते हैं। लेकिन यह दाग−धब्बे भी स्किन कैंसर होने का संकेत देते हैं। अगर स्किन पर दाग−धब्बे पड़ गए और चार या पांच हफ्ते के बाद भी यह ठीक नहीं हो रहे हैं तो यह स्किन कैंसर का लक्षण है।

  • खुजली का होना

यह इस कैंसर के होने का सबसे सामान्य लक्षण है, जिसमें व्यक्ति को काफी खुजली होती है।
आमतौर पर, लोग इसे सामान्य समस्या समझते हैं और इसलिए उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।

  • लाल दब्बों का पड़ना

यदि किसी व्यक्ति की त्वचा पर लाल दब्बे पड़ जाते हैं, तो उसे इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इसकी सूचना तुंरत अपने डॉक्टर को देनी चाहिए।

  • त्वचा पर पपड़ी का उभरना

अक्सर, त्वचा पर पपड़ी के जमा होने लगती है।
इसी कारण इस समस्या के होने पर व्यक्ति को इसकी जांच करानी चाहिए

  • अल्सर का होना

कई बार स्किन कैंसर के होने पर अल्सर की समस्या भी हो जाती है।
अत: यदि किसी भी व्यक्ति को अचानक से अल्सर हो जाता है, उसे इसकी जांच तुंरत करानी चाहिए।

  • मस्सों का होना

स्किन कैंसर का अन्य लक्षण त्वचा पर मस्सों का होना भी होता है।
इसी कारण यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर अचानक मस्से हो जाते हैं तो उसे इसकी सूचना अपने डॉक्टर से करानी चाहिए ताकि इसका इलाज समय रहते किया जा सके और स्किन कैंसर होने की संभावना को कम किया जा सके।

  • बार-बार एक्जिमा होना

 

  • अन्य लक्षण

इन लक्षणों के अतिरिक्त ऐसे भी कुछ लक्षण होते हैं, जो देखने में सामान्य स्किन समस्या लगते हैं, लेकिन वास्तव में स्किन कैंसर के लक्षण भी हो सकते हैं। जैसे−

अगर आापकी स्किन पर पिंपल हैं और उसका आकार अचानक से बढ़ने लगे। साथ ही आपको उसके रंग में बदलाव नजर आए तो यह स्किन कैंसर का लक्षण हो सकता है।

इसके अलावा अगर धूप में रहने पर आपको स्किन में खुजली का अहसास हो तो यह भी स्किन कैंसर होने की तरफ इशारा करता है। 

अगर धूप में निकलते ही शरीर में खुजली होने लगती है तो यह स्किन कैंसर का एक लक्षण हो सकता है। 

एक्जिमा होने पर भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, क्योंकि स्किन कैंसर का एक लक्षण एक्जिमा भी है।

 

स्किन कैंसर से ऐसे करें बचाव

  • घर से बाहर निकलते समय सूर्य की रोशनी से बचने के लिए शरीर को ढक कर बाहर निकले।
  • अगर स्किन पर दाग- धब्बे पड़ रहे है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • शरीर को डिहाइड्रेट से बचाने के लिए अधिक से अधिक पानी पिएं। जिससे आपको स्किन कैंसर का भी खतरा नहीं होगा।
  • कम से कम तलीभुनी या मसालेदार चीजों का सेवन करें।
  • फैटी एसिड वाले फूड जैसे मीट, फास्ट फूड, कॉर्न आदि से दूरी बना कर रखें।
  • स्किन पर मॉश्चराइजर और सनस्क्रीन लोशन का यूज करें।

 

 

स्किन कैंसर के प्रकार कितने हैं? (Types of Skin Cancer in Hindi)

अलग-अलग लोगों में स्किन कैंसर विभिन्न तरह के होते हैं, इसी आधार पर यह मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जो इस निम्नलिखित हैं-

  1. एक्टिनिक करतोसिस-यह स्किन कैंसर का सबसे सामान्य और आरंभिक प्रकार होता है। इसमें त्वचा पर लाल और गुलाबीं रंग के धब्बे पड़ जाते हैं और इससे पीड़ित व्यक्ति को इनसे किसी किस्म की परेशानी नहीं होती है।
    एक्टिनिक करतोसिस (Actinic keratosis) मुख्य रूप से उन लोगों को होती है, जिनका त्वचा सफेद रंग की होती है और इनके साथ में जिनकी उम्र 40 साल से अधिक होती है।
  2. बेसल सेल कार्सिनोमा-यह इस कैंसर का सबसे लोकप्रिय प्रकार है, जो लगभग 90 प्रतिशत लोगों में देखने को मिलता है।
    बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal cell carcinoma) की शुरूआत धीरे होती है, लेकिन यह समय के साथ विकसित हो सकती है।
  3. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा-यह कैंसर त्वचा की बाहरी स्तर पर उत्पन्न होता है और यह बेस सेल कार्सिनोमा (BCC) से अधिक घातक हो सकता है।
    स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) की स्थिति में त्वचा पर लाल धब्बे हो सकते हैं और उनमें दर्द भी हो सकता है।
  4. मेलानोमा-यह त्वचा के कैंसर का सबसे घातक रूप होता है। हालांकि,यह समस्या काफी कम लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन यह अधिकांश लोगों की मृत्यु का कारण बनता है।
    मेलानोमा (Melanoma) का उपचार समय रहते करना ही बेहतर होता है अन्यथा इसके लिए सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है।

 

स्किन कैंसर के कारण क्या हैं? (Causes of Skin Cancer in Hindi)

यह कैंसर कई सारे कारणों से हो सकता है, जिनमें से प्रमुख 4 कारण निम्नलिखित हैं-

  1. धूप के संपर्क में रहना-स्किन कैंसर मुख्य रूप से उन लोगों में होने की संभावना अधिक रहती है, जो ज्यादा समय धूप में बिताते हैं।चूंकि, सूरज की किरणों में अल्ट्रावॉयलेट किरण होती हैं, इसलिए ये त्वचा पर दुष्प्रभाव डालती हैं और त्वचा के कैंसर की संभावना भी बढ़ जाती है।
  2. फेमिली हिस्ट्री का होना-कई बार यह कैंसर उस व्यक्ति को भी हो सकती है, जिनके परिवार में किसी अन्य व्यक्ति को स्किन कैंसर होता है।
    इसी कारण ऐसे व्यक्ति को अपने स्वास्थ की जांच करानी चाहिए ताकि यह पुष्टि हो सके कि उसे यह समस्या हो सकती है अथवा नहीं।
  3. रेडियोथेरेपी का दुष्प्रभाव का पड़ना-स्किन कैंसर उस स्थिति में भी हो सकती है, जब किसी व्यक्ति के द्वारा की गई रेडियोथेरेपी असफल हो जाती है।
    ऐसे में रेडियोथेरेपी के बाद व्यक्ति को तमाम सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि उसे किसी तरह के जोखिमों का सामना न करना पड़े।
  4. शरीर में अधिक मात्रा में मस्सों का होना-यदि किसी व्यक्ति के शरीर में अधिक मात्रा में मस्से हो जाते हैं, तो उसे यह कैंसर होने की संभावना अधिक रहती है।
    अत: ऐसे व्यक्ति को मस्सों को समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसे किसी किस्म की परेशानी न हो।

 

 

स्किन कैंसर का परीक्षण - Diagnosis of Skin Cancer

  • त्वचा की जांच करना 

डॉक्टर त्वचा की जांच कर सकते हैं, यह निर्धारित करने के लिए की क्या आपकी त्वचा में बदलाव से त्वचा कैंसर होने की संभावना है। इसके अलावा निदान की पुष्टी करने के लिए आगामी टेस्ट भी किए जा सकते हैं।

 

  • टेस्ट के लिए संदिग्ध त्वचा से एक टुकड़ा निकालना (स्किन बायोप्सी) 

इसमें डॉक्टर संदेंहजनक त्वचा से एक छोटा सा टुकड़ा नमूने के तौर पर निकालते हैं और उसे लैबोरेट्री टेस्ट के लिए भेजते हैं। बायोप्सी की मदद से निर्धारित किया जाता है कि क्या आपको स्किन कैंसर है? और अगर है तो वह किस प्रकार का स्किन कैंसर है?

 

 

स्किन कैंसर का इलाज - Skin Cancer Treatment 

स्किन कैंसर या कैंसर से पहले बनने वाले घाव (एक्टिनिक केराटिसिस) के उपचार उसके आकार-प्रकार, गहराई और जगह पर निर्भर करते हैं। छोटे स्किन कैंसर जो त्वचा की सतह पर सीमित होते हैं, उनको स्किन बायोप्सी के बाद अन्य उपचार की जरूरत नहीं पड़ती। स्किन बायोप्सी की मदद से कैंसर कोशिकाओं के हिस्सों को बाहर निकाल दिया जाता है।

उपरोक्त के बाद भी अगर अतिरिक्त उपचार की जरूरत पड़ती है, तो उसमें निम्नलिखित विकल्प शामिल हो सकते हैं -

 

  • फ्रीजिंग (Freezing) 

इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक्टिनिक केराटोस और कुछ छोटे, प्रारंभिक कैंसर के हिस्सों को तरल नाइट्रोजन से फ्रीज़ करके नष्ट कर देते हैं। नष्ट हो चुके त्वचा के ऊतक गलने के बाद बाहर निकल जाते हैं।

 

  • एक्सिज्नल सर्जरी (Excisional surgery) 

यह हर प्रकार के स्किन कैंसर के लिए एक उचित उपचार होता है। इसमें डॉक्टर कैंसर ग्रस्त हिस्सों को स्वस्थ त्वचा के आस-पास से काट कर बाहर निकाल देते हैं। कुछ मामलों में गंभीर स्थिति होने पर घाव के आस-पास की कुछ स्वस्थ त्वचा को भी निकालना पड़ सकता है।

 

  • मोह्स सर्जरी (Mohs surgery)

यह सर्जरी भी त्वचा के कैंसर के उपचार का अन्य तरीका होता है।
मोहस सर्जरी (Mohs Surgery) के द्वारा त्वचा के स्तर को एक-एक कर निकाला जाता है और प्रत्येक कार्य को माइक्रोस्कोप की निगरानी में किया जाता है।

इस प्रक्रिया का इस्तेमाल अत्याधिक बड़े एवं बार-बार होने वाले स्किन कैंसर या जिनका इलाज करना कठिन हो, आदि के लिए किया जाता है, जैसे ‘बेसल’ और ‘स्क्वैमस कार्सिनोमा’। अक्सर इसका इस्तेमाल शरीर के उन भागों के लिए किया जाता है, जिनका संभव रूप से जितना हो सके संरक्षण करना जरूरी होता है, जैसे की नाक।

 

  • क्योराटेज और इलैक्ट्रोडेसिकेश्न या क्रायोथेरेपी (Curettage and electrodesiccation or cryotherapy) 

स्किन कैंसर के ज्यादातर हिस्से सर्जरी की मदद से निकाल दिए जाते हैं। उसके बाद डॉक्टर एक ब्लेड वाले उपकरण की मदद से कैंसर कोशिकाओं की परत को खुरच कर उन्हें साफ कर देते हैं। एक इलेक्ट्रिक सुई की मदद से बची हुई कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट कर दिया जाता है। इसी प्रक्रिया के एक भिन्नरूप में तरल नाइट्रोजन का प्रयोग भी किया जा सकता है। इसकी मदद से उपचार किए गए क्षेत्रों के आधार और किनारों को फ्रीज करके उन्हें स्थिर कर दिया जाता है।

 

कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए विकिरण थेरेपी में ‘एक्स-रे’ जैसे हाई-पावर वाले एनर्जी बीम का इस्तेमाल किया जाता है। सर्जरी के दौरान अगर कैंसर कोशिकाएं पूरी तरह से नष्ट ना हो पाएं तब भी विकिरण थेरेपी का विकल्प बचता है।

 

इस प्रक्रिया में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है और जो कैंसर कोशिकाएं त्वचा की ऊपरी परत तक ही सीमित होते हैं, उनके लिए क्रीम और लोशन का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें एंटी-कैंसर एजेंट्स होते हैं और इनको सीधे प्रभावित त्वचा पर लगाया जा सकता है। इसके साथ ही साथ शरीर के दूसरे भागों में फैल सकने वाले स्किन कैंसर के लिए ‘सिस्टेमिक कीमोथेरेपी’ का उपयोग किया जाता है। (और पढ़ें - कीमो क्या है)

 

  • फोटोडायनेमिक थेरेपी (Photodynamic therapy) 

इस थेरेपी में लेजर लाइट और दवाएं दोनो का संयोजन होता है। इसमें दवाओं की मदद से कैंसर कोशिकाओं को लेजर लाइट के प्रति संवेदनशील बनाया जाता है और लेजर लाइट की मदद से उन्हें नष्ट किया जाता है।

 

  • बायोलोजिकल थेरेपी (Biological therapy) 

यह थेरेपी कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए  शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती है।