बोन कैंसर क्या है ? इसके लक्षण व् इलाज । बोन कैंसर से कैसे बचा जा सकता है ?

बोन कैंसर या हड्डी के कैंसर के लक्षण.

बोन कैंसर की शुरूआत मानव-शरीर  के बोन सेल्स में होती है। बोन कैंसर मुख्य रूप से कंधे और पैर की हड्डियों में होता है, लेकिन राहत की बात है कि यह कैंसर एडल्ड में काफी कम देखने को मिलता है। बोन कैंसर उस स्थिति में खतरनाक साबित होता है, जब यह काफी हद तक  बढ़ जाता है और इसके साथ में यह शरीर के अन्य अंगों में फैल जाता है।

'हड्डी का कैंसर' मुख्य रूप से मतलब होता है हड्डी का घातक ट्यूमर को हड्डियों के ऊतकों को नष्ट कर देता है। हड्डियों के सभी ट्यूमर कैंसर कारक नहीं होते हैं। असलियत में गैर-कैंसर कारक ट्यूमर ज़्यादा आम प्रकार के होते हैं कैंसर कारक ट्यूमर से।

हड्डी का कैंसर मुख्यतः दो भागों में विभाजित है: प्राथमिक और माध्यमिक हड्डियों के कैंसर। प्राथमिक हड्डी का कैंसर, हड्डी की कोशिकाओं में शुरू होता है और माध्यमिक हड्डी का कैंसर कहीं से भी शुरू हो सकता है और फिर सारे शरीर के हड्डियों में फैल जाता है।

बोन कैंसर के लक्षण

हालांकि, बोन कैंसर की वजह से कई सारे लोगों की मौत हो जाती है, लेकिन अगर वे तोड़े सर्तक रहें तो वे इसका सही इलाज करा सकते हैं।

अत: यदि किसी व्यक्ति को ये 5 लक्षण नज़र आए, तो उन्हें अपना हेल्थ चेकअप कराना चाहिए क्योंकि ये बोन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं-

 

  • हड्डियों में दर्द होना

यह बोन कैंसर का प्रमुख लक्षण है, जिसमें व्यक्ति की हड्डियों (पैर या जांघ) में दर्द होना शुरू हो जाता है।हो सकता है कि कुछ लोगों को यह जोड़ों का दर्द लगे, लेकिन कुछ समय के बाद यह काफी गंभीर रूप ले सकता है।

 

  • हड्डियों में सूजन या गांठ का बनना

यदि किसी शख्स (पुरूष और महिला) की हड्डियों में सूजन या गांठ बन जाती है, तो उसे इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जानकारी डॉक्टर को देनी चाहिए।

 

  • हड्डियों का कमजोर होना

चूंकि, बोन कैंसर का संबंध हड्डियों से है, इसी कारण जब लोगों में बोन कैंसर की शुरूआत होती है, तो इसकी वजह से उनकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

 

  • चलने-फिरने में तकलीफ होना

बोन कैंसर के बढ़ जाने पर इससे पीड़ित व्यक्ति को चलने-फरने में भी तकलीफ होने लगती है।

 

  • वजन का कम होना

बोन कैंसर का अन्य लक्षण वजन का कम होना भी है।

 

बोन कैंसर की रोकथाम कैसे करें?

वर्तमान समय में, बोन कैंसर को रोकने संबंधी किसी तथ्य की जानकारी मौजूद नहीं है।यदि बोन कैंसर के सटीक कारणों की जानकारी नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी रोकथाम न की जा सके। बोन कैंसर की रोकथाम साल में एक बार अस्पताल में अपने हेल्थचेकअप पर निर्भर करती है। इस तरह आप लोग आपकी डेली रूटीन पर होने वाले साइड इफेक्टस को काफी हद तक कम करके, बेहतर ज़िदगी जी सकते हैं।

बोन कैंसर से पीड़ित लोगों को निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना चाहिए ताकि वे जल्दी से ठीक हो सकें-

 

  • दूध पीना

ऐसा माना जाता है कि हड्डियों को मजबूत करने में  दूध काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।इसी कारण सभी लोगों को चाय या कॉफी की तुलना दूध पीना चाहिए ताकि उसे बोन कैंसर होने की संभावना न हो।

 

  • हरी सब्जियां खाना

दूध पीना के साथ-साथ लोगों को हरी सब्जिया भी खानी चाहिए।हरी सब्जियां उनके शरीर में Energy Level बढ़ाती है, जिसकी वजह से वह अपने काम को अच्छी तरह से कर सकता है।

 

  • शराब का सेवन न करना

शराब को किसी भी व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इसका असर उसकी सेहत बुरा पड़ता है।अत: सभी लोगों को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए ताकि वे  Healthy रह सकें।

 

  • वजन को कंट्रोल करना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि बोन कैंसर का Symptoms वजन का कम होना भी है।इसी कारण, लोगों को अपने वजन को कंट्रोल करना चाहिए ताकि उसे किसी तरह की बीमारी न हो।

 

  • जॉगिंग करना

एक्सराइज़ करने के अलावा बोन कैंसर की रोकथाम जॉगिंग करके भी किया जा सकता है।जॉगिंग शरीर की मासपेशियों को मजबूत करने और व्यक्ति की Immunity Power को बढ़ाने में  सहायक साबित हो सकती है।

 

इन छोटे-छोटे कदमों को उठाकर हम खुद को सेहतमंद रख सकते हैं और खुशहाल ज़िदगी जी सकते हैं। चूंकि, ज्यादातर लोगों को बोन कैंसर की जानकारी नहीं होती है, इसी कारण वे इसका सही इलाज नहीं  करा पाते हैं।

 

बोन कैंसर के प्रकार 

  • ओस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma)

ओस्टियोसारकॉमा (जिसे ऑस्टोजेनिक सेरकोमा भी कहा जाता है) सबसे सामान्य एवं प्राथमिक हड्डी का कैंसर होता है। यह कैंसर हड्डी की कोशिकाओं में शुरू होता है और अक्सर 10 से 30 वर्ष की उम्र के बीच के युवा लोगों में होता है। यह मध्यम आयु वर्ग के लोगों में कम ही होता है और महिलाओं की तुलना में पुरुषों में यह अधिक होता है। ऑस्टोजेनिक सेरकोमा से प्रभावित ट्यूमर अक्सर हाथ, पावों और पेडू (पेल्विस) के हडियों में विकसित होता है।

 

  • कोंड्रोसारकोमा (Chondrosarcoma)

कॉन्ड्रोसार्कोमा (Chondroscaroma)- किसी व्यक्ति की जांघ, कूल्हे और कंधों की हड्डियों में होने वाले कैंसर को कॉन्ड्रोसार्कोमा कहा जाता है।कोंड्रोसारकोमा कार्टिलेज कोशिकाओं में होने वाले कैंसर को कहते है। यह दूसरी सबसे आम प्राथमिक प्रकार की हड्डी का कैंसर है। यह कैंसर 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में होना दुर्लभ होता है। 20 साल की उम्र के बाद एवं 75 वर्ष की उम्र तक 'कोंड्रोसारकोमा' होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस कैंसर के होने की संभावना जितनी महिलाओ में होती हैं उतना ही पुरुषो में भी होता है। कोंड्रोसारकोमा कहीं भी कार्टिलेज कोशिकाओं में अपनी उपस्थिति बना सकते हैं। कोंड्रोसारकोमा ज्यादातर हड्डियों जैसे कि श्रोणि, जांघ ,पैर की हड्डी या कंधो की हड्डी में विकसित होती हैं।

 

  • ईविंग सरकोमा/ईविंग ट्यूमर (Ewing Sarcoma)

इविंग ट्यूमर (Ewing Tumour)- इविंग ट्यूमर शरीर की किसी भी बोन में हो सकता है।यह बोन कैंसर मुख्य रूप से जवान लोगों में देखने को मिलता है लेकिन फिर भी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।

ईविंग ट्यूमर तीसरी सबसे आम एवं प्राथमिक प्रकार के हड्डी के कैंसर होते है और यह ज्यादातर बच्चों, किशोरावस्था और युवा वयस्कों को होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है। यह कैंसर शरीर के सबसे आम अंगो में जैसे की श्रोणि, सीना के आसपास (जैसे पसलियों या कंधो ) और पैरों एवं हाथो की लंबी हडियों में विकसित हो सकती है। यह कैंसर बच्चों और किशोरों में सबसे आम  होता है और 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में होना दुर्लभ है।

 

  • मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा (Malignant fibrous histiocytoma):

मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा अक्सर हड्डियों की तुलना में नरम ऊतक (संयोजी ऊतकों जैसे कि स्नायुबंधन, रंध्र, वसा और मांसपेशी) में शुरू होता है। जब हड्डियां मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा से प्रभावित होती है तो यह आम तौर पर पैरों (अक्सर घुटनों के आसपास) या बाहों को प्रभावित करती है। इस प्रकार का कैंसर अक्सर बुजुर्ग और मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में होता है और बच्चों में दुर्लभ होता है। मलिग्नेंट फिब्रोस हिस्टियोसिटामा ज्यादातर अपने आस पास के क्षेत्रों में विकसित होता है, लेकिन यह शरीर के दूर किसी भी अंग में फैल सकता है, जैसे फेफड़े।

 

  • फ़िब्रोसारकोमा (Fibrosarcoma):

फाइब्रोसार्कोमा और मैलिग्नेंट फाइब्रोस हिस्टियो कोमा (Fibrosarcoma and malignant fibrous histiocytoma)- किसी व्यक्ति के जबड़े, पैर और कंधे की हड्डियों में पाए जाने वाले कैंसर को फाइब्रोसार्कोमा और मैलिग्रेंट फाइब्रोस हस्टियो कोमा कहा  जाता है।

 

  • कोरडोमा (Chordoma):

हड्डी का यह प्राथमिक ट्यूमर आम तौर पर खोपड़ी और रीढ़ की हड्डियों में होता है। यह 30 से अधिक उम्र के वयस्कों में सबसे आम होता है, और यह ट्यूमर पुरुषों में महिलाओ के मुकाबले बहुत आम है। कोरडोमा ट्यूमर धीरे धीरे बढ़ता है और अक्सर शरीर के अन्य भागों में नहीं फैलता हैं, लेकिन यदि यह पूरी तरह से नहीं हटाया जाय तो अक्सर यह पुनः उसी जगह वापस हो जाता है।

 

बोन कैंसर के यह 5 चरण... 

  • बोन कैंसर होने के शुरुआती यानि पहले चरण को दो भागों ए और बी में बांटा जा सकता है। ए इसकी शुरुआती अवस्था है, जिसमें कैंसर माइनर होता है और अन्य हिस्सों तक फैला नहीं होता। कैंसर होने के स्थान पर हल्की सूजन होती है। वहीं बी अवस्था में कैंसर हड्डी की दीवारों तक पहुंच चुका होता है।

 

  • बोन कैंसर अपने दूसरे चरण तक कैंसर गंभीर हो जाता है। इसके दूसरे चरण को भी दो अवस्थाओं में बांटा जा सकता है। पहली अवस्था में कैंसर का फैलाव अधिक होता है, लेकिन वह शरीर के अन्य हिस्सों तक न पहुंचकर हड्ड‍ियों तक ही सीमित होता है। लेकिन दूसरी अवस्था में यह आसपास के ऊतकों व हड्ड‍ियों तक फैल चुका होता है।

 

  • बोन कैंसर का तीसरा चरण घातक हो सकता है। इस अवस्था तक मरीज के फेफड़े तक, कैंसर की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों तक भी फैल जाता है।

 

  • इस अवस्‍था में बोन कैंसर शरीर के लगभग हर हिस्‍से में फैल चुका होता है। इसके साथ ही फेफड़ों को बुरी तरह प्रभावित कर चुका होता है। यह अवस्था मरीज के लिए काफी गंभीर होती है। 

 

  • बोन कैंसर के शरीर में फैलने पर हड्डियों की स्‍वस्‍थ कोशिकाएं प्रभावित होता खत्म होने लगती हैं और हड्ड‍ियां पूरी तरह से कमजोर और बेजान हो जाती हैं और शरीर का आधार खत्म होने लगता है।

 

 

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) का परीक्षण 

  • एक्स-रे:

अधिकांश बोन कैंसर, बोन एक्स-रे कराने पर दिखाई देते हैं। हड्डियों में मौजूद कैंसर के वजह से हड्डी जो ठोस होते हैं उसके जगह 'खुरखुरा' दिखाई दे सकती है। कैंसर हड्डी में छेद के रूप में भी प्रकट हो सकता है। कभी-कभी डॉक्टर प्रभावित हड्डी में ट्यूमर देख सकते हैं, जो आसपास के ऊतकों (जैसे मांसपेशियों या वसा) में फैल सकती है।

 

  • सीटी स्कैन

सीटी स्कैन, स्टेजिंग कैंसर में काफी सहायक होते हैं। सीटी स्कैन से आपको यह पता चलता है कि आपकी हड्डी का कैंसर आपके फेफड़े, यकृत, या अन्य अंगों में फैला है या नहीं। सीटी स्कैन से लिम्फ नोड्स और शरीर के दूर के अंगों को देखने में मदद मिलती है, जहाँ मेटास्टाटिक कैंसर मौजूद हो सकता है।

 

  • एमआरआई स्कैन

एमआरआई स्कैन हड्डी के ट्यूमर को रेखांकित करने के लिए सबसे अच्छा परीक्षण होता है।यह परीक्षण मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को देखने में भी विशेष रूप से उपयोगी होते हैं।

 

  • रेडियोन्यूक्लाइड बोन स्कैन

अगर कैंसर शरीर के एक हड्डी से अन्य हड्डियों में फैल गई है तो इस प्रक्रिया से उसे दखने में मदद मिलती है । यह नियमित एक्स-रे से पहले ही 'मेटास्टेस' को खोज सकता है। इसके साथ ही साथ रेडियोन्यूक्लाइड बोन स्कैन के माध्यम से यह दिख सकता हैं कि प्राथमिक कैंसर की वजह से हड्डी में कितना नुकसान हुआ है।

 

पेट स्कैन डॉक्टर को कैंसर के लिए सबसे बेहतर इलाज का चयन करने में मदद करता है और यह भी बताता है कि उपचार कितने अच्छे से काम कर रहा है। पीईटी स्कैन यह देखने के लिए भी किया जा सकता है कि क्या ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जा सकती है या नहीं।

 

'बायोप्सी' ट्यूमर से ली गई कोशिका (टिशू) का नमूना होता है, ताकि माइक्रोस्कोप की सहायता से इसका परीक्षण किया जा सके। बायोप्सी ही एकमात्र तरीका है, जिससे यह पता चलता है कि संबंधित ट्यूमर कैंसर है अथवा अन्य हड्डियों की बीमारी। यदि शरीर में कहीं भी कैंसर मौजूद है तो 'बायोप्सी' से डॉक्टर यह पता कर सकते है कि क्या यह एक प्राथमिक हड्डी का कैंसर है या कहीं और से शुरू होकर हड्डियों में फैल गया है। कई प्रकार के ऊतक और सेल के नमूने बोन कैंसर की जाँच हेतु उपयोगी होते है। यह बहुत महत्वपूर्ण है की जो सर्जन ट्यूमर के निदान और उपचार के लिए 'बायोप्सी' की प्रक्रिया करता है, उसे अनुभवी होना चाहिए।

  • सुई बायोप्सी

सुई बायोप्सी के दो प्रकार होते हैं: फाइन सुई बायोप्सी और कोर सुई बायोप्सी। फाइन सुई बायोप्सी (एफएनए) के अंतर्गत डॉक्टर एक बहुत पतली सुई को सिरिंज से जोड़ कर  ट्यूमर से कुछ द्रव और कुछ कोशिकाओं को निकालते हैं। जबकि कोर सुई बायोप्सी में, चिकित्सक ऊतकों का एक छोटा समूह निकालने के लिए एक बड़ी सुई का उपयोग करते है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि प्राथमिक हड्डियों के कैंसर का निदान करने के लिए एफएनए(फाइन सुई बायोप्सी) की तुलना में कोर सुई बायोप्सी ज्यादा बेहतर होती है।

  • सर्जिकल बोन बायोप्सी

इस प्रक्रिया में एक सर्जन को ट्यूमर तक पहुंचने के लिए त्वचा को काटने की जरूरत होती है ताकि वह ऊतकों का एक छोटा सा टुकड़ा निकाल सके। इसे इन्सिज़न (Incisional) बायोप्सी भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत यदि सारे ट्यूमर हटा दिया जाता है (न कि सिर्फ एक छोटा सा टुकड़ा) तो से 'एक्ससाइसिन बायोप्सी' (excisional biopsy ) कहा जाता है। यदि इस प्रकार की बायोप्सी की आवश्यकता होती है, तो यह महत्वपूर्ण है कि बायोप्सी करने वाला सर्जन भी वही हो, जो बाद में कैंसर को हटाएगा।

अत: किसी व्यक्ति को यह  समस्या नज़र आती है तो उसे इसकी जानकारी डॉक्टर को देनी चाहिए।

 

बोन कैंसर (हड्डी का कैंसर) का इलाज 

 

सर्जरी चिकित्सा का उद्देश्य कैंसर ट्यूमर और इसके आसपास के कुछ हड्डियों के ऊतकों को दूर करना होता है। क्योकिं यदि कुछ कैंसर कोशिकाओं को छोड़ दिया जाता है तो यह बढ़ सकती हैं और फिर फैल भी सकतीं हैं।लिंब स्पेरिंग सर्जरी (Limb-sparing surgery), जिसे लिंब साल्वेज सर्जरी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका मतलब है वैसी सर्जरी जिसमें बिना हड्डी को निकाले सर्जन प्रभावित हड्डी को बदलने के लिए शरीर के किसी अन्य भाग से कुछ हड्डी ले सकता है या कृत्रिम हड्डी का भी इस्तेमाल कर सकता हैं। हालांकि,कुछ मामलों में अंग को पूरी तरह हटाना आवश्यक हो सकता है।

 

रेडियोथेरेपी का उपयोग सामान्य तौर पर बोन कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है। इसके साथ ही साथ रेडियोथेरेपी आमतौर पर कई कैंसर के प्रकार के उपचार में भी उपयोग किया जाता है। इसमें कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए उच्च ऊर्जा 'एक्स-रे' कण (विकिरण) का उपयोग किया जाता है। रेडियोग्राफी ट्यूमर कोशिकाओं के अंदर डीएनए को हानि पहुँचाता है, जिससे उन्हें उनके प्रसार से रोका जा सकता है।

ट्यूमर को पूरी तरह से नष्ट कर रोगी का इलाज करना,अधिक उन्नत कैंसर में दर्द से राहत,ट्यूमर को कम करने में, जिससे इसे आसानी से ऑपरेशन करके बाहर निकाला जा सके,कैंसर की कोशिकाओं को हटाना जो शल्य चिकित्सा के बाद रह जाते हैं।

 

कीमोथेरेपी के अंतर्गत रोग का इलाज करने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है।विशेष रूप से यह कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करता है। कीमोथेरेपी के प्रयोग का मुख्यतः पांच लक्ष्य हैं:

  1. रोग से पूर्णतः मुक्त होने हेतू - रोगी को ठीक करने के लिए कुछ मामलों में इसका प्रयोग होता है, अकेले कीमोथेरेपी से पूरी तरह आप कैंसर से छुटकारा पा सकते हैं।
  2. सह- चिकित्सा - कीमोथेरेपी द्वारा कुछ अन्य उपचारों, जैसे रेडियोथेरेपी या सर्जरी में मदद  बेहतर परिणाम दे सकते हैं।
  3. रोग पुनरावृत्ति को रोकने हेतू - कीमोथेरपी, कैंसर की वापसी को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जब शल्य चिकित्सा के बाद ट्यूमर हटा दिया जाता है उसके बाद यह सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है।
  4. कैंसर कोशिकाओं की प्रगति को धीमा करने हेतू- कीमोथेरेपी कैंसर की उन्नति को धीमा कर सकती है।
  5. कीमोथेरेपी कैंसर के लक्षणों को दूर करने में काफी मददगार हैं, ऊपरी स्टेज के कैंसर मरीजों के लिए यह अधिक बार प्रयोग किया जाता है।