कोलोरेक्टल कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । कोलोन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?
आम बोलचाल में कोलोरेक्टल कैंसर को ही कोलन कैंसर कहते हैं। खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे ।असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि जब कोलन, रेक्टल या दोनों में ही फैलती हैं, तो इस फैलाव को कोलोरेक्टल कैंसर कहते हैं ।इसे कोलन- रेक्टल, बोवेल, रेक्टल कैंसर भी कहा जाता है। कोलन कैंसर को बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है।
कोलोरेक्टल कैंसर के अधिकतर मामले अडेनोमाटोस पॉलिप्स (Adenomatous Polyps) नामक कोशिकाओं के छोटे, कैंसर मुक्त गुच्छों के रूप में शुरू होते हैं। समय के साथ इनमें से कुछ पॉलिप्स कोलोरेक्टल कैंसर बन जाते हैं। पॉलिप्स अक्सर छोटे होते हैं, और उनके होने के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं।
कोलन और मलाशय क्या हैं ?
कोलन और मलाशय बड़ी आंत के हिस्से हैं, जो पाचन तंत्र का सबसे निचला हिस्सा होता है। कोलन लगभग 5 फीट लंबा होता है और मल से पानी को सोखता है।
रेक्टम, कोलन का अंतिम 12 सेंटीमीटर (लगभग 5 इंच) वाला भाग होता है जहां शरीर मल को अस्थायी रूप से रखता है जब तक कि शरीर मॉल का त्याग न कर दे |
कोलोरेक्टल कैंसर के दो प्रकार हैं ।
1) बृहदान्त्र कैंसर (Colon Cancer): बड़ी आंत – जो आपके पाचन तंत्र का निचला हिस्सा होता है – का कैंसर है।
2) मलाशय कैंसर (Rectal Cancer): बृहदान्त्र के कई इंच लम्बे अंतिम सिरे का कैंसर है।
इन दोनों को अक्सर “कोलोरेक्टल कैंसर” कहा जाता है।
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण ।
कोलोरेक्टल कैंसर,खासकर प्रारंभिक अवस्था में किसी विशेष लक्षण को प्रकट नहीं करता है। यदि आप लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो इनमें शामिल हो सकते हैं –
1) बार बार शौचालय जाना।
2) मल में रक्त आना।यदि अचानक ही कुछ महीनों से आपको कब्ज हो गई हो
3) पेट में दर्द, पेट फूला हुआ महसूस होना।
4) उल्टी
5) थकावट
6) अत्यधिक वजन घटना।
7) आपके पेट में या पिछले हिस्से में एक गांठ महसूस करना।
8) रेड मीट खाना
9 )आहार, जिसमें बहुत ज़्यादा कैलोरी हो।
10 )बहुत ज़्यादा शराब पीना।
11 )जिन महिलाओं को स्तन कैंसर, अंडाशय कैंसर या गर्भाशय कैंसर रह चुका है।
12 )कोलोरेक्टल कैंसर का पारिवारिक इतिहास
13 )अल्सरेटिव कोलाइटिस से ग्रस्त मरीज़
14 ) मोटापा
15 )धूम्रपान – इस अध्ययन में पाया गया कि कोलोरेक्टल कैंसर और उससे होने वाली मौत के जोखिम को बढ़ाने में धूम्रपान की विशेष भूमिका है।
16 )बृहदान्त्र (colon) या मलाशय में पॉलिप्स की उपस्थिति।
17 )क्रोहन रोग या इर्रिटेबल बाउल डिजीज के कारण कोलोरेक्टल कैंसर विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है।
कोलोरेक्टल से कैंसर बचाव ।
1) नियमित जांच – विशेष रूप से यदि आपको पहले कोलोरेक्टल कैंसर रह चुका है, आपकी उम्र 60 वर्ष से अधिक है, इस प्रकार के कैंसर का एक पारिवारिक इतिहास है, आप क्रोहन रोग से पीड़ित हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 50 वर्ष की आयु के बाद जांच कराना शुरू कर देना चाहिए।
2) पोषण – सुनिश्चित करें कि आपके आहार में भरपूर फाइबर, फल, सब्जियां और अच्छी गुणवत्ता वाले कार्बोहाइड्रेट हों। लाल मांस और संसाधित (processed) मांस के सेवन को सीमित कर दें या बंद कर दें। संतृप्त वसा के स्थान पर अच्छी गुणवत्ता वाले वसा, जैसे कि एवोकाडो, जैतून का तेल, मछली के तेल और मेवे का सेवन करें।
3)व्यायाम – नियमित रूप से व्यायाम करें। प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा व्यायाम करने से कोलोरेक्टल कैंसर के विकास का खतरा कम किया जा सकता है।
4) शरीर का वज़न – अपने शरीर के वज़न को संतुलित बनाए रखें। अधिक वजन बढ़ने से या मोटापे के कारण व्यक्ति में कोलोरेक्टल कैंसर सहित अन्य कैंसर विकसित करने का जोखिम बढ़ जाता है।
जब आप एक स्वस्थ आहार, पर्याप्त व्यायाम एवं नींद का ख्याल रख रहे है, तो आप जानते हैं कि आप इस बीमारी से लड़ने के लिए अपना सब कुछ कर रहे हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर के चरण।
स्टेज 0
इस स्टेज में कैंसर कोलन की आंतरिक सतह पर या रेक्टल लाइनिंग पर होता है। ऐसे में पालिप या कैंसर को निकालने के लिए समय–समय पर टेस्ट और जांच की सलाह दी जाती है।
स्टेज 1
कैंसर रेक्टम की आतंरिक दीवार पर या कोलन की आंतरिक परत में बढ़ जाता है, लेकिन यह कोलन की दीवार नहीं तोड़ता। सामान्यत: सर्जरी के बाद किसी और प्रकार के चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती।
स्टेज 2
कैंसर पूरी तरह से कोलन और रेक्टल दीवार पर फैल जाता है, लेकिन यह आस–पास की लिम्फ नोड्स को प्रभावित नहीं करता। ऐसी स्थिति में सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी दी जाती है। रेक्टल कैंसर से बचाव के लिए सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी और रेडियेशन दिया जाता है।
स्टेज 3
इस स्टेज पर कैंसर आसपास के लिम्फ नोड्स में भी फैल चुका होता है, लेकिन शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैलता है। कोलन कैंसर से बचने के लिए कीमोथेरेपी दी जाती है और रेक्टल कैंसर से बचाव के लिए सर्जरी के बाद और पहले रेडियेशन और कीमोथेरेपी दी जाती है।
स्टेज 4
इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंग में भी फैल चुका होता है मुख्यत: जिगर या फेफड़ों में। सर्जरी के बाद चिकित्सा के लिए कीमोथेरेपी और रेडीयेशन थेरेपी दोनों दी जाती हैं। बढ़े हुए कैंसर के कारण रेक्टम ब्लाक हो जाता है। कभी–कभी कैंसर को पूरी तरह से उस जगह से निकालना होता है जहां से इसके फैलने की सम्भावना रहती है।
कोलोरेक्टल कैंसर का परीक्षण ।
- रक्त परीक्षण
डॉक्टर आपके लक्षणों के कारण का पता लगाने के लिए कुछ रक्त परीक्षण कर सकते हैं। यद्यपि कोई रक्त परीक्षण नहीं है, जो विशेष रूप से कोलोरेक्टल कैंसर, लिवर के कार्य की जांच करता है। पूर्ण रक्त गणना (CBC) परीक्षण द्वारा अन्य रोगों और विकारों को दूर किया जा सकता है।
- कोलोनोस्कोपी
कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) एक परीक्षण है जो आपके डॉक्टर द्वारा बड़ी आंत की आंतरिक अस्तर (inner lining) की निगरानी और जांच करने के लिए किया जाता है; गुदाशय और कोलन (rectum and the colon)। कोलोनोस्कोप (colonoscope) एक लंबी और लचीली ट्यूब (long and flexible tube) है, जिसका टिप (tip) गुदा में डाला जाता है और धीरे-धीरे उन्नत होता है, आपके गुदा (anus) में और कोलन (colon) के पहले भाग के माध्यम से।
- एक्स-रे
आपके चिकित्सक एक्स-रे के लिए बेरियम नामक रेडियोधर्मी तरल का उपयोग कर सकते हैं। डॉक्टर एक एनीमा के माध्यम से आँतों में इस तरल को डालेंगे। तरल के आँतों में जाने के बाद यह बृहदान्त्र की परतों पर आवरण बना लेता है और एक रूपरेखा प्रदान करता है, ताकि एक एक्स-रे लिया जा सके।
- सीटी स्कैन
सीटी स्कैन द्वारा आपके बृहदान्त्र की एक विस्तृत छवि चिकित्सक को प्राप्त होती है।
कोलोरेक्टल कैंसर का इलाज कैसे करें ?
कोलोरेक्टल कैंसर के कई सारे इलाज उपलब्ध हैं। इसे कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी द्वारा ठीक किया जा सकता है।
सर्जरी- सर्जरी करके शरीर के उस हिस्से से ट्यूमर को निकाला जा सकता है।
कीमोथेरेपी- यह प्रक्रिया सर्जरी से पहले की जाती है। यह ट्यूमर को छोटा कर देती है।कीमोथेरेपी में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर के मामले में, सर्जरी के बाद बची रह जाने वाली कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने के लिए कीमोथेरेपी एक सामान्य उपचार है।
रेडियोथेरेपी- रेडिएशन थेरेपी में सर्जरी से पहले और बाद में कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और नष्ट करने के लिए एक्स रे में इस्तेमाल होने वाली एक शक्तिशाली ऊर्जा किरण (beam of energy) का उपयोग किया जाता है। रेडिएशन उपचार सामान्यतः कीमोथेरेपी के साथ होता है।