स्पाइनल ट्यूमरऔर स्पाइनल कैंसर में क्या है अंतर ?

Spinal tumor is limited to spinal cord only

स्पाइनल ट्यूमर व स्पाइनल कैंसर में एक अंतर है कि स्पाइनल ट्यूमर केवल रीढ़ की हड्डी तक ही सीमित रहता है, जबकि स्पाइनल कैंसर शरीर के विभिन्न भागों को प्रभावित करता है, इसे मेटास्टेसिस कहते हैं।

स्पाइनल ट्यूमर और स्पाइनल कैंसर, स्पाइन के अलग-अलग भागों को गिरफ्त में लेते हैं। स्पाइनल ट्यूमर रीढ़ की नसों पर दबाव बनाता है, जिससे लकवा मारने का खतरा बढ़ जाता है।

स्पाइनल कैंसर की वजह से स्थायी अपंगता हो सकती है व कई बार उपचार में देरी होने से यह मौत का कारण बनता है। इसमें समझने वाली बात यह होती है कि रोग की स्थिति क्या है और उपचार कब शुरू हुआ। यदि समय रहते उपचार शुरू हो जाता है तो समस्या से निजात मिलने की संभावना बढ़ जाती है।


इन दोनों बीमारियों के लक्षण लगभग समान होते हैं। जैसे गर्दन, कमर के ऊपरी और निचले भाग, जांघ और कूल्हे में लंबे समय से दर्द रहना, नसों में दबाव के कारण हाथ-पैरों में अचानक दर्द उत्पन्न होना या हाथ-पैर का ठंडा पड़ना। हाथों में कंपन, चलने में लड़खड़ाना आदि स्पाइनल ट्यूमर व स्पाइनल कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं, हालांकि यह बात जांच से सामने आती है।

 

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