लिवर कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । लिवर कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

लिवर हमारी बॉडी का सबसे बड़ा इंटरनल ऑर्गन है। किसी एडल्ट में इसकी लंबाई 15 सेमी (लगभग 6 इंच) होती है। यही बॉडी का सबसे वजनी अंग भी है जिसका वेट सवा किलो से डेढ़ किलो तक होता है। यह हमारे पेट (बेली) के ऊपर दाहिने हिस्से में होता है।

यह बॉडी में 500 से भी ज्यादा काम करता है। लेकिन इसका मुख्य काम डाइजेस्टिव ट्रैक्ट (पाचन नलिका) से आने वाले ब्लड को फिल्टर कर पूरी बॉडी में सर्कुलेट करना होता है। ब्लड को एनर्जी में बदलने का काम भी लिवर करता है। जो दवाई हम खाते हैं, उसे भी यह इस तरह से ब्रेक करके बॉडी में सर्कुलेट करता है ताकि उसका सही असर हो सकते।

लिवर कैंसर (Liver cancer) का सबसे आम रूप हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (Hepatocellular carcinoma) है, जो मुख्य प्रकार की लिवर कोशिका, जिसे हेपोटोसाइट कहते हैं, में शुरू होता है। लिवर में अन्य प्रकार की कोशिकाएं में भी कैंसर की शुरुआत हो सकती है लेकिन ऐसा बहुत कम होता हैं।

लिवर को प्रभावित करने वाले सभी कैंसर लिवर कैंसर नहीं होते हैं। जो कैंसर शरीर के किसी दूसरे क्षेत्र में, जैसे कि बृहदान्त्र (colon), फेफड़े (lung) या स्तन (breast) में शुरू होने के बाद लिवर में फैलते हैं उन्हें लिवर कैंसर के बजाय मेटास्टाटिक कैंसर (Metastatic cancer) कहा जाता है। इस प्रकार के कैंसर का नाम उस अंग के नाम पर रखा जाता है, जिसमें इनकी शुरूआत होती है। जैसे - बृहदान्त्र (colon) में शुरू हुए कैंसर को मेटास्टाटिक कोलन कैंसर (Metastatic colon cancer) कहा जाता है।

 

लीवर कैंसर के लक्षण।


ज्यादातर लोगों को शुरुआत में लीवर कैंसर के लक्षण नहीं होते है। जिसके कारण हमें समझ नहीं आता है। जब इसके बारें में पता चलता है तो बहुत देरी हो जाती है।

  • वजन कम होना।
  • उल्टी होना।
  • पीलिया
  • भूख की कमी
  • बुखार
  • नार्मल खुजली
  • हेपटेमेगाली
  • बढ़े हुए स्प्लीन
  • पेट में सूजन
  • स्किन और आंखों का पीला होना।
  • पैरों में सूजन होना।
  • मल में सफेदी आना
  • पेट के ऊपरी भाग में दर्द 
  • सामान्य कमज़ोरी और थकान

 

 

लिवर कैंसर से कैसे बचे। 

 

  • यौन संबंध बनाते वक्‍त सावधानी रखें
    अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बना रहे हैं जो पैपिलोमा वायरस से प्रभावित है तो आप भी इसकी चपेट में आ सकते हैं क्योंकि यह वायरस फैलने वाला होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति से शारीरिक संबंध बनाने से बचें, यह कैंसर का कारण बन सकता है।

 

  • शराब और धूम्रपान को कहें ना
    शराब और धूम्रपान करने से भी लीवर कैंसर के होने की संभावना कम हो जाती है। इसके अलावा अल्कोहल के सेवन से लीवर में सिरोसिस की समस्‍या हो जाती है जो बाद में कैंसर का कारण बनती हैं। इसलिए हो सके तो शराब और धूम्रपान से दूर रहें।

 

  • खानपान का ध्‍यान रखें
    लिवर तक फैलने वाले कुछ प्रकार के कैंसरों जैसे - कोलोन, ब्रेस्ट और लंग कैंसरों का सम्बन्ध आपके खान-पान से हो सकता है। यह राय दी जाती है कि अपने शरीर का वजन संतुलित रखें और रेशेदार चीजों से भरपूर तथा संतृप्तन वसा (सैचुरेटेड फैट) की कम मात्रा वाला आहार लें। इसके लिए साबुत अनाज, सीरियल, सब्जियां और फल का सेन कीजिए।

 

  • पालक खायें
    पालक हरी साग-सब्जी प्रजाति की है। इसकी हरी पत्तियां आपको हर महीने मिल जायेंगी। इसको सलाद, सब्जी, सूप में प्रयोग किया जाता है। इसमें घुलनशील एवं अघुलनशील दोनों प्रकार का फाइबर होता है, जो पाचनतंत्र के लिए सबसे उपयोगी है। इसमें विटामिन ई पर्याप्त मात्रा में होता है जो लिवर कैंसर से बचाने में मददगार होता है।

 

  • हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाएं
    हेपेटाइटिस बी टीका प्राप्त करके आप हेपेटाइटिस बी का खतरा कम कर सकते हैं, जो वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए 90 प्रतिशत से ज्यादा सुरक्षा प्रदान करता है। यह टीका लगभग किसी को भी दिया जा सकता है।

 

लिवर कैंसर के निम्नलिखित प्रकार होते हैं। 

  •  हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा (एचसीसी) (Hepatocellular carcinoma)  
  •  फाइब्रोलामेलर एचसीसी (Fibrolamellar HCC) 
  •  पित्त वाहिका का कैंसर (Bile duct cancer) 
  •  एंजियोसार्कोमा (Angiosarcoma) 
  •  लिवर मेटास्टैसिस (Liver metastasis) 

 

लिवर कैंसर के चरण ।

लिवर कैंसर के निम्नलिखित चार चरण होते हैं -

1. पहला चरण
लिवर कैंसर के पहले चरण में  ट्यूमर रक्त वाहिकाओं में नहीं पंहुचा  है। कैंसर लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में नहीं फैला है।

2. दूसरा चरण
ट्यूमर रक्त वाहिकाओं में विकसित हो गया है या कई छोटे ट्यूमर (सभी 2 इंच से छोटे) विकसित हुए हैं।  कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में नहीं फैला है।

3. तीसरा चरण
लिवर कैंसर के तीसरे चरण के निम्नलिखित तीन उप-प्रकार होते हैं -

पहला - इसका मतलब है कि कई ट्यूमर मौजूद हैं और कम से कम एक 2 इंच (5 सेमी) से बड़ा है व कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में फैला नहीं है।
दूसरा - इसका मतलब है कि कई ट्यूमर मौजूद हैं और कम से कम एक ट्यूमर नाड़ी की एक शाखा में बढ़ रहा है व कैंसर पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में फैला नहीं है।
तीसरा - इसका मतलब है कि ट्यूमर एक पास के अंग (पित्ताशय के अलावा) या लिवर के बाहरी आवरण में फ़ैल गया है और पास के लिम्फ नोड्स या दूसरी जगहों में नहीं फैला है।

4. चौथा चरण
चौथा चरण, लिवर कैंसर पास के लिम्फ नोड्स में फैल जाता है और आस-पास की रक्त वाहिकाओं या अंगों में बढ़ सकता है। उन्नत लिवर कैंसर अक्सर दूर के अंगों में नहीं फैलता लेकिन जब ऐसा होता है, तो इसकी फेफड़ों और हड्डियों में फैलने की संभावना होती है।

 

लीवर कैंसर के कारण।

  • हेपेटाइटिस बी या सी का गंभीर इंफेक्शन
  • सिरोसिस
  • डायबिटीज
  • लीवर फैटी होना।
  • अधिक मोटा होना।
  • स्मोकिंग या एल्कोहॉल का सेवन।

 

लिवर कैंसर के निदान परीक्षण में निम्नलिखित प्रक्रियाएं शामिल हैं ।

लिवर के कार्य का परीक्षण
इस परीक्षण से आपके डॉक्टर आपके रक्त में प्रोटीन के स्तर को मापकर आपके लिवर के स्वास्थ्य को निर्धारित करते हैं। रक्त में अल्फा-फेटोप्रोटीन (एफपी) की मौजूदगी लिवर कैंसर का संकेत हो सकती है।
 
सीटी या एमआरआई स्कैन (CT or MRI scan)
यह स्कैन पेट में लिवर और अन्य अंगों की विस्तृत छवियों का उत्पादन करते हैं। ये परीक्षण आपके चिकित्सक को यह तय करने में मदद कर सकते हैं कि ट्यूमर कहां विकसित हो रहा है, उसका आकार क्या है और यह अन्य अंगों में फैला है या नहीं।
 
लीवर बायोप्सी (Liver biopsy)
लीवर बायोप्सी लिवर कैंसर के लिए उपलब्ध एक अन्य नैदानिक परीक्षण है। इसमें लिवर टिशू का एक छोटा सा टुकड़ा जाँच के लिए निकाला जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान आपको कोई दर्द महसूस होने से रोकने के लिए हमेशा बेहोश किया जाता है।

 

लीवर कैंसर का ट्रीटमेंट ।

  • सर्जरी -लीवर कैंसर में सर्जरी भी की जाती है। इसमें कैंसर वाले लीवर को हटा दिया जाता है। अगर लीवर में छोटा ट्यूमर है तो इसे किया जाता है। लेकिन इसमें अधिक खून बहने का खतरा हो सकता है।
  • लीवर ट्रांसप्लांट -इस ट्रांसप्लांट में डॉक्टर कैंसर वाले लीवर को हटाकर हेल्दी लीवर से बदल देते है। यह तब किया जाता है। जब कैंसर किसी और अंग में न फैला हो।  
  • आबलेशन - यह कैंसर सेल्स को खत्म करने के लिए इंजेक्शन दिए जाते है। यह रोगी को बेहोश कर दिया जाता है। जिससे उसे दर्द का अहसास न हो। यह उनके लिए फायदेमंद होती है जिनकी सर्जरी या फिर लीवर ट्रांसप्लांट न हुआ हो।
  • रेडिएशन थेरेपी -इसमें हार्ट एनर्जी वाली रेडिएशन का यूज किया जाता है। जिससे कैंसर के सेल्स नष्ट हो जाएं। लेकिन इसका साइड इफेक्ट भी अधिक होता है। इसके कारण स्किन में समस्या, उल्टी की समस्या हो सकती है।
  • कीमोथेरेपी -कीमोथेरेपी कैंसर सेल्स को खत्म कर देती है। यह दवाओं के माध्यम से दी जाती है। यह लीवर कैंसर में काफी प्रभावी होती है लेकिन इसकी दवाओं के कारण मरीज को उल्टी, भूख कम लगना या ठंड लगना सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।