ब्रेन कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । ब्रेन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

In addition to brain cancer, some other symptoms may also be seen.

आप नाम से समझ सकते हैं कि यह कैंसर व्यक्ति के दिमागी हिस्से में पनपता है। ब्रेन कैंसर को ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में ब्रेन में एक ट्यूमर बन जाता है, जो धीरे-धीरे फैलने लगता है और इंसान के पूरे शरीर को अपनी गिरफ्त में ले लेता है।

ब्रेन कैंसर का मतलब कैंसर के उस रूप से है जो मस्तिष्क (ब्रेन) से शुरू होता है।ब्रेन कैंसर मस्तिष्क की एक प्रकार की बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क के ऊतकों में कैंसर कोशिकाएं पैदा होने लगती हैं।कैंसर की कोशिकाएं मस्तिष्क में ऊतकों के समूह या एक ट्यूमर के रूप में ऊभरती हैं, जो मस्तिष्क के कार्यों में बाधा उत्पन्न करती हैं।जैसे मांसपेशियों के नियंत्रण में परेशानी, सनसनी, यादाश्त और अन्य मस्तिष्क कार्यों को प्रभावित करना।

 

कैंसर जो मस्तिष्क में शुरू होता है उसको प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है।यह ट्यूमर मस्तिष्क की संरचना से जुड़े किसी भी भाग में विकसित हो सकता है।जो कैंसर शरीर के किसी अन्य भाग से मस्तिष्क में फैलता है, उसे सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन मेटास्टेस कहा जाता है।ब्रेन कैंसर ट्यूमर मस्तिष्क पर अधिक दबाव डालता है, जिससे या तो वह ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं या शरीर के अन्य भागों में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।ब्रेन कैंसर के लक्षणों के दिखाई पड़ने पर आपको तुरंत किसी विशेषज्ञ से दिखाना चाहिए।

 

ब्रेन कैंसर के लक्षण।

कई बार कैंसर के लक्षण सामने आते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इनपर ध्यान नहीं देते हैं, क्योंकि ये आम जीवनशैली का हिस्सा होते हैं इसलिए अक्सर लोग इन लक्षणों को गंभीरता से नहीं लेते हैं, जिस वजह से लोग समय पर इस बीमारी की जानकारी से अनजान रह जाते हैं और इलाज नहीं करा पाते हैं ।

 

सिर दर्द- बिना किसी बीमारी के अगर लगातार सिर में तेज दर्द रहता है तो ये ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है।लंदन के न्यूरोलॉजिस्ट का मानना है कि ब्रेन ट्यूमर में सुबह के समय तेज सिर दर्द होता है और दिन ढलने के साथ-साथ हल्का हो जाता है।

 

वहीं, अचानक से खड़े होने पर अगर आंखों के सामने अंधेरा छा जाए और साथ ही चक्कर जैसा महसूस हो तो ये भी ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है ।

 

चक्कर या उल्टी महसूस हो- हालांकि, ये लक्षण कई समय बाद देखने को मिलता है।लेकिन कई बार ब्रेन ट्यूमर के शुरुआत में ही ये लक्षण सामने आ जाते हैं।ऐसा कैंसर की कोशिकाओं का दिमाग में मौजूद फ्लूड के साथ मिक्स होने पर होता है।

 

थकान कई वजह से हो सकती है लेकिन बार-बार या हमेशा थका हुआ महसूस करना इसका आम लक्षण है। इसके लक्षण वास्तविक थकान से अलग होते हैं जैसे- हर समय थकान होना, समग्र रूप से कमजोरी महसूस होना, अंगों का भारी महसूस होना, नींद आना, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता खोना और स्वभाव का चिड़चिड़ा होना आदि।

 

शरीर में दिखें ये बदलाव- जब याददाश्त कमजोर होने लगे,बोलने, समझने और देखने  में समस्या व्यक्तित्व में बदलाव दिखाई देने लगें तो ये भी ब्रेन ट्यूमर के लक्षण हो सकते हैं।कई बार इस स्थिति में डिमेंशिया की शिकायत भी हो जाती है।

 

ब्रेन कैंसर में इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई पड़ सकते हैं:

 

दौरे पड़ना

संवेदी (स्पर्श) और ब्रेन की कार्यगति (मूवमेंट कंट्रोल) में कमी

बहरापन

उनींदापन या उंघना

थकान

समन्वय में कमी

चेहरे पर कमजोरी का भाव,

दोहरा दिखाई देना

डिप्रेशन (अवसाद)

व्यवहारिक और सोचने समझने की क्षमता में परिवर्तन

 

अगर आप इस घातक बीमारी से सुरक्षित रहना चाहते हैं तो कोई भी लक्षण दिखते ही तुरंत जांच कराएं।

 

ब्रेन ट्यूमर के प्रकार कितने हैं ?

ब्रेन ट्यूमर के मुख्य रूप से 2 प्रकार होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

  • कैंसरयुक्त ब्रेन ट्यूमर- यह ब्रेन ट्यूमर का प्रमुख प्रकार है, जिसे मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है।मलिग्नेंट ब्रेन ट्यूमर (Malignant Brain Tumor) की शुरूआत या तो मस्तिष्क में होती है या फिर यह किसी अन्य कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर इत्यादि के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है।
  • गैर-कैंसर ब्रेन ट्यूमर- यह ब्रेन ट्यूमर (मस्तिष्क अर्बुद) का अन्य प्रकार है, जिसे बिनाइन ब्रेन ट्यूमर के नाम से भी जाना जाता है। बिनाइन ब्रेन ट्यूमर (Benign Brain Tumor) को निम्न स्तरीय कैंसर के रूप में देखा जाता है, जिसका अर्थ है कि इसकी शुरूआत काफी धीरे होती है और इसके फिर से होने की संभावना भी काफी कम रहती है।

 

ब्रेन कैंसर क्यों होता है ?

कुछ ऐसे कारक हैं जो ब्रेन कैंसर के विकसित होने के जोखिम को बढ़ा देते हैं।  यह निश्चित रूप से पता नही लगाया जा सका है कि अधिकतर ब्रेन कैंसर का क्या कारण है।

 

जैनेटिक  रूप से विरासत में मिली बीमारियां भी किसी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर के लिए अतिसंवेदनशील बना सकती हैं। अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को ब्रेन ट्यूमर है या था, तो उसके लिए सामान्य लोगों के मुकाबले जोखिम ज्यादा हो सकते हैं।

 

लंबे समय तक किसी केमिकल या रेडिएशन के संपर्क में रहना ब्रेन कैंसर के विकसित होने का एक जोखिम कारक है।

 

जिन लोगों को बचपन में कैंसर हुआ हो, उनमें बाद की जिंदगी में ब्रेन कैंसर विकसित होने के उच्च जोखिम होते हैं। जिन लोगों को वयस्क होने के बाद कभी ल्यूकेमिया हुआ हो, उनके लिए भी ब्रेन कैंसर के जोखिम बढ़ जाते हैं।

 

ब्रेन कैंसर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, उम्र बढ़ने के साथ-साथ, ब्रेन कैंसर होने के जोखिम भी बढ़ते जाते हैं। लेकिन ब्रेन ट्यूमर के कुछ ऐसे प्रकार भी हैं, जो कम उम्र के लोगों के लिए ज्यादा आम होते हैं।

 

एचआईवी एड्स के से ग्रसित लोगों में आम लोगों की तुलना में ब्रेन ट्यूमर मिलने के अधिक जोखिम होते हैं। यह रोगप्रतिरोग क्षमता में कमजोरी से भी जुड़ा हो सकता है।

 

ब्रेन कैंसर को रोकने के उपाय

  • नींद पूरी लें
  • तनाव से दूर रहें
  • जंकफूड से दूर रहें
  • पानी अधिक मात्रा में लें
  • नियमित रूप से व्या्याम करें
  • पौष्टिक और संतुलित आहार लें
  • नशा, एल्कोहल इत्यादि ड्रग्स ना लें

 

ब्रेन कैंसर का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?

इसके तहत निम्नलिखित टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है:

 

न्यूरोलॉजिक (तंत्रिका संबंधी) परीक्षण – डॉक्टर आपके देखने व सुनने की शक्ति, मांसपेशियों में शक्ति, समन्वय और सजगता आदि की जांच करेंगे। डॉक्टर आंखों में सूजन की भी जांच करेंगे, जो मस्तिष्क में दबाव बढ़ने के कारण मस्तिष्क से आंखों को जोड़ने वाली नसों में दबाव आने के कारण आती है।

 

एमआरआई (MRI) – मस्तिष्क के ऊतकों में आए बदलावों के देखने के लिए एमआरआई से तस्वीरें ली जाती है। इसकी तस्वीरों में असामान्य जगहों को पहचाना जाता है, जैसे कि कोई ट्यूमर।

 

सीटी स्कैन (CT scan) – इसके इस्तेमाल भी मस्तिष्क में ट्यूमर जैसे असामान्य क्षेत्रों को देखने के लिए किया जाता है।

 

एंजियोग्राम (Angiogram) – अगर मस्तिष्क में कैंसर है, तो उसे एंजियोग्राम की मदद से देखा जा सकता है।

 

बायोप्सी (Biopsy) – इसमें ट्यूमर की कोशिकाओ को देखने के लिए ऊतक का नमूना निकाला जाता है। बायोप्सी की मदद से ऊतकों के बदलाव जो कैंसर का कारण बन सकते हैं उनका एवं अन्य स्थितियों के बारे में पता लगाया जाता है। एक बायोप्सी मस्तिष्क कैंसर का निदान करने और उपचार की योजना तैयार करने का एकमात्र निश्चित तरीका है।

 

ब्रेन कैंसर का इलाज 

 

सर्जरी (Surgery)

डॉक्टर द्वारा कोशिश की जाती है ट्यूमर ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर ऑपरेश्न की मदद से पहुंचा जा सकता है, तो डॉक्टर ट्यूमर को जितना हो सके बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।

अगर मस्तिष्क में ट्यूमर ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर ऑपरेश्न की मदद से पहुंचा जा सकता है, तो डॉक्टर ट्यूमर को जितना हो सके बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।

 

रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)

रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर ग्रसित कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटोन्स जैसी उच्च उर्जा की किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। विकिरण चिकित्सा आपके शरीर के बाहर एक मशीन से आ सकती है, जिसे एक्सटर्नल बीम रेडिएशन कहा जाता है। बहुत ही कम मामलों में मशीन को शरीर के अंदर और मस्तिष्क के पास लगाया जाता है, जिसे ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy) कहा जाता है।

एक्सटर्नल बीम रेडिएशन सिर्फ उस जगह पर फोकस करती है, जहां पर ट्यूमर होता है। कई बार इसका फोकस पूरे मस्तिष्क पर लगा दिया जाता है, इसे पूर्ण मस्तिष्क पर विकिरण (Whole-brain radiation) कहा जाता है, इसका प्रयोग खासकर उस प्रकार के कैंसरों के इलाज के लिए किया जाता है जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में फैल जाते हैं।

 

कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

कीमोथेरेपी में ट्यूमर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी की दवा, खाने के लिए टेबलेट और नसों में इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। कीमोथेरेपी की कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कैंसर के प्रकार के अनुसार किया जाता है।